शुक्रवार, 2 मार्च 2012

उसी विधानसभा में बेदाग हुए, जहां दाग लगाया गया था जैन पर


अजमेर नगर सुधार न्यास के पूर्व अध्यक्ष व वरिष्ठ भाजपा नेता धर्मेश जैन ने राजस्थान विधानसभा के उसी सदन में अपने आप को पाक साफ साबित करवा दिया, जिसमें उनके बारे में बनी कथित विवादित सीडी लहराई गई थी। लहराई क्या गई, उस सीडी ने उनकी इज्जत ही मिट्टी में मिला दी थी। तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने अपने दामन को पाक साफ रखने के चक्कर में जैन से इस्तीफा मांग लिया था। यानि पद भी गया और प्रतिष्ठा भी। ऐसे मामलों के लिए ही तो कहा जाता है कि माल भी गया और माजना भी।
असल में जैन को उस विवादित सीडी की वजह से पद व प्रतिष्ठा जाने का बड़ा मलाल है। वे अब तक उस अपमान को भूल नहीं पाए हैं। हालांकि पिछले साल जनवरी में ही सीआईडी सीबी, जयपुर के पुलिस अधीक्षक परिवाद की गृह विभाग के शासन उप सचिव को भेजी गई जांच रिपोर्ट में वे पूरी तरह से निर्दोष साबित हो चुके हैं और तब अखबारों में वह खबर सुर्खियों में छपी भी, मगर इससे भी उनको संतुष्टि नहीं हुई। वे चाहते थे कि उसी विधानसभा में यह खुलासा हो, जहां उनकी प्रतिष्ठा को चोट पहुंचाई गई थी। और इसी कारण उन्होंने विधायक हरि सिंह रावत के जरिए विधानसभा में प्रश्न उठवा कर सरकार से जवाब मंगवाया। लगता है कि अब वे पूरी तरह से खुश हैं। कदाचित इस वजह से भी कि उन्हीं पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के सामने सदन में उनको निर्दोष करार दिया गया, जिन्होंने उन पर थोड़ा भी भरोसा न करके तुरंत इस्तीफा मांग लिया। कम से कम इससे उन्हें अपनी गलती का अहसास तो होगा।
सरकार की ओर से दिए गए जवाब में एक बात जरूर खटकती है कि उसमें तत्कालीन कांग्रेस विधायक डॉ. श्रीगोपाल बाहेती का कोई जिक्र नहीं है, जबकि उन्हीं के विधानसभा में सीडी लहराने के बाद मामले ने तूल पकड़ा था। ज्ञातव्य है कि पूर्व में जांच रिपोर्ट उजागर होने पर जैन ने एक बयान जारी कर कहा था कि हालांकि सीआईडी सीबी ने सीडी बनाने वाले का पता लगाना असंभव माना है, लेकिन यह सवाल आज भी मुंह बाये खड़ा है कि विधानसभा के पटल पर रखी गई सीडी आखिर आई कहां से? सरकार से आग्रह है कि वह यह जांच कराए कि विधानसभा के में पेश की गई सीडी का मूल स्रोत क्या है? सरकार कांग्रेस के तत्कालीन पुष्कर विधायक डॉ. श्रीगोपाल बाहेती से भी जवाब-तलब करे कि वे सीडी कहां से ले कर आए? कहीं इसमें वे स्वयं तो संलिप्त नहीं हैं? आज जब कि वह सीडी संदिग्ध करार दे दी गई है, वह कहां से आई, इसका जवाब देने के लिए सर्वाधिक जिम्मेदार हैं कांग्रेस के तत्कालीन पुष्कर विधायक डॉ. श्रीगोपाल बाहेती व अन्य विधायक, जिन्होंने बिना किसी ठोस आधार के विधानसभा की कार्यवाही को तुरंत रोक कर चर्चा करने का प्रस्ताव रखा। उन्हें मलाल है कि बिना किसी ठोस आधार पर सीडी प्रकरण को उछालने का परिणाम ये हुआ कि उन्होंने नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दे दिया और उनके द्वारा शुरू किए गए सारे विकास कार्य ठप हो गए, जिसके लिए अजमेर की जनता डॉ. बाहेती को कोस रही है।
बहरहाल, ताजा घटनाक्रम से एक सवाल तो यह उठता ही है कि आखिर अजमेर जिले के किसी भाजपा विधायक की बजाय राजसमंद जिले के भीम विधानसभा क्षेत्र के विधायक हरिसिंह रावत ने ही सवाल क्यों उठाया? जाहिर सी बात है कि खुद रावत की इसमें कोई रुचि नहीं रही होगी। जैन के कहने पर ही उन्होंने सवाल लगाया होगा। ऐसे में यह जिज्ञासा होना लाजिमी है कि क्या अजमेर जिले के भाजपा विधायकों को उन्होंने इस लायक नहीं समझा या फिर उन्होंने अनुरोध किया, मगर उन्होंने रुचि नहीं ली? कहीं ऐसा तो नहीं कि अजमेर के विधायकों ने इस कारण रुचि नहीं ली कि उन्हें जैन का निर्दोष साबित होना कुछ खास अच्छा नहीं लग रहा। स्वाभाविक सी बात है कि निर्दोष साबित होने के बाद जैन पूरे फॉर्म में हैं। वे एक बार फिर अजमेर की राजनीति में शिखर पर आना चाहते हैं। इसी सिलसिले में हाल ही उन्होंने 90 बी प्रकरण व जयपुर जिले के मावठा तालाब को बीसलपुर के पानी से भरने के मुद्दे पर अपने नंबर बढ़ाए हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में तो दोवदारी का मानस रखते ही थे, संभव है इस बार भी कुछ ऐसा ही विचार हो?
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