मंगलवार, 8 जनवरी 2013

अकेले डॉ. जयपाल लॉबी ने दिखाई मर्दानगी


यह सर्वमान्य धारणा है कि पुलिस तंत्र की निचली इकाई पुलिस चौकी व थानों से मंथली एसपी और उच्चाधिकारियों से लेकर गृहमंत्री तक पहुंचती है और इसी कारण जब यह बात मीडिया में उजागर हुई कि एसपी मीणा मथंली प्रकरण में लाइन हाजिर थानेदार पूरे गड़बड़झाले की पोल खोलने को आतुर हैं तो आरोप के दायरे में आई कांग्रेस व भाजपा को सांप सूंघ गया। न तो सत्तारूढ़ कांग्रेस और न ही विपक्षी दल भाजपा की ओर से इस कथित आरोप का प्रतिकार किया गया। अकेले कांग्रेस के पूर्व विधायक डॉ. राजकुमार जयपाल की लॉबी ने मर्दानगी दिखाते हुए कहा कि मंथली देने के मामले में लाइन हाजिर हुए सर्किल इंस्पेक्टर सार्वजनिक करें कि उन्होंने किस दल के किस नेता को मंथली व खाने के पैकेट बना कर दिए।
हालांकि यह बात ठीक है कि फिलहाल खुद लाइन हाजिर थानेदारों ने मुंह नहीं खोला है, मगर मीडिया के जरिये जो बातें सामने आईं हैं, उस पर कांग्रेस व भाजपा को प्रतिक्रिया देना लाजिमी है। ज्ञातव्य है कि मीडिया में यह बात खुल कर आई है कि लाइन हाजिर थानेदारों ने अपना नाम उजागर न करने की शर्त पर चेतावनी दी है कि अगर उन्हें फंसाया गया तो वे इस पूरे गोरखधंधे की पोल खोल देंगे कि चाहे कांग्रेस हो या भाजपा, दोनों ही सरकारों के दौरान उच्चाधिकारियों व मंत्रियों तक मंथली जाती रही है। वे बड़े अधिकारियों को रिश्वत देते रहे हैं, जिनमें कई लोग आज डीआईजी, आईजी और भ्रष्टाचार निरोधक विभाग में बड़े पदों पर आसीन हैं। लाइन हाजिर हुए थाना प्रभारियों को इस बात की भी तकलीफ है कि केवल वे ही शिकंजे में क्यों आए, जबकि मंथली केवल शहर से ही नहीं वरन जिले के सभी 33 थानों से की जाती थी, फिर गाज उन पर ही क्यों गिर रही है? मीडिया में इससे भी अधिक बातें आई हैं। ऐसे में आम तौर पर हर छोटी-मोटी घटना पर प्रतिक्रिया जाहिर करने वाले नेताओं की चुप्पी वाकई चकित करने वाली और शर्मनाक है। अगर नेताओं को अपने ईमान का गुमान है कि होना यह चाहिए कि डॉ. जयपाल की तरह और नेता भी लाइन हाजिर थानेदारों के आरोपों पर खुल कर अपनी प्रतिक्रिया करें। वरना माना यही जाएगा कि जिस प्रकार पुलिस तंत्र भ्रष्ट है, ठीक वैसे ही नेता भी बहती गंगा में हाथ धो रहे हैं।
ऐसे में डॉ. जयपाल सहित  बीस सूत्रीय क्रियान्वयन कमेटी के सदस्य कुलदीप कपूर, सैयद फखरे मोइन, पार्षद गुलाम मुस्तफा, विजय यादव, रमेश सेनानी व सुनील केन आदि की खुली चुनौती तारीफ ए काबिल है कि सभी लाइन हाजिर सीआई ने यदि आरोप सार्वजनिक नहीं किए गए तो इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। कम से कम उन्होंने सच को उजागर करवाने की चुनौती तो दी, भले ही बाद में सच सामने आने पर जो कुछ भी होगा सो होगा।
जहां तक लाइन हाजिर थानेदारों का सवाल है, उनकी यह धमकी कि उनको फंसाया गया तो वे सब की पोल खोलेंगे, कायराना हरकत है। उन्हें फंसाने पर ही क्यों, क्या बिना फंसे उनका फर्ज नहीं बनता कि सच को आम जन के सामने रखें। अगर वाकई उनके पास सबूत हैं तो उन्हें उजागर करना ही चाहिए। सच तो ये है कि इतने बड़े गोरखधंधे के सबूत अगर वे दबा रहे हैं तो वे गंभीर अपराध कर रहे हैं। केवल अपने पत्रकार मित्रों के जरिए सरकार, नेताओं, राजनीतिक दलों और उच्चाधिकारियों पर दबाव बनाना तो कायराना हरकत ही कही जाएगी।
वैसे एक बात पक्की है, मीडिया में चाहे जितने रहस्य उजागर हों, लाइन हाजिर थानेदार खुल कर सामने आने वाले नहीं हैं क्योंकि उन्हें पता है कि चंद दिन बाद मामला ठंडा पड़ जाएगा और उन्हीं मैदानों पर वही घोड़े दौडऩे वाले हैं। वैसे भी उन्हें अपनी नौकरी प्यारी है, न कि भ्रष्ट पुलिस तंत्र की पोल खोलना। कदाचित ये बात डॉ. जयपाल भी जानते हैं कि आरोप लगाने वाले कथित थानेदारों की हिम्मत नहीं कि मुंह खोलें, मगर कम से कम चुनौती दे कर उन्होंने अपनी मर्दानगी तो दिखाई ही है। और अगर वाकई थानेदारों ने मुंह खोला तो यह बहुत ही अच्छी बात होगी कि सारे बेईमान व भ्रष्ट लोगों पर से नकाब उतर जाएगा।
-तेजवानी गिरधर