बुधवार, 15 जुलाई 2015

निगम चुनाव में प्रत्याशियों के चयन की माथापच्ची शुरू

अजमेर नगर निगम के आगामी अगस्त माह में होने वाले चुनाव के लिए कांग्रेस व भाजपा में प्रत्याशियों के चयन को लेकर माथापच्ची शुरू हो गई है। दावेदार अपने-अपने लिए सुविधा वाले वार्ड तलाश कर रहे हैं। उन्होंने टिकट हासिल करने के लिए कमर कस ली है। दावेदार पार्टी नेताओं को देने के लिए बायो डाटा तो बना ही रहे हैं, अपने-अपने इलाकों में अपनी दावेदारी के बैनर-पोस्टर भी चस्पा कर रहे हैं। इसके लिए वाट्स एप व फेसबुक तक का इस्तेमाल किया जा रहा है।
जहां तक तैयारी का सवाल है, भाजपा इस चुनाव को लेकर आश्वस्त है, क्योंकि केन्द्र व राज्य में उनकी सरकार है। स्वाभाविक रूप से उसे सत्तारूढ होने का फायदा मिलेगा ही। भाजपा की चूंकि निचले स्तर पर पकड़ मजबूत है, इस कारण उसे पूरा भरोसा है कि जीत उसी की होगी। उधर कांग्रेस बहुत मजबूत स्थिति में तो नहीं मगर सदमे से तो उबर ही गई है। कांग्रेस इस उम्मीद में है कि डेढ़ साल के भाजपा शासन में उल्लेखनीय उपलब्धि न होने और हाल ही मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे के आरोपों से घिरने के कारण मतदाता का भाजपा से मोह भंग हुआ होगा और उसका लाभ उसे मिलेगा।
असल में निगम क्षेत्र में आने वाले दो विधानसभा क्षेत्रों में यहां के विधायक प्रो. वासुदेव देवनानी व श्रीमती अनिता भदेल ने पहले से ही संभावित दावेदारों पर काम करना शुरू कर दिया था। यहां तक कि वार्डों के पुनर्सीमांकन के समय भी पूरा ध्यान दिया। इस कारण उन्हें उम्मीद है कि बोर्ड उन्हीं का बनेगा। यूं भी प्रत्याशियों की हार-जीत की जिम्मेदारी इन दोनों पर ही रहेगी, क्योंकि उनके चयन में सीधे तौर पर उनका ही दखल होगा। साथ ही भाजपा शहर अध्यक्ष अरविंद यादव के नेतृत्व में नई टीम के साथ उत्साह से भरी हुई है। दूसरी ओर कांग्रेस शहर अध्यक्ष महेन्द्र सिंह रलावता के नेतृत्व में उसी पुरानी टीम के सहारे चुनाव मैदान में उतरेगी। जहां तक अजमेर दक्षिण का सवाल है, वहां विधानसभा चुनाव में हार चुके हेमंत भाटी ने अपने स्तर पर पूरी तैयारी कर रखी है। अपने विधानसभा क्षेत्र के हर वार्ड पर उन्होंने गहरी पकड़ बना ली है और प्रत्याशियों पैनल भी लगभग तय से हैं। हालांकि अभी ये कहना मुश्किल है कि प्रत्याशियों के चयन में उनको कितना फ्री हैंड मिलेगा, मगर इतना तय माना जा रहा है कि अधिसंख्य प्रत्याशी उनकी ही राय के अनुरूप तय होंगे। देखने वाली बात ये होगी कि यहां पूर्व विधायक डॉ. राजकुमार जयपाल, पूर्व उप मंत्री ललित भाटी कितनी टिकट झटक पाते हैं। उधर अजमेर उत्तर में स्थिति विकट बताई जा रही है। यहां की जिम्मेदारी सीधे तौर पर शहर अध्यक्ष महेन्द्र सिंह रलावता को निभानी होगी। इसमें पूर्व विधायक डॉ. श्रीगोपाल बाहेती का भी कुछ दखल होगा। वैसे बताया ये जा रहा है कि प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट ने अपने स्तर पर भी सर्वे करवा लिया है और टिकट वितरण की आखिरी मुहर वे ही लगाएंगे। उनके सर्व टीम को पूरा पता है कि कौन दावेदार कितने पानी में है। इसी कारण दावेदार उनकी मिजाजपुर्सी में लगे हुए हैं। सीधे पायलट के यहां भी हाजिरी भर रहे हैं।
बात अगर मेयर की करें तो चूंकि इस बार पार्षद ही उसका चुनाव करेंगे, इस कारण कुछ स्पष्ट नहीं कहा जा सकता, मगर ऐसी उम्मीद है कि  बोर्ड भाजपा का बना तो मेयर देवनानी की पसंद का ही होगा। इसकी एक मात्र वजह ये है कि अजमेर उत्तर में भाजपा को बढ़त की उम्मीद ज्यादा है। वैसे मेयर पद के दावेदारों में मुख्य रूप से पूर्व मेयर धर्मेन्द्र गहलोत, पूर्व सभापति सुरेन्द्र सिंह शेखावत, पार्षद जे. के. शर्मा, सोमरत्न आर्य आदि के नाम सामने आ रहे हैं। बताया जा रहा है कि गहलोत पर संघ का पूरा वरदहस्त है, इस कारण वे ही सबसे तगड़े दावेदार हैं। उनके लिए बाधा सिर्फ ये है कि वे ओबीसी से हैं, जबकि मेयर की सीट समान्य के लिए है। पिछली बार भी इसी मुद्दे पर गहरा विवाद हुआ था, यह बात दीगर है कि देवनानी के दम पर गहलोत ही काबिज हुए। सुरेन्द्र सिंह शेखावत पर महिला व बाल विकास राज्य मंत्री श्रीमती अनिता भदेल का हाथ है। इसी प्रकार जे. के. शर्मा राज्य सभा सदस्य भूपेन्द्र यादव के आशीर्वाद से आगे बढ़ सकते हैं। ऐसा लगता है कि अगर गहलोत के ओबीसी होने का विवाद बढ़ा तो देवनानी अपने ही गुट के शर्मा पर हाथ रख सकते हैं। सभी से तालमेल बना कर चलने वाले आर्य विवाद की स्थिति में जुगाड़ मंत्र के सहारे दावेदार बन सकते हैं।
कांग्रेस की ओर से मेयर पद का दावेदार कौन होगा, इस बारे में अभी कुछ भी साफ नजर नहीं आ रहा। यूं तो विधानसभा चुनाव में चूंकि प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट अजमेर उत्तर से किसी सिंधी को टिकट नहीं दिलवा पाए थे, इस कारण उन्होंने संभावना जताई थी कि वे किसी सिंधी को प्रोजेक्ट करेंगे, मगर नई सरकार ने उस संभावना को समाप्त कर दिया, चूंकि अब मेयर का चुनाव सीधे न हो कर पार्षदों में से होगा।
इस बीच शहर के कुछ बुद्धिजीवियों की ओर से गठित हम लोग मंच के बैनर तले भी तकरीबन 15 प्रत्याशी उतारने की कोशिश की जा रही है। हालांकि उनके प्रत्याशी जीतने के लायक होंगे, इसमें संदेह है। इसी प्रकार बीपीएल पार्टी के प्रत्याशी भी मैदान में उतरने वाले हैं। ये प्रत्याशी भिन्न भिन्न वार्डों में भिन्न-भिन्न पार्टियों के प्रत्याशियों को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
-तेजवानी गिरधर
7742067000