शुक्रवार, 23 नवंबर 2012

प्रताप यादव को मिली चुनावी साल में रेवड़ी


कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व पार्षद प्रताप यादव को राजस्थान सार्वजनिक प्रन्यास मंडल का सदस्य बना कर चुनावी साल में रेवड़ी दे दी गई है। अब एक साल ही तो बचा है। इसके बाद न जाने किसकी सरकार बनेगी। चुनावी सरगरमी की आहट भी सुनाई देने लगी है। दावेदार तैयारियां कर रहे हैं। इसके दो ही अर्थ हैं। या तो उनका अजमेर दक्षिण विधानसभा सीट की टिकट का दावा कमजोर होगा, या फिर कुछ करके दिखाने पर मजबूत भी हो सकता है। इसे खुद यादव की बेहतर समझते हैं।
बेशक इस नियुक्ति से उनका कद कुछ बढ़ा है। इससे वे प्रसन्न होंगे कि उन्हें मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का वरदहस्त हासिल हुआ है, मगर सरकार के कार्यकाल के चार साल बीत जाने के बाद। कहते हैं कि अशोक गहलोत कार्यकर्ताओं का बड़ा ख्याल रखते हैं, मगर इस बार उन्होंने कार्यकर्ताओं को इनाम देने में काफी देर कर दी। अपने खास चहेते पूर्व विधायक डॉ. श्रीगोपाल बाहेती को भी मात्र बीस सूत्रीय कार्यक्रम क्रियान्वयन समिति की उपाध्यक्ष बना कर संतुष्ट करने का कोशिश की। कदाचित विधानसभा चुनाव तक सक्र रखने की खातिर। खैर, देर आयद दुरुस्त आयद।
यहां उल्लेखनीय है कि यादव पिछले चार चुनावों से विधानसभा टिकट की दावेदारी करते रहे हैं। मगर उन्हें कभी मौका नहीं दिया गया। वजह ये कि अजमेर की अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित एक सीट केवल दो लॉबियों के बीच ही फंसी रही। या फिर जातीय समीकरण आड़े आया। वे लंबे समय से पार्टी की सेवा करते रहे हैं। भूतपूर्व शहर कांग्रेस अध्यक्ष माणक चंद सोगानी के जमाने से। मगर कभी कुछ खास इनाम हासिल नहीं कर पाए। मनोनीत पार्षद जरूर बने। वे खुद व उनकी पत्नी तारादेवी यादव निर्वाचित पार्षद पद का सुख भोग चुके हैं, मगर खुद अपने दम पर। अब जब कि फिर विधानसभा चुनाव का मौका आया तो चुनावी साल में उन्हें रेवड़ी दे दी। खैर, अब इस पर निर्भर करेगा कि सीमित समय में वे प्रन्यास मंडल में क्या कुछ कर पाते हैं। वैसे वे चाहें तो अजमेर-पुष्कर धार्मिक नगरी के धर्म स्थलों की बहबूदी के लिए प्रयास कर सकते हैं। यहां करने को तो बहुत कुछ है। और कुछ नहीं तो कुछ करने का प्रहसन तो किया ही जा सकता है। देखते हैं, क्या करते हैं।
-तेजवानी गिरधर