रविवार, 23 मार्च 2014

सचिन से क्यों नाराज हैं रामचंद्र चौधरी?

अजमेर संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस प्रत्याशी सचिन पायलट से अदावत के चलते अजमेर डेयरी के सदर रामचंद्र चौधरी ने भाजपा प्रत्याशी प्रो. सांवरलाल जाट का साथ देने की घोषणा कर दी। जाहिर है ऐसे में सवाल ये उठता है कि आखिर वे इतना नाराज हैं क्यों?
आपको याद होगा कि जब विधानसभा चुनाव में निर्दलीय ब्रह्मदेव कुमावत की वजह से चौधरी मसूदा में हारे थे, मगर चूंकि अशोक गहलोत को सरकार बनाने के लिए कुमावत की जरूरत हुई तो उन्होंने उन्हें संसदीय सचिव बना कर सेट किया। यह चौधरी को नागवार गुजरा। हालत ये हुई कि सचिन के केन्द्रीय संचार राज्य मंत्री बनने के बाद बिजयनगर कृषि उपज मंडी में आयोजित स्वागत समारोह में तत्कालीन मसूदा विधायक व राज्य के संसदीय सचिव ब्रह्मदेव की चौधरी समर्थकों द्वारा की गई पिटाई कर दी। हुआ यूं कि चौधरी की ओर से आयोजित समारोह में कुमावत बिना बुलाए केवल सचिन के कहने पर वहां चले आए थे। तब यह विवादित मामला काफी गर्म हो गया था। सचिन के साथ धर्मसंकट ये था कि अगर कुमावत का पक्ष लेते हैं तो जाट नाराज होते हैं और चौधरी का साथ देते हैं तो गहलोत रुष्ट हो सकते हैं। कदाचित उनका झुकाव कुमावत की ओर ही रहा।
पिछले दिनों विधानसभा चुनाव हुए तो मसूदा से कांग्रेस का टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने आरोप लगाया था कि पायलट ने ही उनका टिकट कटवाया। चौधरी को इस बात की भी शिकायत थी कि सचिन उनके साथ अपेक्षित सम्मान के साथ बात नहीं करते थे, जबकि वे सचिन के पिता स्वर्गीय श्री राजेश पायलट के करीबी थे। चौधरी को इस बात की भी नाराजगी रही कि सचिन की वजह से ही संगठन में उनको कोई तवज्जो नहीं दी गई। मसूदा विधानसभा क्षेत्र में उनकी लॉबी का एक भी नेता पदाधिकारी नहीं बनाया गया। यही नाराजगी जयपुर में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव और प्रदेश प्रभारी गुरुदास कामत की मौजूदगी में ही सचिन के साथ मुंहजोरी के रूप में फूटी। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि अगर उन्हें टिकट नहीं दिया गया तो वे लोकसभा चुनाव में सचिन के खिलाफ मैदान में उतर जाएंगे। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के सामने भी उन्होंने सचिन का विरोध किया। चौधरी के इस रवैये पर स्थानीय कांग्रेसियों ने एकजुट हो कर चौधरी को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाने की मांग कर डाली। हालांकि अधिसंख्य लोगों का मानना है कि चौधरी का यह विरोध सचिन के कहने से ही हुआ, लेकिन कुछ जानकार मानते हैं कि सचिन से नंबर लेने के चक्कर में स्थानीय कांग्रेसियों ने अपने स्तर पर ही निर्णय ले कर चौधरी के कपड़े फाडऩे शुरू किए थे। जानकारी के अनुसार सचिन ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं से चौधरी के मामले चुप ही रहने की हिदायत दी, ताकि पिछली नाराजगी कम की जा सके, मगर ऐसा हो नहीं पाया।

जाट के आते ही चौधरी के लडऩे की संभावना खत्म हो गई थी

जिस बात की संभावना थी, वही हुआ। विधानसभा चुनाव में मसूदा क्षेत्र से कांग्रेस के बागी के रूप में चुनाव लड़ कर हार चुके अजमेर डेयरी के अध्यक्ष  रामचंद्र चौधरी ने लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी सचिन पायलट के सामने डंके की चोट पर चुनाव लडऩे के ऐलान से पलट गए। संभावना तभी उत्पन्न हो गई थी, जब भाजपा ने प्रो. सांवरलाल जाट को मैदान में उतारा। भला जाट के होते हुए दूसरा जाट कैसे लड़ सकता था। वो भी तब जब कि सचिन को निपटाने का लक्ष्य हो तो। अगर अपने ऐलान पर कायम रहते तो एक तो जाट समाज नाराज होता। अव्वल तो एक दमदार जाट के रहते उन्हें जाटों के वोट मिलते नहीं, जिनके दम पर वे चुनाव मैदान में उतरने वाले थे, दूसरा जाटों के जितने भी वोट काटते उसका नुकसान प्रो. जाट को ही होता। यानि कि प्रत्यक्षत: तो सचिन के खिलाफ लडऩा कहलाता, मगर अप्रत्यक्ष रूप से होता सचिन को फायदा। ऐसे में यह साफ था कि वे अब चुनाव मैदान में नहीं आएंगे। प्रो. जाट के होते हुए चुनाव लडऩे की संभावना इस कारण भी कम थी क्योंकि उनके ही परोक्ष समर्थन की वजह से अजमेर डेयरी पर काबिज हैं। 
अब बात ये कि उनके प्रो. जाट के पक्ष में काम करने से होगा क्या? जाहिर रूप से इससे जाटों के वोटों का बंटवारा रुक जाएगा। वैसे भी जाट वोटों का धु्रवीकरण होता, चौधरी के होने से संभव है कांग्रेस के कट्टर जाट वोटों का भी नुकसान पहुंचाएं। जहां तक अजमेर डेयरी नेटवर्क और निजी संबंधों की वजह से गुर्जरों के भी कुछ वोट काटने की संभावना थी, वह कम हो जाएगी। बावजूद इसके चौधरी की बगावत को कम करके नहीं आंका जा सकता है। कारण ये कि हाल ही हुए विधानसभा चुनाव में उन्होंने निर्दलीय होते हुए भी 28 हजार 477 वोट हासिल किए। इसके अतिरिक्त बिना कांग्रेस की मदद के अकेले दम पर पिछले 25 वर्ष से अजमेर डेयरी पर काबिज हैं। उल्लेखनीय है उनका संसदीय क्षेत्र की 1200 दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियों पर असर है। 
आपको याद होगा कि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने आरोप भी लगाया कि पायलट ने ही उनका टिकट कटवाया। जयपुर में पिछले वर्ष कार्यकर्ताओं से राहुल गांधी के सीधे संवाद के दौरान चौधरी ने पायलट के खिलाफ जम कर बोला था। चौधरी ने स्थानीय की वकालत करते हुए चेताया कि अगर पायलट को दुबारा टिकट दिया तो वे उनके खिलाफ लड़ेंगे। उनका दावा था कि सचिन दो वोटों से हारेंगे। अब यह आंकड़ा बढ़ा कर उन्होंने तीन लाख कर दिया है।