रविवार, 15 जनवरी 2012

पुलिस को केवल मंथली की चिंता?

अजमेर के हितों के लिए गठित अजमेर फोरम की पहल पर बाजार के व्यापारियों ने एकजुटता से एक ओर जहां शहर के सबसे व्यस्ततम बाजार मदारगेट की बिगड़ी यातायात व्यवस्था को सुधारने का बरसों पुराना सपना साकार रूप ले रहा है, वहीं पुलिस की अरुचि के चलते नो वेंडर जोन घोषित इस इलाके से ठेलों को हटाने में पुलिस कोई रुचि नहीं ले रही है।
सब जानते हैं कि अजमेर शहर में विस्फोटक स्थिति तक पहुंच चुकी यातायात समस्या पर अनेक बार सरकारी और गैर सरकारी स्तर पर चिन्ता जाहिर की जाती रही है। प्रयास भी होते रहे हैं, मगर इस दिशा में एक भी ठोस कदम नहीं उठाया जा सका। जब भी कोशिश की गई, कोई न कोई बाधा उत्पन्न हो गई। ऐसे में सुव्यवस्थित यातायात व पार्किंग को लेकर शहर के नागरिक, नेता और सरकार तीनों के बीच समन्वय सेतु बनाने की दृष्टि से अजमेर फोरम ने फिर एक बार पहल की और व्यापारियों और नगर प्रशासन के बीच संवाद स्थापित किया। इसी सिलसिले में एक मीटिंग का भी आयोजन किया गया, जिसमें मदारगेट के चारों व्यापारिक संघों के प्रतिनिधि, नगर निगम के महापौर कमल बाकोलिया व सीईओ सी. आर. मीणा, नगर सुधार न्यास अध्यक्ष नरेन शहानी भगत, भाजपा विधायक श्रीमती अनिता भदेल, शहर जिला भाजपा अध्यक्ष प्रो. रासासिंह रावत, पुलिस अधीक्षक राजेश मीणा, टै्रफिक के पुलिस उप अधीक्षक जयसिंह राठौड़ सहित प्रमुख राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि की मौजूदगी में निर्णय किया गया कि व्यापारी स्वयं अपने अस्थाई अतिक्रमण हटाने और दायरे में रहने को तैयार हैं। व्यापारिक संगठनों के प्रतिनिधियों भगवानदास चंदीराम, चिमनदास, देवेश गुप्ता, मोती जेठानी व शैलेन्द्र अग्रवाल ने यातायात संबंधी परेशानियों का उल्लेख करते हुए कहा कि प्रशासन नो वेंडर जोन घोषित मदारगेट से हाथ ठेलों को अन्यत्र स्थानांतरित करे। सभी का कहना था कि वे तो पहल करके प्रशासन का सहयोग करने को तैयार हैं, मगर यह तभी कामयाब होगा, जबकि प्रशासन भी इच्छा शक्ति दिखाए। शहर भाजपा अध्यक्ष प्रो. रासासिंह रावत, शहर कांग्रेस अध्यक्ष महेन्द्र सिंह रलावता, नगर सुधार न्यास के अध्यक्ष नरेन शहाणी भगत व नगर निगम के महापौर कमल बाकोलिया ने इस पर सहमति प्रकट की। पुलिस अधीक्षक राजेश मीणा व यातायात पुलिस उप अधीक्षक जयसिंह राठौड़ और नगर निगम के सीईओ सी. आर. मीणा ने इस पहल को अनूठा बताते हुए अपनी ओर से हरसंभव सहयोग का आश्वासन दिया।
मीटिंग के बाद व्यापारियों ने पहल कर अपने अतिक्रमण हटा लिए और नए निर्धारित पार्किंग स्थलों पर अपने वाहन खड़े करना शुरू कर दिया। मदार गेट चौक पर फल बेचने वाली महिलाओं को अपने निर्धारित स्थान पर बैठाने के लिए नगर निगम ने लोहे का जंगला लगाया दिया है। बीएसएनएल ने भी अपने पोल हटा लिए हैं। डिस्कॉम ने भी पोल हटाने की कार्यवाही शुरू कर दी है। इससे पूरा मार्केट खुला-खुला दिखने लगा है। यातायात भी काफी सुगम हो गया है। मगर पुलिस अपनी भूमिका निभाने में आनाकानी सी कर रही है। वह नो वेंडर जोन घोषित इस क्षेत्र से ठेलों को हटाने की दिशा में कोई कदम नहीं उठा रही।
सवाल उठता है कि जब व्यापारी मदारगेट की यातायात व्यवस्था को सुधारने की पहल कर चुके हैं, जनप्रतिनिधि भी सहयोग करने को तैयार हैं तो आखिर क्या वजह है कि पुलिस इसमें कोई रुचि नहीं ले रही? असल में यातायात सलाहकार समिति के निर्णय के मुताबिक पुलिस को खुद ही ठेलों को हटाना चाहिए, मगर वह व्यापारियों की अच्छी पहल के बाद भी हाथ पर हाथ धरे बैठी है। कुछ सूत्रों का कहना है कि पुलिस के सिपाही ठेलों से मंथली वसूल करती है। यदि वह ठेलों को हटाती है तो उसकी मंथली मारी जाती है। देखना ये है कि पुलिस कप्तान राजेश मीणा की मौजूदगी में हुए निर्णय पर अमल में बाधक बन रहे पुलिस कर्मियों को सख्ती का आदेश देते हैं या फिर वे भी चुप्पी साध लेते हैं।