अजमेर नगर निगम के आगामी अगस्त माह में होने वाले चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशियों के चयन में पूर्व विधायक डॉ. श्रीगोपाल बाहेती को कितनी तवज्जो मिलेगी, इसको लेकर दावेदारों में खासी चर्चा है। जैसे विधानसभा चुनाव में हारे हेमंत भाटी की सहमति से काफी टिकट तय होने की संभावना है, ठीक वैसे ही विधानसभा चुनाव हारे डॉ. बाहेती को भी महत्व दिया जाएगा या नहीं इसको लेकर दावेदारों में कौतुहल है। इसी कारण कई वे दावेदार, जो कि डॉ. बाहेती से जुड़े रहे हैं, दावा तो कर रहे हैं, मगर उन्हें संशय है कि कहीं डॉ. बाहेती की वजह से उनका दावा कमजोर तो नहीं हो जाएगा।
असल में ये सवाल इस कारण उठ रहा है क्योंकि उनकी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट से इत्तफाकी कैसी है, ये सब को पता है। वे पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत खेमे के माने जाते हैं और उनके ही दम पर टिकट ले कर आए थे। अब उनकी पसंद से टिकट दिए जाएंगे या नहीं, इसको लेकर संशय होना स्वाभाविक ही है। दूसरी ओर कुछ का मानना है कि डॉ. बाहेती की राय को अहमियत दी जा सकती है। उसके पीछे उनका तर्क ये है कि हाल ही जिस प्रकार हाईकमान के निर्देश पर प्रदेश कांग्रेस में गहलोत लॉबी के नेताओं को स्थान दिया गया है, उससे इस बात की संभावना बनती है कि निगम चुनाव में भी गहलोत लॉबी के दावेदारों का ख्याल रखा जा सकता है। जाहिर है जो दावेदार डॉ. बाहेती से संपर्क करेंगे, वे उनकी पैरवी गहलोत लॉबी के प्रदेश स्तरीय नेताओं तक करेंगे। ये तर्क धरातल पर कितना सटीक बैठता है, ये कहना तो मुश्किल है, मगर दावेदारों के लिए आशा की किरण तो है ही। वैसे अनुमान यही लगाया जा रहा है कि टिकट निर्धारण में ज्यादा भूमिका शहर कांग्रेस अध्यक्ष महेन्द्र सिंह रलावता की रहेगी, भले ही अंतिम फैसला हाई कमान करे।
-तेजवानी गिरधर
7742067000
असल में ये सवाल इस कारण उठ रहा है क्योंकि उनकी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट से इत्तफाकी कैसी है, ये सब को पता है। वे पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत खेमे के माने जाते हैं और उनके ही दम पर टिकट ले कर आए थे। अब उनकी पसंद से टिकट दिए जाएंगे या नहीं, इसको लेकर संशय होना स्वाभाविक ही है। दूसरी ओर कुछ का मानना है कि डॉ. बाहेती की राय को अहमियत दी जा सकती है। उसके पीछे उनका तर्क ये है कि हाल ही जिस प्रकार हाईकमान के निर्देश पर प्रदेश कांग्रेस में गहलोत लॉबी के नेताओं को स्थान दिया गया है, उससे इस बात की संभावना बनती है कि निगम चुनाव में भी गहलोत लॉबी के दावेदारों का ख्याल रखा जा सकता है। जाहिर है जो दावेदार डॉ. बाहेती से संपर्क करेंगे, वे उनकी पैरवी गहलोत लॉबी के प्रदेश स्तरीय नेताओं तक करेंगे। ये तर्क धरातल पर कितना सटीक बैठता है, ये कहना तो मुश्किल है, मगर दावेदारों के लिए आशा की किरण तो है ही। वैसे अनुमान यही लगाया जा रहा है कि टिकट निर्धारण में ज्यादा भूमिका शहर कांग्रेस अध्यक्ष महेन्द्र सिंह रलावता की रहेगी, भले ही अंतिम फैसला हाई कमान करे।
-तेजवानी गिरधर
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