गुरुवार, 9 अगस्त 2012

इस बार भाजपा जाट प्रत्याशी उतारेगी लोकसभा चुनाव में?

ऐसा समझा जाता है कि इस बार लोकसभा चुनाव में भाजपा किसी जाट प्रत्याशी पर दाव लगाएगी। इस बात की संभावना के चलते कुछ रिटायर्ड जाट अधिकारियों ने अभी से तैयारी शुरू कर दी है।
असल में पिछली बार परिसीमन की वजह से अजमेर संसदीय क्षेत्र का रावत बहुल मगरा इलाका कट जाने पर पूर्व सांसद व मौजूदा शहर जिला भाजपा अध्यक्ष प्रो. रासासिंह को यहां से चुनाव मैदान में नहीं उतारा गया था। उनके स्थान पर पूर्व जलदाय मंत्री प्रो. सांवरलाल जाट के चुनाव मैदान में उतारे जाने की पूरी संभावना थी। इसकी एक मात्र वजह ये थी कि अब इस संसदीय क्षेत्र में जाटों के वोट तकरीबन दो लाख माने जाते हैं। उनके लिए आखिर तक पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राज ने पूरा जोर लगाया, मगर पार्टी हाईकमान के पास यह रिपोर्ट थी कि जाट की स्थानीय कई नेताओं से नहीं बनती। विशेष रूप से यह आकलन भी था कि मसूदा, भिनाय व नसीराबाद के गांवों में उनके शागिर्दों की हरकतों के कारण अन्य समुदायों में नाराजगी है। ऐसे में यह चुनाव जाट बनाम बैर जाट होने की आशंका थी। यही वजह रही कि आखिरकार उनका लगभग पक्का टिकट काट दिया गया। यूं प्रदेश भाजपा महामंत्री रामलाल जाट की भी संभावना थी, मगर उनकी स्थानीय जाटों पर पकड़ कुछ खास नहीं थी। आखिरकार पार्टी ने दो लाख वैश्य मतदाताओं के दम पर किरण माहेश्वरी को चुनाव मैदान में उतारा, मगर वे हार गईं। अब चूंकि उन्हें दुबारा यहां से टिकट मिलने की संभावना नहीं है, इस कारण जाट नेताओं में आगामी चुनाव को लेकर काफी आशा है।
यूं अब भी प्रो. जाट की दावेदारी मजबूत है, मगर समझा जाता है कि उनकी रुचि विधानसभा चुनाव में ही ज्यादा है। उनके अतिरिक्त पूर्व विधायक भागीरथ सिंह भी दावेदार हो सकते हैं, मगर उनके साथ भी यही परेशानी है कि किशनगढ़ इलाके में उनकी अन्य समुदायों से कुछ खास ट्यूनिंग नहीं है। इसी के चलते कुछ रिटायर्ड जाट अधिकारी भाग्य आजमाने की सोच रहे हैं। इनमें प्रमुख रूप से राजस्थान लोक सेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष सी. आर. चौधरी व अजमेर में कलेक्टर रह चुके महावीर सिंह का नाम सामने आ रहा है। यूं सी. बी. गैना का नाम भी चर्चा में है। चूंकि कांग्रेस की ओर से मौजूदा सांसद व केन्द्रीय संचार राज्य मंत्री सचिन पायलट के ही यहां दुबारा चुनाव लडऩे की संभावना है, इस कारण भाजपा खेमा यह मान कर चलता है कि जाट प्रत्याशी उन्हें बेहतर टक्कर देने की स्थिति में होगा। सोच ये है कि दो लाख जाट, दो लाख वैश्य, सवा लाख रावत, एक लाख सिंधी व एक लाख राजपूत मतदाता जाट प्रत्याशी को जितवा सकते हैं। हालांकि कांग्रेस की जाटों पर भी पकड़ है, मगर यदि भाजपा की ओर से जाट प्रत्याशी खड़ा होता है कि अधिसंख्य जाट मतदाता जाट की बेटी जाट को व जाट का वोट जाट को की कहावत चरितार्थ हो सकती है। यह मार्शल कौम कहलाती हैं, इस कारण इसका मतदान प्रतिशत ज्यादा ही रहता है। कुल मिला कर इस बार भाजपा की ओर से जाट प्रत्याशी ही मैदान में आएगा।
-तेजवानी गिरधर