मंगलवार, 30 मई 2017

महाराणा प्रताप जयंती पर एक नहीं, तीन कार्यक्रम हुए

कहां तो पुष्कर घाटी पर नौसर माता मंदिर के पास स्थित महाराणा प्रताप स्मारक पर शिलान्यास से लेकर पिछले साल तक अकेले यूआईटी के पूर्व अध्यक्ष धर्मेश जैन जैसे-तैसे साधन-संसाधन जुटा कर जयंती कार्यक्रम करते थे, मगर अब मूर्ति स्थापना के बाद एक नहीं तीन-तीन कार्यक्रम हुए। मुख्य कार्यक्रम तो अजमेर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष शिव शंकर हेडा ने जैन से छीन ही लिया और उसे तीन दिन का कर दिया। साथ ही दो अन्य कार्यक्रम भी हुए। दिलचस्प बात ये है कि अन्य दो कार्यक्रमों में से एक सीधे तौर पर संघ विचारधारा के संगठन हिंदू जागरण मंच, चित्तौड़ प्रांत की ओर से किया गया। समझा जा सकता है कि वह संघ की उस मुहिम की पूर्ति कर रहा है, जिसके तहत अकबर की बजाय महाराणा प्रताप को हीरो बनाने की कोशिश की जा रही है। इसी प्रकार तीसरा कार्यक्रम अखिल भारतीय घुमंतू गाडिय़ा लुहार समाज का था, जिसके विशिष्ट अतिथि शिक्षा राज्य मंत्री प्रो. वासुदेव देवनानी थे। अगर प्रयास किए जाते तो अन्य दो संस्थाओं को भी मुख्य कार्यक्रम में समाहित किया जा सकता था, मगर ऐसा हो नहीं पाया। यहां गौरतलब है कि हेडा से जब पूछा गया था कि जैन को नजरअंदाज क्यों किया जा रहा है तो हेड़ा ने गोलमोल जवाब देते हुए कहा था कि उनके कार्यक्रम में पूरे शहर व कई संस्थाओं को जोड़ा गया है तो सवाल उठता है कि इन दो संस्थाओं को अलग से कार्यक्रम करने की जरूरत क्यों पड़ी?
ज्ञातव्य है प्राधिकरण की ओर से 28 मई को शाम 4.30 बजे सम्राट पृथ्वीराज महाविद्यालय से महाराणा प्रताप स्मारक तक चैतक वाहन रैली निकाली गई। ये रैली महाविद्यालय से होते हुए महाराणा प्रताप स्मारक पर सम्पन्न हुई।
इसी प्रकार हिन्दू जागरण मंच, चित्तौड़ प्रांत द्वारा 27 मई को वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप जयंती पर राष्ट्र गौरव वाहन रैली का आयोजन किया गया। रैली राजकीय महाविद्यालय से प्रारंभ होकर महाराणा प्रताप स्मारक नौसर घाटी पर समाप्त हुई।
इसी प्रकार अखिल भारतीय घुमंतू गाडिय़ा लुहार समाज के तत्वावधान में 28 मई को महाराणा प्रताप जयंती पर शोभायात्रा निकाली गई।
उल्लेखनीय है कि जैन के कार्यकाल में 17 जून 2007 को महाराणा प्रताप स्मारक का शिलान्यास किया गया था। बाद में कांग्रेस सरकार आ गई। उसने इस पर मूर्ति स्थापना में रुचि नहीं दिखाई, हालांकि मूर्ति का ऑर्डर हो चुका था। चूंकि इस स्मारक का सपना जैन ने देखा था, इस कारण उनकी इसमें रुचि थी और स्मारक का वजूद कायम रखने के लिए वे हर साल यहां जयंती कार्यक्रम करते रहे। इसके लिए उन्हें अपने स्तर ही खासी मशक्कत करनी पड़ती थी। अब जब कि हेडा के कार्यकाल में स्मारक पर मूर्ति स्थापना हो चुकी है, तो उस मुख्य कार्यक्रम को हेडा ने हथिया लिया है। इतना ही नहीं दो अन्य संस्थाएं भी जाग गईं। मगर अफसोसनाक बात ये है कि जिसने इस स्मारक का सपना देखा, वह आज पूरी तरह से नैपथ्य में चला गया है। हालांकि यह सही है कि जैन को निमंत्रण पत्र देने स्वयं हेडा उनके निवास पर गए थे, और इसी नाते वे कार्यक्रम में गए भी, समुचित सम्मान भी मिला, मगर दिखे बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना की माफिक। शिक्षा राज्य मंत्री देवनानी ने उन्हें ठीकठाक तवज्जो दी।
-तेजवानी गिरधर
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