शुक्रवार, 11 मई 2012

300 करोड़ गाय खा गई, 3 करोड़ पर हो रहा है हंगामा

तैयारियों पर चिंतन करते शहर कांग्रेसअध्यक्ष रलावता व अन्य
डाक्टर बाहेती के बोलते ही नसीम अख्तर समर्थक उबले
अजमेर। ख्वाजा गरीब नवाज के 800वें सालाना उर्स की तैयारियों को लेकर इन दिनों राजनीति गरमाई हुई है। एक ओर जहां इस मसले पर कांग्रेसी आपस में टकरा रहे हैं, वहीं कुछ कांग्रेसी अजमेर उत्तर के विधायक प्रो. वासुदेव देवनानी को निष्क्रियता के नाम पर निशाना बना रहे हैं। उधर हाल ही बार अध्यक्ष बने वरिष्ठ कांग्रेसी राजेश टंडन ने भी अपने पुराने फोर्म में आते हुए मोर्चा खोल रखा है। बेशक जब इतना बवाल मचा हुआ है तो इसकी वाजिब वजह भी है। मेला क्षेत्र में इंतजामात ठीक से नहीं हो पाए हैं। इन सबके बीच प्रशासन को किसी की परवाह नहीं है। वह अपने चिर परिचित तरीके से काम को निपटा रहा है।
इन सबसे हट कर विचार करें तो यह बेहद अफसोसनाक है कि यह वही उर्स है, जिसको लेकर तीन सौ करोड़ रुपए की योजना बनी, मगर उसे गाय खा गई और ये ही नेता व प्रशासन मूक दर्शक बने ऐसा व्यवहार कर रहे थे, मानो अजमेर का कोई धणीधोरी ही नहीं हो। ज्ञातव्य है कि उर्स मेले में जब चंद दिन रह गए तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बड़ी मेहरबानी करते हुए तीन करोड़ रुपए मंजूर किए, जो कि ऊंट के मुंह में जीरे के बराबर भी नहीं है।
चलो, सबसे पहले बात करते हैं कांग्रेसियों के बीच हो रही नुक्ताचीनी की। शिक्षा मंत्री श्रीमती नसीम अख्तर खेमे के चंद कांग्रेसियों को तकलीफ है कि पूर्व विधायक डॉ. श्रीगोपाल बाहेती मेले को लेकर क्यों बोल रहे हैं, मानो उनको अब बोलने का कोई हक ही नहीं रहा। कहने की जरूरत नहीं है कि ये वे ही बाहेती हैं, जिनकी जाफरी में बैठ कर नसीम अख्तर के मियां जनाब इंसाफ अली ने राजनीति का ककहरा सीखा था। मगर अब चूंकि उनकी बेगम मंत्री बन गई हैं तो बाहेती बौने नजर आने लगे हैं। नसीम अख्तर खेमे के कांग्रेसियों ने डा. बाहेती की सक्रियता को राजनीतिक स्वार्थ करार दिया है। तारागढ़ दरगाह कमेटी के अध्यक्ष सरवर सिद्दीकी, गरीब नवाज सूफी मिशन सोसायटी के अध्यक्ष शेखजादा जुल्फिकार चिश्ती, पार्षद सैयद अस्मत बीबी, सैयद आले हुसैन, अब्दुल नईम खान, सैयद एनुद्दीन चिश्ती ने बयान जारी कर आरोप लगाया है कि डा. बाहेती ने चुनाव हारने के साढ़े तीन साल बाद सार्वजनिक बैठक लेकर लोगों को प्रशासन के खिलाफ उकसाने, भड़काने एवं गुमराह करने का काम किया है। इससे पहले हुए तीन उर्स में उन्होंने केवल विज्ञप्ति ही जारी की। सरकार ने पहली बार मंत्री को उर्स की जिम्मेदारी सौंपी है। इसके अलावा सुविधाओं के लिए धन भी दिया है। जाहिर सी बात है कि उन्हें तकलीफ ये है कि जब मंत्री महोदया को जिम्मेदारी दे दी गई है तो बाहेती बीच में कैसे बोल रहे हैं। मानो मंत्री महोदया के नाम पर ठेका छूट गया हो और अब किसी और को बोलने का हक ही नहीं रहा। असल में पूर्व विधायक डा. बाहेती बिलकुल ठीक कह रहे हैं। उनका कहना है कि उर्स के लिए की जा रही तैयारियां पर्याप्त नहीं हैं। उर्स व्यवस्थाओं को लेकर मुख्यमंत्री गंभीर हैं, लेकिन प्रशासनिक स्तर पर सरकार की मंशा के अनुरूप गंभीरता नहीं दिखाई जा रही है। डा. बाहेती ने दरगाह क्षेत्र का दौरा कर बैठक आयोजित की, जिसमें वक्ताओं ने शिक्षा राज्यमंत्री नसीम अख्तर तथा गृह राज्यमंत्री वीरेंद्र बेनीवाल के खिलाफ यह कह दिया कि उन्होंने अधिकारियों की एक-एक बैठक लेकर अपने फर्ज की इतिश्री कर ली है। बस इसी बात को लेकर नसीम अख्तर के समर्थकों को तकलीफ हो गई।
उधर मंत्री महोदया को जिम्मेदारी दिए जाने के बाद भी शहर कांग्रेस को उर्स मेले की चिंता ने सताया तो शहर अध्यक्ष महेन्द्र सिंह रलावता की अध्यक्षता में अल्पसंख्यक नेताओं, संबंधित पार्षदों तथा कमेटी के पदाधिकारियों बैठक आयोजित की गई। रलावता ने जायरीन की सुविधाओं से जुड़े काम उर्स से पहले कराने के लिए अधिकारियों से बातचीत की। यानि कि यह बात सही है कि तैयारियां संतोषजनक नहीं हैं, इसी कारण उन्हें बात करनी पड़ी। अब देखना ये होगा कि कहीं रलावता की इस पहल पर तो विवाद खड़ा नहीं होता।
रहा सवाल नगर निगम मेयर कमल बाकोलिया व नगर सुधार न्यास सदर नरेन शहाणी भगत का तो वे अपने-अपने हिसाब से तैयारियों पर निगरानी रखे हुए हैं, मगर प्रशासन उनको कितनी तवज्जो देता है, सब जानते हैं।
उधर कुछ कांग्रेसियों ने अपनी पार्टी की ही सरकार के होते हुए भाजपा विधायक प्रो. वासुदेव देवनानी को इस बात के लिए जिम्मेदार ठहरा दिया कि उर्स में बरती जा रही प्रशासनिक लापरवाही उनकी निष्क्रियता के कारण है। अखिल भारतीय राजीव गांधी ब्रिगेड और कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने दरगाह के निजाम गेट बाहर देवनानी का पुतला भी जलाया। ब्रिगेड के अध्यक्ष मोबिन चिश्ती ने कहा कि प्रशासन तैयारियों के नाम पर लिपापोती कर रहा है। बात तो उनकी सही है, मगर इसके लिए सीधे तौर पर या तो प्रशासन जिम्मेदार है या फिर उन पर निगरानी कर रहे दो मंत्री। मगर न जाने किस की प्रेरणा से उन्होंने देवनानी के सिर ठीकरा फोड़ दिया।
बहरहाल, देवनानी की नींद भी खुली और उन्होंने भारतीय जनता पार्टी अल्पसंख्यक मोर्चा के कार्यकर्ताओं के साथ जिला कलेक्टर अजमेर को ज्ञापन सौंप कर कोताही व लापरवाही बरते जाने का आरोप लगाया। उन्होंने इस बात पर रोष प्रकट किया कि उर्स प्रारम्भ होने में बहुम कम दिन शेष रहे हैं, परन्तु प्रशासनिक स्तर पर इसकी तैयारियों को लेकर गंभीरता नहीं बरती जा रही है।
जब सब हंगामा कर रहे हों तो भला बार अध्यक्ष राजेश टंडन चुप कैसे बैठ सकते हैं। वे भी दरगाह इलाके पर नजर रखे हुए हैं। वैसे भी उन्होंने इन दिनों जिला कलेक्टर मंजू राजपाल के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। वे उन्हें नेगेटिव सोच की लेडी मानते हुए अजमेर फोरम की बैठक में सरकारी मुख्य सचेतक डॉ. रघु शर्मा से उनका तबादला करवाने की मांग कर चुके हैं।
उधर संभागीय आयुक्त अतुल शर्मा को लगा कि माहौल बिगड़ रहा है तो उन्होंने प्रशासनिक बैठक बुला कर जायरीन की सुविधा के सारे इंतजाम पुख्ता करने के निर्देश दिये। इस पर जिला कलेक्टर श्रीमती मंजू राजपाल, नगर निगम के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सी.आर.मीना, नगर सुधार न्यास के सचिव श्रीमती पुष्पा सत्यानी, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक लोकेश सोनवाल तथा अतिरिक्त कलेक्टर शहर जे.के.पुरोहित, सार्वजनिक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता अशोक अग्रवाल आदि ने कोई कोर कसर बाकी न होने की दुहाई दी। उनके दावों में जो सच्चाई है, उसे तो जायरीन ही भुगतेगा।
खैर, कुल मिला कर उर्स की सरगरमी शुरू होने से पहले ही अजमेर की राजनीति गरमाई हुई है। अफसोस इसी बात का है कि यही खून तब ठंडा क्यों पड़ा था, जब तीन सौ करोड़ रुपए की योजना धीरे-धीरे फाइलों में दफन होती जा रही थी।

-तेजवानी गिरधर
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