
दशरथ सिंह के खुलासे के बाद यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा कि भले ही अपने आंचल में दरगाह ख्वाजा गरीब नवाज और तीर्थराज पुष्कर को समेटे अजमेर को सांप्रदायिक सौहार्द्र के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता हो, मगर हकीकत ये है कि यह आज बारूद के ढ़ेर पर बैठा है। इतना ही नहीं दशरथ सिंह की गिरफ्तारी के बाद जिस प्रकार दरगाह शरीफ के मेन गेट पर खादिमों की संस्था अंजुमन के पूर्व सदर सैयद किबरिया चिश्ती व पूर्व सचिव सैयद सरवर चिश्ती ने जिस तल्ख अंदाज में प्रतिक्रिया दी, उससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह शहर किसी भी वक्त अशांति के आगोश में समा सकता है।
असल में अजमेर पिछले लंबे अरसे से आपराधिक गतिविधियों का केन्द्र बनता जा रहा है। प्रसंगवश बताना लाजिमी है कि पिछले दिनों अजमेर पुलिस को उदयपुर पुलिस के माध्यम से यह जानकारी मिली थी कि मुम्बई के तीन शार्प शूटर मोहम्मद आजम, तानिश शाह और अयूब एक इंडिगो कार में सवार हो कर नाथद्वारा से अजमेर दरगाह जियारत करने आए हुए हैं। वे किसी गम्भीर वारदात को भी अंजाम दे सकते हैं। पुलिस रात भर उनकी तलाश करती रही पर कुछ हाथ नहीं आया। दूसरे दिन सूचना मिली कि शार्प शूटर इंडिगो कार में सवार होकर रेलवे स्टेशन की और जा रहे हैं। पुलिस ने स्टेशन पर नाकाबंदी की, मगर शार्प शूटर सचेत हो गए और कार छोड़ कर भाग गए। पुलिस ने लाख कोशिश की मगर वे हाथ नहीं आए। केवल कार का ड्राइवर श्यामलाल ही पकड़ में आ पाया।

उल्लेखनीय है कि शहर में जिंदा हथगोला मिलने का यह पहला मामला नहीं है। इससे पूर्व वर्ष 2009 में सितंबर के अंतिम सप्ताह में हाथीखेड़ा गांव के पहाड़ी क्षेत्र में भी 4 जिंदा हैंड ग्रेनेड मिले थे। लोहाखान क्षेत्र में एक खंडहर से मशीनगन की बुलेट भी बरामद हो चुकी हैं।
असल में पिछले कुछ समय से हो रही इस प्रकार की आपराधिक घटनाओं से अजमेर यकायक अति संवेदनशील शहरों की गिनती में आ गया है। यूं तो मादक पदार्थों का ट्रांजिट सेंटर बने दरगाह इलाके व पुष्कर में अंडरवल्र्ड के लोगों की आवाजाही की वजह से इस सरजमीं के नीचे सुलग रही आग का इशारा समय-समय पर मिलता रहा है, मगर दरगाह में बम फटने के बाद तो यह साबित ही हो गया कि आतंकवाद के राक्षस ने यहां भी दस्तक दे दी है।

इसी प्रकार निकटवर्ती किशनगढ़ की मार्बलमंडी में हिजबुल मुजाहिद्दीन का खुंखार आतंकवादी शब्बीर हथियारों सहित पकड़ा गया तो पुलिस और खुफिया तंत्र सकते में आ गया था। तब जा कर इस बात का खुलासा हुआ कि दरगाह इलाके की ही तरह किशनगढ़ की मार्बलमंडी में भी देशभर से लोगों की आवाजाही के कारण संदिग्ध लोग आसानी से घुसपैठ कर जाते हैं। इसी प्रकार दरगाह इलाके में पाक जासूस मुनीर अहमद और सलीम काफी दिन तक रह कर अपनी गतिविधियां संचालित कीं, लेकिन खुफिया तंत्र तो भनक तक नहीं लगी। शब्बीर की निशानदेही पर हैदराबाद में पकड़े गए मुजीब अहमद के तार आईएसआई से जुड़े होने के पुख्ता प्रमाण मिले।
अपराधियों के हौसले इतने बुलंद हैं कि वे जेल से ही आपनी गेंगों का संचालन कर रहे हैं। इस सिलसिले में अनेक बार मोबाइल सहित अन्य आपत्तिजनक चीजें भी बरामद हो चुकी हैं।
खुफिया पुलिस बीच-बीच में आसानी से आ-जा रहे बांग्लादेशी घुसपैठियों को पकड़ कर भले ही अपनी पीठ थपथपाती रही है, मगर वह इसके लायक नहीं, यह तब साबित हो गया, जब मुंबई बम ब्लास्ट का मास्टर माइंड हेडली पुष्कर हो कर चला गया। तब ही इशारा हो गया था कि पुष्कर में स्थित इजरायलियों का धर्म स्थल बेद खबाद आतंकियों के निशाने पर है। इसी प्रकार ब्रह्मा मंदिर को खतरे की सूचनाएं भी समय समय पर मिलती रही हैं। हाल ही दो पाकिस्तानियों के पुष्कर में आ कर लौट जाने व पुलिस तंत्र को इसकी जानकारी बाद में मिलने से अंदाजा लगाया जा सकता है, यह अति संवेदनशील शहर आज बारूद के ढ़ेर पर बैठा है और पुलिस तंत्र नीरो की तरह चैन की बंसी बजा रहा है।
-तेजवानी गिरधर