
आपको याद होगा कि चौधरी युवक कांग्रेस के अब तक के सर्वाधिक सक्रिय अध्यक्षों में शुमार रहे हैं। उनके कार्यकाल के दौरान युवक कांग्रेस कार्यकर्ताओं का कांग्रेस कार्यालय में जमावड़ा लगा ही रहता था। दुर्योग से कतिपय प्रकरणों की वजह से विवादित हुए, जिसकी वजह से उन्हें बैकफुट पर आना पड़ा। उनके ऊपर के तार इतने मजबूत थे कि अन्य दावेदारों की भरसक कोशिश के बाद भी उन्हें तभी हटाया जा सका, जब खुद उन्होंने चाहा। अब जब कि सारी बातें नैपथ्य में चली गई हैं, वे एक बार फिर से सक्रिय हो गए हैं। कहने की जरूरत नहीं है कि उनके पास कार्यकर्ताओं की कोई कमी नहीं है। अगर जज्बा रहा तो इस बैनर के तले ही फिर से अपना जलवा बिखेर सकते हैं। डॉ. जयपाल का आशीर्वाद तो है ही।
जानकारों को पता है कि जब वे शहर युवक कांग्रेस के अध्यक्ष बन कर आए थे तो उनका मकसद कांग्रेस के लिए कुछ करने के बाद विधानसभा चुनाव की जमीन तलाशना था। वे किशनगढ़ की जाट बहुल सीट सहित नागौर जिले की किसी सीट से भाग्य आजमाना चाहते थे। फिलहाल जबकि कांग्रेस की मुख्य धारा वाले पदों पर अन्य गुटों के लोग काबिज हैं, उन्होंने कांग्रेस के इस सहयोगी संगठन के जरिए ही अपने आपको फिर से तराशने का निर्णय किया है। यूं इस बैनर तले भी किसानों व ग्रामीणों के लिए काफी कुछ करने की गुंजाइश है। एकाध भी ढ़ंग का किसान सम्मेलन कर लिया तो फिर से लाइम लाइट में आ सकते हैं। बशर्ते कि इस बार पूरा ध्यान केवल अपने राजनीतिक कैरियर पर ही रखें।
-तेजवानी गिरधर