गुरुवार, 6 जून 2013

अजमेर उत्तर में भाजपा के चार मजबूत दावेदार उभरे

यूं तो अजमेर उत्तर विधानसभा सीट के भाजपा में एक अनार सौ बीमार वाली स्थिति है, मगर प्रदेश अध्यक्ष वसुंधरा राजे की सुराज संकल्प यात्रा के दौरान हुए शक्ति प्रदर्शन के दौरान जो नक्शा उभरा है, उसमें चार दावेदार प्रमुख रूप से सामने आ गए हैं। सिंधियों में जहां मौजूदा विधायक प्रो. वासुदेव देवनानी टिकट के स्वाभाविक दावेदार हैं, वहीं स्वामी समूह के सीएमडी कंवल प्रकाश किशनानी ने भी अपनी लकीर ऊंची कर ली है। उधर गैर सिंधियों में नगर परिषद के पूर्व सभापति सुरेन्द्र सिंह शेखावत और शहर जिला भाजपा के पूर्व अध्यक्ष शिवशंकर हेड़ा ने ताल ठोक दी है।
असल में अजमेर उत्तर सीट पर सिंधी-गैर सिंधी का झगड़ा तो है ही, विधायक देवनानी के विरुद्ध भाजपा के एक बड़े धड़े का लामबंद होना भी झगड़े की एक बड़ी वजह है। सच तो ये है कि कथित गैर सिंधी धड़े को सिंधी से उतनी चिढ़ नहीं है, जितनी अकेले देवनानी से। प्रदेश भाजपा उपाध्यक्ष औंकार सिंह लखावत की चाबी से चलने वाले इस धड़े को देवनानी फूटी आंख नहीं सुहाते। इसी बीच स्वामी समूह के सीएमडी व शहर भाजपा के प्रचार मंत्री कंवल प्रकाश किशनानी ने अत्यधिक सक्रियता दिखाते हुए अपना दावा खड़ा कर दिया है। वे इन दिनों वसुंधरा की प्रदेश भर की यात्रा में फुल टाइम जुटे हुए हैं। अगर भाजपा किसी सिंधी को ही टिकट देने का फार्मूला बनाती है तो उनका नाम गंभीर रूप से विचारणीय हो जाएगा, जिसे देवनानी विरोधी खेमा पूरा समर्थन दे सकता है।
दूसरी ओर चूंकि पिछले चुनाव में इस सीट पर सिंधी-गैर सिंधी मुहिम के चलते कांगेस व भाजपा में कड़ी टक्कर हुई थी और हार-जीत का अंतर मात्र छह सौ का रह गया, इस कारण कांग्रेस की तरह इस बार भाजपा में भी गैर सिंधी के रूप में सरेन्द्र सिंह शेखावत ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। हालांकि गैर सिंधी का प्रयोग करने से पहले भाजपा को दस बार सोचना होगा, चूंकि इससे उसकी दक्षिण सीट भी खिसक सकती है, मगर शेखावत ने दमदार दावेदारी ठोक दी है। स्वाभाविक रूप से उन्हें अपने समर्थकों के अतिरिक्त गैर सिंधी मुहिम में जुटे लोगों का स्वाभाविक साथ मिल रहा है। भाजपा में दूसरे गैर सिंधी दावेदार शिवशंकर हेड़ा उभरे हैं, मगर प्रत्यक्षत: शेखावत का पलड़ा उनसे भारी नजर आता है। यह बात दीगर है कि उनको वैश्यवाद का संबल शेखावत से कहीं ज्यादा मिल रहा है, जो ऐन वक्त पर कोई बड़ा गुल खिला सकता है।
दक्षिण में अनिता भदेल इकलौती, मगर बीना सिंगारियां भी निकली मांद से
जहां तक अजमेर दक्षिण का सवाल है, वहां मौजूदा विधायक श्रीमती अनिता भदेल ही एक मात्र प्रबल दावेदार नजर आ रही हैं, क्योंकि उनके अतिरिक्त किसी और ने वसुंधरा की यात्रा के दौरान अपनी ताकत का प्रदर्शन नहीं किया। इसकी एक वजह ये भी हो सकती है कि वसुंधरा का यात्रा मार्ग अजमेर उत्तर में ही था। हां, पार्षद बीना सिंगारियां ने जरूर तनिक सक्रियता दिखाते हुए अपना नाम दावेदारों में शुमार करने की कोशिश की है। उनकी इस दावेदारी को कितनी गंभीरता से लिया जाएगा, कुछ कहा नहीं जा सकता। यूं अंदर की अंदर मेयर पद के प्रत्याशी रहे डॉ. प्रियशील हाड़ा को भी दावेदार माना जाता है, मगर वे खुल कर सामने आने से बच रहे हैं।
-तेजवानी गिरधर

भाजपा की सभा देख कांग्रेसियों की हवाइयां उड़ीं

भाजपा की सुराज संकल्प यात्रा के तहत प्रदेश अध्यक्ष श्रीमती वसुंधरा राजे के भव्य स्वागत और बड़ी सभा को देख कर कांग्रेसी नेताओं की हवाइयां उड़ गई हैं। पोस्टर व बैनरों से अटे पड़े वसुंधरा के यात्रा मार्ग और सभा में कांग्रेस की तुलना में दस गुना भीड़ को देख हवाइयां उडऩी ही थी। हालांकि वे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के कांग्रेस संदेश यात्रा के तहत अजमेर आगमन के दौरान आंधी चलने को सभा में भीड़ कम आने का बहाना बना कर खुद को बहला सकते हैं, मगर मन ही मन वे जानते हैं कि कांग्रेसी सभा की भद्द क्यों पिटी? जानकारी के अनुसार शहर में कांग्रेस की इस हालत पर प्रदेश के नेताओं ने मंथन भी शुरू कर दिया है।
बहरहाल, अब होगा ये कि शहर कांग्रेस अध्यक्ष महेन्द्र सिंह रलावता अपनी विरोधी लॉबी पर ठीकरा फोड़ेंगे कि उन्होंने सभा को सफल बनाने के लिए कुछ नहीं किया, तो रलावता लॉबी ये कह कर उलाहना देगी कि रलावता ने पार्टी का सत्यानाश कर दिया है। पार्टी की इस फूट से प्रदेश के बड़े नेता अच्छी तरह वाकिफ हैं, मगर वसुंधरा की सफल सभा को देख कर उनकी भी नींद ही उड़ गई है। वे भले ही गहलोत की सभा में सभी गुटों के नेताओं को एक जगह एकत्रित कर संतुष्ट हों, मगर अब समझ चुके होंगे कि धरातल पर न केवल कांग्रेसी कार्यकर्ता हतोत्साहित हैं, अपितु आम जनता में भी कांग्रेस व गहलोत के प्रति क्रेज समाप्त हो चला है। ऐसा नहीं है कि भाजपा में गुटबाजी नहीं है, वहां भी कांग्रेस की तरह ही तलवारें खिंची हुई हैं, मगर पार्टी मंच पर सभी एकजुट हैं, जबकि कांग्रेसी नेता खुद के वजूद की खातिर पार्टी को रहे नुकसान को लेकर कत्तई चिंतित नहीं हैं। अगर कांग्रेस ने अब भी समय रहते हालात पर काबू नहीं किया तो एक बार फिर भाजपा अजमेर शहर की दोनों सीटों पर काबिज हो जाएगी। वसुंधरा की यात्रा से यह तो स्थापित हो चुका है कि यदि आज चुनाव हों तो कांग्रेस बुरी तरह से हार जाएगी। आगे भी यही स्थिति रहने वाली है, बशर्ते भाजपा टिकट वितरण में लापरवाही न बरते।
-तेजवानी गिरधर

वसुंधरा के भाषण से वंचित रह सकती थी अजमेर की जनता

हालांकि प्रदेश भाजपा अध्यक्ष श्रीमती वसुंधरा राजे की अजमेर यात्रा हर दृष्टि से सफल रही, चाहे समर्थकों के उत्साह की दृष्टि से, चाहे जगह-जगह स्वागत के लिहाज से, या फिर सभा में उमड़ी भीड़ के मद्देनजर, मगर थोड़ी सी लापरवाही और होती तो अजमेर की जनता उनका भाषण सुनने से महरूम रह सकती थी। असल में वसुंधरा का काफिला पहले से ही काफी देरी से चल रहा था। इस कारण यात्रा प्रबंध संभालने वालों की कोशिश ये थी कि रास्ते में हो रहे स्वागतों में कम से कम समय खर्च किया जाए, ताकि वसुंधरा राजे सभा में इतना पहले तो पहुंच ही जाएं कि बीस मिनट से आधा घंटा तक संबोधित कर सकें। नियम के अनुसार रात दस बजे बाद वे भाषण देेने से परहेज रखती हैं। प्रबंधकों की लाख कोशिश के बाद भी वे कामयाब नहीं हो पाए।
अजमेर आगमन पर सबसे पहले रीजनल कॉलेज के सामने भाजयुमो के प्रदेश कार्यकारिणी के सदस्य अमित भंसाली के नेतृत्व में सैकड़ों कार्यकर्ताओं के उत्साह को देखते हुए उन्हें स्वागत मंच के पास रुकना पड़ा। हालांकि वे रथ से बाहर नहीं निकलीं, मगर रथ में लगी लिफ्ट से ऊपर आकर कार्यकर्ताओं का अभिनंदन स्वीकार किया। अमित भंसाली, नितेष आत्रेय, नितिन शर्मा एवं युवा मोर्चा कार्यकर्ताओं ने उनको तलवार भेंट की। शक्ति प्रदर्शन के लिहाज से सर्वाधिक तगड़ा आयोजन था।
इसके बाद रीजनल कॉलेज तिराहे पर विधायक वासुदेव देवनानी समर्थकों ने स्वागत किया। वैशाली नगर में निगम के उपमहापौर अजीत सिंह राठौड़, वीरेंद्र बालिया, राजेश पाराशर ने पुष्प गुच्छ भेंट कर स्वागत किया। वैशाली नगर में ही विभिन्न शिक्षक संगठनों, गिरधर शर्मा, संदीप भार्गव सहित अन्य कार्यकर्ताओं ने स्वागत किया। वैशाली नगर स्थित देवनारायण मंदिर के सामने पूर्व सरपंच कंचन गुर्जर व संतोष देवी के नेतृत्व में स्वागत किया गया। गोविंद राय भडाणा, धन्नालाल, रामदेव बावला ने चूनरी ओढ़ाई तो देवसेना के जिलाध्यक्ष नंदकिशोर गुर्जर ने तलवार भेंट की। क्रिश्चियन गंज में पार्षद नीरज जैन ने बड़ी संख्या में समर्थकों के साथ स्वागत किया। इसी प्रकार खुद को अजमेर दक्षिण का दावेदार मान रहीं पार्षद बीना सिंगारिया ने महिलाओं के साथ स्वागत किया। क्रिश्चियनगंज स्थित शिव मंदिर पर स्वागत धर्मेंद्र सिंह चौहान और नवीन बंसल आदि ने किया। सावित्री चौराहे पर विधायक अनिता भदेल के नेतृत्व में पार्षद दिनेश चौहान, संपत सांखला, दलजीत सिंह आदि ने स्वागत किया। बेशक इन स्वागतों से कार्यकर्ताओं का उत्साह झलक रहा था, मगर था यह शक्ति प्रदर्शन ही। इन स्वागतों में लग रहे समय के कारण प्रबंधक परेशान थे। प्रबंधकों के हस्तक्षेप के कारण कई जगह समर्थकों को मायूस भी होना पड़ा। इस बीच किसी ने सुझाव दिया कि चूंकि वसुंधरा राजे तीर्थराज पुष्कर में रुकी हैं, इस कारण उन्हें दरगाह भी जाना चाहिए, ताकि मुसलमानों में भी अच्छा संदेश जाए। दिक्कत ये थी कि रात दस बजे के बाद जातीं तो आस्ताना मामूल हो जाता, अत: सभा से पहले ही जाने का निर्णय हुआ। मजबूरी में अचानक हुए इस परिवर्तन से प्रबंधक परेशान हो गए, मगर कोई चारा नहीं था। सावित्री चौराहे पर रथ से उतर कर अन्य वाहन में बैठीं और दरगाह के लिए रवाना हुईं, मगर रास्ते में भी इतना स्वागत हुआ कि उन्हें दरगाह में पहुंचते-पहुंचते नौ बज कर बीस मिनट हो गए। वहां करीब 15 मिनट और लग गए। नतीजतन शाम छह बजे के निर्धारित समय की बजाय सभा स्थल पर नौ बज कर तैयांलीस मिनट पर पहुंच पाईं। इस कारण वे मात्र तेरह मिनट ही भाषण दे पाईं। यदि मार्ग में थोड़ा और विलंब होता तो अजमेर की जनता वसुंधरा का भाषण सुनने से वंचित रह सकती थी। समझा जा सकता है कि जिस सभा के लिए शहर भाजपा ने इतनी ताकत झोंकी, उसमें जुटाए गए लोगों को भाषण सुनने का मौका न मिलता तो उसको लेकर पार्टी के भीतर सिर फुटव्वल हो जाती।
यात्रा का प्रबंध संभालने वालों का आकलन ये बताया जा रहा है कि सभा स्थल पर देरी से पहुंचने का प्रमुख कारण दावेदारों का शक्ति प्रदर्शन और स्वागत-सत्कार रहा। चूंकि सर्वाधिक जगह शक्ति प्रदर्शन विधायक प्रो. वासुदेव देवनानी समर्थकों ने किया, इस कारण सभा स्थल पर देरी से पहुंचने का ठीकरा उन पर फूट सकता है। स्वाभाविक सी बात है कि देवनानी विरोधी खेमा इसका लाभ उठाने की कोशिश करेगा। यहां यह बताने की जरूरत नहीं है कि सभा में भीड़ जुटाने की पूरी जिम्मेदारी शहर भाजपा व दोनों विधायकों के सिर पर थी, मगर इस सब में सामंजस्य प्रदेश उपाध्यक्ष औंकार सिंह लखावत बैठा रहे थे, इस कारण सफलता का श्रेय उन्हीं के खाते में जाना था, जो देवनानी को भला कैसे गवारा होता। ऐसे में सभा स्थल पर वसुंधरा को कम समय मिलने का दोष वे देवनानी पर मढ़ सकते हैं, यह कह कर कि उन्होंने सभा की बजाय अपने शक्ति प्रदर्शनों पर ज्यादा ध्यान दिया, जिससे काफी समय खराब हुआ। मूलत: दो धड़ों में बंटी भाजपा की यह खींचतान प्रत्यक्षत: भले ही नजर नहीं आई हो, मगर कार्यकर्ताओं में इस मुद्दे पर खासी चर्चा है। वैसे भी किसी बड़े आयोजन के बाद उसकी सफलता से ज्यादा चर्चा कमियों पर हुआ करती है, भले ही वह किसी परिवार का विवाह समारोह ही क्यों न हो। ऐसे में एक राजनीतिक पार्टी, जो कि गुटबाजी से त्रस्त है, उसमें तो टांग-खिंचाई होनी ही है।
-तेजवानी गिरधर