गुरुवार, 4 जुलाई 2013

किरण माहेश्वरी को तलाश है नई सीट की, नजर अजमेर पर तो नहीं?

अजमेर में एक बैठक को संबोधित करतीं किरण माहेश्वरी
क्या भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्रीमती किरण माहेश्वरी को नई विधानसभा सीट की तलाश है, यह सवाल इन दिनों भाजपाइयों में खासा चर्चा का विषय है। असल में यह सवाल इस कारण उठा है कि किरण को अपनी सीट राजसमंद, जहां से कि वे अभी विधायक हैं, अब बहुत मुफीद नजर नहीं आती।
आपको याद होगा कि पिछले दिनों पार्टी वरिष्ठ नेता एवं पूर्व गृह मंत्री गुलाब चंद कटारिया की प्रस्तावित लोक जागरण अभियान यात्रा को लेकर पार्टी में जो आग लगी थी, वह राजसमंद में ही सुलगी थी। कटारिया की यात्रा के सिलसिले में राजसंमद जिला भाजपा की बैठक में जम कर हंगामा हुआ। कटारिया की धुर विरोधी राजसमंद विधायक श्रीमती किरण माहेश्वरी और भीम विधायक हरिसिंह ने यात्रा कड़ा विरोध किया और यात्रा को काले झंडे दिखाने तक की धमकी दी गई। हालात धक्का-मुक्की तक आ गए तो किरण फूट-फूट कर रो पड़ी। इस घटना में यह बात रेखांकित हुई थी कि जिस इलाके की वे विधायक हैं, वहीं की स्थानीय इकाई यदि उनके विरोधी कटारिया का साथ देती है, तो इससे शर्मनाक बात कोई हो ही नहीं सकती। मौके पर खींचतान कितनी थी, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि प्रदेश भाजपा महासचिव सतीश पूनिया तक मूकदर्शक से किंकर्तव्यविमूढ़ बने रह गए। मामला जयपुर और दिल्ली तक पहुंचा तो भाजपा में भूचाल ही आ गया और कटारिया को यात्रा स्थगित करनी पड़ गई। नतीजतन यही समझा गया कि किरण ज्यादा पावरफुल साबित हुई हैं, मगर धरातल पर उनकी कमजोरी भी उजागर हो गई। यद्यपि अब कटारिया को मना लिया गया है और वे प्रदेश भाजपा अध्यक्ष श्रीमती वसुंधरा राजे की सुराज संकल्प यात्रा में पूरा साथ दे रहे हैं, मगर जमीनी हकीकत ये है कि मेवाड़ अंचल में कटारिया व किरण के बीच बंटे कार्यकर्ताओं के मन की खटास कम नहीं हुई है। ऐसे में संभव है किरण राजसमंद से चुनाव लडऩे की रिस्क नहीं लें। इसी कारण यह चर्चा है कि वे कोई और अनुकूल सीट की तलाश में हो सकती हैं।
दिलचस्प बात ये है कि इस चर्चा को इस कारण और बल मिला है, क्योंकि उनका अजमेर में आना-जाना बढ़ गया है। यद्यपि इसके पीछे तर्क ये दिया जा सकता है कि उन्हें पार्टी ने जिम्मेदारी सौंपी है, मगर जितनी बारीकी से वे यहां काम कर रही हैं, उससे स्थानीय भाजपाइयों को संदेह होता है कि कहीं उनकी अजमेर उत्तर की सीट पर तो नजर नहीं है, जहां यूं तो मौजूदा विधायक प्रो. वासुदेव देवनानी की टिकट पक्की मानी जाती है, मगर भाजपा का एक बड़ा धड़ा उनकी टिकट कटवाने के लिए एडी चोटी का जोर लगाए हुए है।
जहां तक इस सीट पर पकड़ का सवाल है, लोकसभा चुनाव लड़ चुकने के कारण उन्हें अच्छी तरह पता है कि यहां कितनी पोल है। उन्हें यह भी जानकारी है कि कौन सा नेता व कार्यकर्ता काम का है और कौन सा नहीं। इसके अतिरिक्त अजमेर उत्तर में उनकी परफोरमेंस भी ठीक रही। हालांकि लोकसभा चुनाव व विधानसभा चुनाव के समीकरणों में काफी अंतर होता है, फिर भी इनके आंकड़ों पर नजर डालें तो लोकसभा चुनाव में भाजपा की बढ़त में इजाफा हुआ था। विधानसभा चुनाव में भाजपा ने कांग्रेस से 688 वोट अधिक हासिल किए, जबकि लोकसभा चुनाव में बढ़त का आंकड़ा 2 हजार 948 तक पहुंच गया। विधानसभा चुनाव में भाजपा के प्रो. वासुदेव देवनानी को 41 हजार 905, जबकि कांग्रेस के डॉ. श्रीगोपाल बाहेती को 41 हजार 219 वोट हासिल हुए। लोकसभा चुनाव में भाजपा का मत बढ़ा। कांग्रेस के सचिन पायलट को 39 हजार 241, जबकि भाजपा की किरण माहेश्वरी को 42 हजार 189 वोट मिले थे। कुल मिला कर किरण को ये लग सकता है कि अगर उन्हें यह सीट मिल जाए तो वे जीत सकती हैं। हालांकि उन्हें यहां से टिकट मिलना दूर की कौड़ी है, मगर भाजपाइयों में जिस प्रकार की खुसर-पुसर हो रही है, उससे तो इसी बात के संकेत मिल रहे हैं कि वे अजमेर में विशेष रुचि ले रही हैं।
-तेजवानी गिरधर