गुरुवार, 18 फ़रवरी 2016

विजय जैन के साथ शहर कांग्रेस का एक नए युग में प्रवेश

शहर जिला कांग्रेस अध्यक्ष पद से नवाजे गए विजय जैन के पद ग्रहण समारोह में जिस प्रकार लगभग सभी प्रमुख नेताओं की मौजूदगी नजर आई, उससे उनकी पारी के अच्छे आगाज के संकेत मिलते हैं। हालांकि कार्यकारिणी  गठित होने तक उन्हें खूब खींचतान से गुजरना होगा, सब को साथ लेकर चलना इतना आसान नहीं है, मगर अहम बात ये है कि उन्हें किसी प्रकार के विरोध अथवा नाराजगी का सामना नहीं करना पड़ा। उनकी अध्यक्ष पद पर नियुक्ति के प्रति जिस प्रकार कांग्रेसी नेताओं में स्वीकार्यता  दिखाई दी, उससे लगता है कि वे संगठन की नैया बहुत आसानी से नहीं तो थोड़ी बहुत मान-मनुहार करके चला ही लेंगे। हालांकि निवर्तमान अध्यक्ष महेन्द्र सिंह रलावता के पद ग्रहण करते समय के हालात कुछ और किस्म के थे, मगर जिस प्रकार जैन को स्वीकार किया गया है, कदाचित इतना तो रलावता को भी स्वीकार नहीं किया गया था। उसकी वजह ये रही कि रलावता परिवर्तन के संक्रमण काल में आए, जिसमें पुराने स्थापित नेताओं को वे आसानी से गले नहीं उतरे, मगर चूंकि अब हालात बदल गए हैं, इस कारण पुराने नेताओं ने समझ लिया है कि अब नए युग का सूत्रपात हो चुका है, लिहाजा जैसा हो रहा है, उसे स्वीकार कर लिया जाए। इसे यूं भी कहा जा सकता है कि जैन के साथ ही अजमेर में कांग्रेस के एक नए युग का आरंभ होने जा रहा है।
विजय जैन के पक्ष में एक बात और है कि पिछले दशक में तैयार हुआ नया युवा कार्यकर्ता यकायक उनके साथ जुड़ गया है। इसकी बानगी पद ग्रहण के दौरान साफ महसूस की गई। उसके पीछे बड़ी वजह है जैन का लो-प्रोफाइल होना। वे कार्यकर्ताओं के साथ बराबरी का दर्जा दे कर हिले मिले हुए हैं। एक बात और। कार्यकर्ता गुजबाजी से त्रस्त रहे हैं, उन्हें लगता है कि जैन के नेतृत्व में गुटबाजी का पैनापन कुछ कम होगा। यदि तुलना की जाए तो रलावता के समय में देश और प्रदेश में कांग्रेस का ग्राफ विभिन्न कारणों से गिर रहा था, जबकि जैन जब पद संभाल रहे हैं, तब लोगों में आशा है कि अगली राज्य सरकार कांग्रेस की होगी, क्योंकि वसुंधरा सरकार का परफोरमेंस कुछ खास नहीं रहा है। ऐसे में कार्यकर्ताओं में उत्साह कुछ बढ़ा हुआ है। जैन के इर्दगिर्द जुट रही भीड़ इस बात के भी संकेत हैं कि हर कोई, कोई न कोई पद चाहता है। बस, यहीं जैन की चतुराई की परीक्षा होनी है कि वे कैसी टीम गठित कर पाते हैं। किस प्रकार सभी गुटों के ऊर्जावान कार्यकर्ताओं को जोड़ते हैं। चूंकि वे कूल मांइडेड हैं, इस कारण उम्मीद की जा सकती है कि वे ठंडे दिमाग से अपना रास्ता सुगम कर लेंगे।
जैन के लिए एक बड़ी चुनौती कांग्रेस का दफ्तर खोलना है। फिलहाल उन्होंने अपने प्रॉपर्टी कारोबार के दफ्तर को इसके उपयोग में लेने के संकेत दिए हैं, जिस पर कुछ लोग नुक्ताचीनी कर सकते हैं, मगर सीधी सीधी बात ये है कि यह उनका अपना दफ्तर है, जिस पर आपत्ति करना बेमानी है। आखिर आदमी के पास जो दफ्तर होगा, उसे ही तो काम में लेगा। फिर प्रॉपर्टी का कारोबार कोई ऐसा धंधा नहीं है कि उसे राजनीति के लिहाज से हेय अथवा परहेज की दृष्टि से देखा जाए। जल्दबाजी में उन्होंने अपने दफ्तर को ही सुपुर्द किया है, मगर उम्मीद की जानी चाहिए कि कोई ऐसा दफ्तर स्थापित करेंगे, जो कि सार्वजनिक स्थान पर हो। कहने की जरूरत नहीं है कि कांग्रेस के पास कुछ समय पूर्व तक अपना किराये का दफ्तर था, मगर वह मुकदमेबाजी के बाद हाथ से निकल गया। कांग्रेस के पास जैसा भी दफ्तर था, था तो सही, सत्तारूढ़ भाजपा के पास तो वो भी नहीं है, जबकि वर्तमान में केन्द्र, राज्य सहित अजमेर में उसकी सरकार है।
लब्बोलुआब, आशा की जा रही है कि जैन अपने संजीदा व्यवहार से इस गरिमापूर्ण पद की मर्यादा बरकरार रख पाएंगे। खतरा सिर्फ ये है कि कहीं उनको गलत सलाहकार न मिल जाएं।
-तेजवानी गिरधर
7742067000, 8094767000