सोमवार, 6 मार्च 2017

पुलिस को रखनी होगी अतिरिक्त सतर्कता

तेजवानी गिरधर
राजस्थान के शिक्षा राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी को पिछले दिनों धमकी भरा पत्र भेजने के मामले में अजमेर पुलिस त्वरित गति से कार्य कर रही है और उम्मीद है कि वह तह तक पहुंच ही जाएगी, मगर जिस तरह का मामला है, उसमें अजमेर की पृष्ठभूमि को ख्याल में रख कर अतिरिक्त सतर्कता बरतने की जरूरत है।
वस्तुत: तीर्थराज पुष्कर व दरगाह ख्वाजा साहब को अपने आंचल में समेटे हुए अजमेर नगरी यूं तो दुनिया भर में सांप्रदायिक सौहार्द्र के लिए जानी जाती है, और यहां है भी, मगर साथ ही यह उतनी संवेदनशील नगरी भी है। दोनों तीर्थ स्थलों में ड्रग माफिया के अतिरिक्त अंडर वल्र्ड के कनैक्शन रहे हैं, जो कई बार उजागर हो चुके हैं। इसी सिलसिले में दरगाह बम ब्लास्ट सबसे ज्वलंत उदाहरण है। केरल में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के कार्यकर्ताओं के साथ हो रही हिंसा के बाद अजमेर में राष्ट्रवादियों में जैसा रोष पिछले दिनों दिखाई दिया, उस पर भी गौर करना चाहिए। संघ के लिए अजमेर कितनी अहमियत रखता है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले दिनों संघ की अति महत्वपूर्ण बैठक यहां हुई, जिसमें मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे व गृहमंत्री गुलाब चंद कटारिया तक ने हाजिरी दी।
जिले में धर्मांतरण की छिटपुट घटनाएं भी होती रहती हैं, जिनका विरोध भी होता है। चूंकि अकबर किला विवाद में भी शिक्षा राज्य मंत्री प्रो. वासुदेव देवनानी ने राष्ट्रवाद की दुहाई दी है, और उसी को मुद्दा बना कर उनको धमकी भरा पत्र मिला है, अत: पुलिस को यह समझना होगा कि अकेले पत्र लिखने वाले को पकड़ लेने मात्र से इतिश्री नहीं होगी। राष्ट्रवाद के नाम पर जिस प्रकार देवनानी ने बिंदास हो कर बयान दिया, वह आतंकवादियों के लिए चुनौती से कम नहीं है। ताजा मामले में अब तक जो खुलासा हुआ है, वह गौर करने लायक है।  जिस तरन्नुम के नाम से देवनानी को धमकी भरा पत्र लिखा गया, उसे भी अज्ञात व्यक्ति ने दो पत्र लिखे हैं, जिसमें कट्टरपंथी बातों का जिक्र करते हुए उसको समुदाय विशेष के स्कूल में जाकर शिक्षा लेने की नसीहत दी गई है। यानि कि इसके पीछे महज एक व्यक्ति नहीं, बल्कि एक विचारधारा काम कर रही है। इस लिहाज से यह मामला दो विचारधाराओं के मुकाबले का लगता है। ऐसे में पुलिस को अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए।
-तेजवानी गिरधर
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देवनानी को मिला जमीन मजबूत करने का मौका

राजस्थान सरकार के शिक्षामंत्री प्रो. वासुदेव देवनानी को पिछले दिनों मिले धमकी भरे पत्र के पीछे किसकी साजिश थी, इसका खुलासा तो पुलिस कर ही लेगी, मगर कानाफूसी है कि इस मसले को लेकर उन्हें आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर अपनी जमीन मजबूत करने का मौका मिल गया है।
उन्होंने साफ तौर पर कहा है कि वे एक राष्ट्रवादी हैं और जहां भी आतंकियों के नाम पर जगहों के नाम होंगे, वे उन्हें बदलने की कोशिश करेंगे। ऐसा करके उन्होंने एक ओर तो संघ विचारधारा को पोषित कर उसका वरदहस्त बरकरार रखने की कोशिश की है, तो साथ ही धरातल पर वोटों का धु्रवीकरण करने पर उनकी गहरी नजर है। जब उन्होंने अकबर के किले का नाम अजमेर का किला करने को कहा तो स्वाभाविक रूप से उनका मकसद संघ की मंशा पूरी करना था। इसी सिलसिले में उन्होंने कहा कि वामपंथियों ने भारत के इतिहास को तबाह किया है। इतिहास में अब तक कहा जाता रहा है कि अकबर महान था लेकिन रिसर्च में यह साबित होता है कि महाराणा प्रताप महान थे। यह एक संयोग ही है कि अकबर के किले के मसले पर उनको धमकी भरा पत्र मिल गया। ऐसे में उन्हें एक बार फिर अकबर की बजाय महाराणा प्रताप को महान बताने का मौका मिल गया।  कुल मिला कर उन्होंने यह साबित करने की कोशिश की है कि वे पक्के संघनिष्ठ हैं। इसके एवज में आगामी विधानसभा चुनाव में उनके टिकट को लेकर संघ भी पूरा साथ देगा। जाहिर तौर पर उनकी नजर बहुसंख्यक हिंदू वोटों पर भी है, जो कि टिकट मिलने पर जीतने के लिए जरूरी हैं।