शुक्रवार, 30 मार्च 2012

दरगाह कमेटी सदस्य तिरमिजी ने की कमेटी को भंग करने की मांग

दरगाह ख्वाजा साहब की व्यवस्थाएं संभालने वाली दरगाह कमेट के सदस्य मोहम्मद सुहेल एम. तिरमिजी ने केन्द्रीय अल्पसंख्यक मंत्रालय के सचिव सुरजीत मित्रा को पत्र लिख कर अध्यक्ष सोहेल अहमद खान व एम. इलियास कादरी पर गंभीर आरोप लगाते हुए दरगाह कमेटी को भंग करने की मांग की है। दरगाह कमेटी के इतिहास में यह पहला मौका है, जब कमेटी के सदस्य ने ही कमेटी को भंग करने की मांग की है। यह पत्र सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी के तहत उजागर हुआ है, जिस पर तिरमिजी कोई भी प्रतिक्रिया देने को तैयार नहीं हैं।
पत्र के प्रमुख अंश इस प्रकार हैं:-
सेवा में,
श्री सुरजीत मित्रा आई.ए.एस.
सचिव,
मिनिस्ट्री ऑफ माइनॉरटी अफेयर्स,
तारीख 06.03.2012
विषय-वर्तमान दरगाह समिति को भंग किया जाए।
श्रीमान महोदय,
मैं आपका धन्यवाद करता हूं कि आपने एक बहुत कुशल प्रशासक और दरगाह समिति का कार्यवाहक नाजिम दिया है, जिसका नाम मोहम्मद अफजल है। माननीय मिनिस्ट्री ऑफ माइनॉरिटी अफेयर्स ने भी मेरे जैसे ईमानदार और समर्पित सदस्य का मार्गदर्शन किया है। अपने कर्तव्यों को पूरा करने के लिए 538 रुपए से अधिक खर्च किया है, लेकिन मैने अभी तक खर्च के इस पैसे को चार्ज नहीं किया है, क्योंकि मैं यह जानता हूं कि यदि मैं यात्रा आदि पर किए गए खर्च को लेता हूं तो यह दानकर्ता की मेहनत की कमाई से दरगाह समिति को दिए गए दान की राशी में से दी जाएगी, जबकि यह लिख कर मैं यह स्पष्ट करता हूं कि दरगाह समिति के किसी भी कर्मचारी या सदस्य के खिलाफ नहीं हूं, लेकिन हमारी नाक के नीचे हो रहे भ्रष्टाचार की अनुमति देना अपराधी को बढ़ावा देने के समान है।
श्री गुलाम किबरिया नामक खादिम ने दरगाह समिति को एक लुभावना प्रस्ताव दिया था कि तीर्थयात्रियों को ठंडे पानी की आपूर्ति की जाएगी। यह परियोजना कभी भी नहीं चली और किबरिया झूठे वादे करते रहे। ठंडे पानी की आपूर्ति के प्रस्ताव का अनुसरण करने के लिए दरगाह समिति द्वारा एक कमरा भी मुहैया कराया गया था। उन्होंने हुजरा नंबर 65 (नया नंबर) पर एक उप किरायेदार के रूप में कब्जा कर लिया। दरगाह समिति ने प्रभावशाली खादिम अंजुमन के सचिव श्री सैयद सरवर चिश्ती को दिनांक 25.03.2010 को एक नोटिस जारी किया।
इस के बाद नाजिम यानी श्री अब्दुल मजीद को नियुक्त किया गया, जो आलसी और अक्षम निकला। उनकी निष्ठा जाहिर तौर पर संदिग्ध थी क्योंकि उन्होंने अपने द्वारा लिए गए फैसलों के बारे कभी भी दरगाह समिति से परामर्श नहीं लिया और न ही उन्हें कभी सूचित किया। ऐसे दो स्पष्ट उदाहरण हैं, जैसे एक किरायेदार यानी मुन्नी बेगम का 14.04.2011 को नियमितीकरण और खादिम अंजुमन के अध्यक्ष और सचिव के पक्ष में दो हुजरों श्री किबरिया और श्री सरवर का नियमितीकरण। ऐसा स्थानीय सदस्य श्री मोहम्मद इलियास कादरी के इशारे पर किया गया है, जिसने दरगाह समिति के अध्यक्ष को राजी करने के लिए नोटशीट पर एक नोट लिखने को कहा, जिसमें दोनों हुजरों के नियमितीकरण इस तथ्य की अनदेखी की गई कि दरगाह समिति की एक महत्वाकांक्षी परियोजना गुलाब जल परियोजना के रूप में है, जिसमें दो साल की कड़ी मेहनत की जा चुकी है और इस गुलाब से बने जल को इस परियोजना को छोड़ दिया गया और खादिम अंजुमन तथा उपर्युक्त दोनों खादिमों के नेतृत्व में इसे अस्वीकृत कर दिया गया।
पत्र में मजार शरीफ पर चढऩे वाले गुलाब के फूलों से रोजगार के अवसर उत्पन्न करने और संभावित उपयोगिताके लिए दरगाह समिति ने यह प्रस्ताव रखा। प्रो सोहेल अहमद खान, दरगाह समिति के अध्यक्ष की पहल पर, हाउस ने परिवर्तन विकास संस्थान (शीर्षांकित परियोजना की निष्पादित एजेंसी) के प्रतिनिधि डॉ. शहिद और जनाब सिब्ते नबी के साथ विचार�विमर्श किया और परियोजनाओं की सामग्री और ब्रीफिंग के आधार पर जो समाधान निकला, वह इस प्रकार है-
समाधान यह है कि मजार शरीफ परियोजना पर गुलाब के फूलों से रोजगार के अवसर उत्पन्न करना और संभावित उपयोगिता की पेशकश, जिसे पहले हुई बैठक में अनुमोदित किया गया है, इसे शीघ्र लागू किया जाए। इस प्रयोजन के लिए समिति ने निम्नलिखित व्यवस्था को मंजूरी दे दी है- परियोजना के लिए सराय चिश्ती चमन में शेड की स्थापना/निर्माण स्थापित प्रक्रियाओं के अनुसार किया जाए और जिसकी लागत 5 लाख रूपए से अधिक नहीं होनी चाहिए। कार्यान्वयन एजेंसी को दरगाह एपार्टमेंट्स, सिविल लाइंस, अजमेर में दो वर्ष की अवधि के लिए मुफ्त कार्यालय एवं निवास उपलब्ध करवाया जाएगा। भारत सरकार के वैज्ञानिक और अनुसंधान संगठन के वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों को 30 दिन (दो वर्ष की अवधि के दौरान) के लिए मुफ्त आवास प्रदान किया जाएगा। लेकिन उर्स के दौरान ऐसा कोई आवास प्रदान नहीं किया जाएगा। परियोजना के सुचारू कार्यान्वयन के लिए एक परियोजना के प्रभारी (क्लर्क के ओहदे से अधिक नहीं) की स्वीकृति दी जाएगी। परियोजना के प्रशिक्षार्थियों को चाय और जलपान उपलब्ध कराने के लिए प्रति माह रुपए 1500 आवर्ती खर्च दिया जाएगा।
दरगाह समिति के अध्यक्ष श्री सोहेल अहमद खान ने दिनांक 02.07.2011 को नोटशीट पर लिखा था कि यह दोनों खादिम दरगाह समिति के शुभचिंतक थे। इससे यह बात पता चलती है कि पिछले नाजिम श्री अब्दुल माजिद ने पिछली तारीख में हस्ताक्षर किए थे, जबकि पहले ही उन्होंने उप सचिव को चार्ज दे दिया था जो इस तरह के दबाव में नहीं आते हैं और दरगाह समिति की जानकारी के लिए कोई मासिक किराया तय नहीं किया गया। यही कारण है कि दो तीन सदस्य और प्रभावशाली खादिम लॉबी से श्री अहमद रज़ा को हटाना चाहते थे, क्योंकि वह इन भ्रष्ट सदस्यों की मदद नहीं करते थे और दरगाह समिति के प्रस्ताव पर जोर देते थे। मेरे पत्र दिनांक 31.10.2011 के पेज नंबर 000407 में मैने यह चेताया था कि अधिनियम या उपनियम के अनुसार दरगाह समिति के अध्यक्ष ऐसे फैसले अकेले लेने के लिए अधिकृत नहीं हैं। अध्यक्ष द्वारा दरगाह समिति को विश्वास में लिए बिना अकेले कार्य करने को संदेह की नजरों से देखा जा सकता है। मौजूदा व्यवहार और कानून के तहत निर्धारित प्रक्रिया को तोडऩे पर यह भ्रष्टाचार की शिकायत का मामला बनता है।
मैं व्यक्तिगत रूप से किसी भी खादिम या किरायेदार के खिलाफ नहीं हूं, फिर भी, मुझे कुछ सदस्यों के द्वारा दरगाह समिति के परामर्श के बिना छल और मनमाने ढंग से लिए गए निर्णयों के लिए कड़ी आपत्ति है। जब श्री किबरिया अंजुमन के अध्यक्ष थे और श्री सरवर खादिम अंजुमन के सचिव थे, अन्य खादिम और किरायेदार जिनके खिलाफ अदालत में सिविल मामले लंबित हैं, उनके सामने दरगाह समिति के रुख को कैसे ठीक ठहराया जा सकता है। इस मनमाने निर्णय की निंदा की जानी चाहिए। संविधान और दरगाह समिति अधिनियम 1995 के अनुसार समिति के निर्णय मान्य होते हैं किसी एक व्यक्ति के निर्णय नहीं। इस्लामी कानून का भी यह कहना है कि एक निर्णय लेने से पहले उस विषय पर चर्चा होनी चाहिए, मशवरा करना चाहिए। एक अध्यक्ष, किसी एक सदस्य, जिसकी निष्ठा संदिग्ध है, के साथ मिलकर ऐसा निर्णय कैसे ले सकता है? मैं यह कहना चाहता हूं कि अगर दो खादिमों के साथ तरफदारी की जाती है, तो इसी तरह का व्यवहार बाकी सभी खादिमों के साथ भी किया जाना चाहिए।
इसी तरह की स्थिति तब पैदा हुई जब अध्यक्ष श्री सोहेल अहमद खान ने मनमाने ढंग से दरगाह ख्वाजा हिसामुद्दीन चिश्ती (आरए) (सांभर शरीफ) और ख्वाजा चिश्ती फखरुद्दीन(आरए) (शालवद शरीफ) के रखवाले (केयर टेकर) को एक लाख रूपए वार्षिक अनुदान देने की घोषणा की। यह निर्णय भी बजट के प्रावधानों को देखे बिना और समिति के सदस्यों से परामर्श के बिना मन माने ढंग से लिया गया था। जबकि ख्वाजा गरीब नवाज अजमेर के लिए कानून बना है, किसी अन्य दरगाह के लिए नहीं। इसके अलावा, श्री मोहम्मद यूसुफ शालवद शरीफ के ख्वाजा फखरूद्दीन चिश्ती का एक रखवाला यानी मुतवली है। यूसुफ गर्दबाद दरगाह समिति के एक सदस्य श्री मोहम्मद इलियास कादरी के असली मामा हैं। चेक नंबर 508748 दिनांक 12.07.2011 मिनट्स की पुष्टि से काफी पहले भुनाया गया है। यह दरगाह समिति के सामान्य व्यवहार के रूप में भेजा गया है और कानून के प्रावधानों के खिलाफ है।
मुझे यह कहा गया है कि मुन्नीबेगम से संबंधित बिस्मिल्लाह रेस्त्रां की संपत्ति को उप किराए पर देने को नियमित करने के लिए एक सदस्य द्वारा 65-75 हजार रुपये लिए गए हैं। इसकी जांच करने की आवश्यकता है।
इस घटना में सभी अन्य उप किरायेदारों को समान व्यवहार किया जाना चाहिए। मनमाने ढंग से इस तरह का निर्णय कैसे लिया जा सकता है? यह दोनों निर्णय तब लिए गए थे, जब श्री अब्दुल मजीद नाजिम थे। वह इतना आलसी था कि उसने अपने कार्यकाल 27 या 29 जुलाई, 2011 को समाप्त होने तक दिनांक 04.06.2011 की बैठक के मिनट भी तैयार नहीं किए और न ही सदस्यों को भेजे। हमें 04.06.2011 की बैठक के मिनट्स वर्तमान कुशल उप सचिव के कार्यभार संभालने के बाद मिले हैं। दरगाह समिति के दिनांक 13.06.2010 और 26.03.2011 के प्रस्ताव के अनुसार सराय चमन चिश्ती में मॉल विकसित किया जाना है। इस प्रकार, यदि एक विशेष दुकान के मालिक को दो फुट तक की ऊंचाई चौड़ाई और ऊंचाई के लिए पूछना होगा। दरगाह समिति की अनुमति के बिना किसी भी सदस्य द्वारा इस तरह की अनुमति कैसे दी जा सकती है। दरगाह समिति की बैठक में इस तरह की कोई चर्चा नहीं की गई थी। एक विवादी जिसके खिलाफ दरगाह समिति द्वारा पहले से ही मुकदमा दायर किया गया है और दरगाह समिति का एक भ्रष्ट सदस्य 29.10.2011 को दरगाह समिति के अध्यक्ष के पास इसे कोर्ट के बाहर किराया आदि बढ़ा कर निपटाने के लिए गए। वह किरायेदार यानी विवादी गोदाम नंबर 24 का श्री मनीष टिकयानी है। दरगाह समिति के प्रस्ताव के बिना ऐसा कोई निर्णय नहीं लेना चाहिए और न ही लिया जा सकता है। यदि की बैठक में इस पर चर्चा की जाती तो कोई आसमान नहीं टूट जाता। मुझे यह समझ नहीं आ रहा है कि दरगाह समिति के अध्यक्ष को दरगाह समिति की बैठक को बुलाने में क्या शर्म आ रही है। केवल एक महीने का नोटिस दिए जाने की आवश्यकता होती है।
मेरे द्वारा प्राप्त किए गए दो पत्रों की तरफ भी मैं आपका ध्यान खींचना चाहता हूं, जिसमें यह बताया गया है कि दरगाह समिति का एक सदस्य अपने युवा दोस्तों के साथ ख्वाजा अतिथि गृह के प्रवेश द्वार पर बैठ जाता है। इस से परिवार के साथ आने वाले तीर्थयात्रियों विशेष रूप से युवा महिलाओं के साथ आने तीर्थयात्रियों को परेशानी होती है। इन दोनों में से एक पत्र 02.02.2011 को नई दिल्ली से भेजा गया है। इस पत्र के साथ संलग्नक पर इस पत्र की कापी को संलग्न किया गया है।
दरगाह समिति के स्थानीय सदस्य को वर्ष 2009 में भी एक उपद्रवी माना गया था। नाजिम श्री अहमद रजा ने दरगाह समिति के अध्यक्ष श्री एच.एच. नवाब मोहम्मद अब्दुल अली को दिनांक 07.02.2009 को एक पत्र लिखा और उप- अध्यक्ष प्रो. इब्राहिम ई-मेल के जरिये मुझे भेजा को उसकी गतिविधियों के बारे में बताया और इस सदस्य के द्वारा प्रशासित खतरों के बारे में अवगत कराया गया था। स्थानीय सदस्य श्री मोहम्मद इलियास कादरी यह कह कर कि वह केंद्रीय सरकार में एक बहुत प्रभावशाली व्यक्ति है। वह लोगों से कमीशन के रूप में पैसे लेता था। एक मोहम्मद शरीफ नाम के व्यक्ति को इस स्थानीय सदस्य ने झूठा वादा करके ठगा कि वह उसे हज कोटे के तहत भेज देगा क्योंकि वह माननीय मंत्री श्री ए.आर. अनतुले के बहुत करीब है। इस व्यक्ति को बाद में यह पता लगा कि उसे जो ड्राफ्ट दिया था उसे शेख मोहम्मद अजीजी और दूसरों के लिए इस्तेमाल किया गया है। वह व्यक्ति जो ठगा गया था, उसने केन्द्रीय हज समिति के कार्यालय से व्यक्तिगत रूप से पूछताछ की और यह पाया कि उसके कवर नंबर 1187-1 को कवर नंबर 889-5 में इस्तेमाल किया गया था।
पिछले अभ्यास के अनुसार दरगाह समिति की बैठक के दौरान एक सदस्य को 3 दिनों के लिए निशुल्क बोर्डिंग और लॉजिंग दिया जा सकता है। इसके बाद, इस समिति ने दुर्भाग्य से एक प्रस्ताव पास किया जिसमें, सदस्य 3 दिनों के बजाए एक साल में 12 दिन तक निशुल्क बोर्डिंग और लॉजिंग पाने का लेकिन बाकी सभी सदस्यों ने मुझे असहमति दिखाने से रोका और यह प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित हो गया था। मैने अपने पत्र में लिखा है कि इस प्रस्ताव की समीक्षा की जानी चाहिए। अध्यक्ष श्री सोहेल अहमद खान ने ख्वाजा गेस्ट हाउस को अपना दूसरा घर बना रखा है। इस प्रकार, अगर इसे माफ कर दिया जाता है तो यह ख्वाजा साहेब के तीर्थयात्रियों की मेहनत के पैसे से दिए गए दान को एक सदस्य के लिए उपहार की तरह देने के समान होगा। मुझे यह भी बताया गया है कि अध्यक्ष श्री सोहेल अहमद खान लोकप्रिय बनने के लिए समिति के परामर्श के बिना लोकलुभावन घोषणाएं करते हैं। हाल ही में उन्होंने बजट के प्रावधानों पर विचार किए बिना ख्वाजा मॉडल स्कूल के शिक्षकों के वेतन में वृद्धि की घोषणा की है। मैंने नाजिम से नियमित रूप से मांग की है कि अध्यक्ष से बकाया राशि वसूली जाए। मैं यह देखकर चौंक गया और हैरान रह गया कि दिनांक 01.02.2012 को दरगाह समिति की तीन घंटे की बैठक के बाद अध्यक्ष श्री सोहेल अहमद खान एक टाइप किए हुए प्रस्ताव को लाए, जिसमें अध्यक्ष और उप अध्यक्ष की अजमेर के लिए यात्रा के दौरान बोर्डिंग और लॉजिंग की बकाया राशि को माफ करने को लिखा हुआ था। मैने पहेली बार एक बकाया राशि को माफ करने के लिए पूर्वव्यापी प्रभाव का प्रस्ताव देखा है। इसके लिए कानून में प्रावधान कहां है? बजट में प्रावधान कहां है? दुर्भाग्य से कुछ सदस्यों ने प्रस्ताव के मसौदे पर हस्ताक्षर कर दिए। जब मुझे इस पर हस्ताक्षर करने के लिए कहा था तब मैने इस पर विस्तार से असहमति नोट लिख दिया था कि दानकर्ताओं के मेहनत से कमाए गए पैसे को इस तरह से बर्बाद नहीं किया जाना चाहिए।
एक खादिम यानी श्री सैयद वहीद अंगा राशाह ने किराए पर लिए गए दरगाह समिति के परिसर में कुछ परिवर्तन किए थे। 02.09.2011 को दरगाह समिति के एक सदस्य यानी श्री मोहम्मद इलियास कादरी ने दरगाह समिति के कार्यालय के नाजिम के नोटिस देने के लिए निर्देश दिए। ऐसा लगता है कि यह श्री सैयद वहीद अंगारा शाह के द्वारा केवल 18.09.2011 को खादिम अंजुमन के चुनाव को देखते हुए किया गया और इसलिए यह नोटिस 17.09.2011 को जारी किया गया। इस नोटिस के बाद किरायेदार श्री सैयद वहीद अंगारा शाह ने जवाब दिया कि खादिम अंजुमन का चुनाव 18.09.2011 को होना है और उसे जवाब इसके बाद देना होगा। खादिम के चुनाव में श्री वहीद अंगाराशाह ने सचिव के पद के लिए चुनाव जीता। जिन्हें पहले श्री मोहम्मद इलियास कादरी और श्री सोहेल अहमद खान ने फायदा पहुंचाया था, यानी श्री सैयद कबरिया और श्री सरवर वह चुनाव हार गए, इसलिए 09.11.2011 को श्री मोहम्मद इलियास कादरी के खिलाफ कारवाई करने से मना कर दिया। यहां पर इस सवाल पर विचार करने की आवश्यकता है कि यदि स्थानीय सदस्य दबाव सहन नहीं कर सकते तो उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए।
मुझे यह बताया गया है कि दरगाह समिति पहले से ही 3.5 लाख रूपए से अधिक खर्च चुके हैं यानी बजट से 50000 रूपए अधिक और अभी भी कम से कम 4 महिने बाकी हैं। कृपया विस्तार से बताएं कि 3.5 लाख रूपए से अधिक का खर्च कैसे हुआ। वह कौन से मेहमान थे जिन्होंने दानकर्ताओं की इतनी बड़ी राशि खर्च कर दी। मुझे यह पता लगा है कि लगभग दो महीने पहले एक नवनियुक्त मंत्री सुश्री नसीम अख्तर ने दरगाह शरीफ का दौरा किया था। एक सदस्य निजाम गेट पर गया और उसने उन्हे फूल और मिठाई देकर सम्मानित किया। उसके द्वारा इस खर्च के पैसे भी दरगाह समिति से नहीं लिए गए। पूर्व नाजिम की विदाई पार्टी पर हुए खर्च के बारे में उल्लेख किया था। इस विदाई पार्टी के बिल का भुगतान पीए इस तरह के एक भारी बिल पर हस्ताक्षर कैसे कर सकते हैं (अगर उन्होंने किया है तो)। पैरा एफ में मैने इस बात का उल्लेख किया है कि खादिम अंजुमन के नव निर्वाचित सदस्य के रात के खाने का खर्च दरगाह समिति कैसे सह कर सकते हैं। मुझे यह बताया गया है कि यह खर्च लगभग 15000 रूपये से ऊपर था। मुझे ऐसा लगता है कि यह राशि भी तव्ज्जो मेहमान में से बेइमानी से निकाली गई है। इस प्रकार, व्यक्तिगत लाभ के लिए दानकर्ताओं के पैसे खर्च किया जा रहा है।
वास्तव में अगली बैठक में दरगाह समिति को इस पर चर्चा करनी चाहिए और अनुचित रूप से भारी खर्च में कटौती करना होगी।
मैं अध्यक्ष श्री सोहेल अहमद खान और श्री मोहम्मद इलियास कादरी से 15 सवालों का लिखित जवाब लेने के लिए आपसे अनुरोध करता हूं-
बिस्मिल्लाह रेस्त्रां की मुन्नी बेगम नामक किरायेदार को दरगाह समिति के परामर्श के बिना क्या पारदर्शिता बनाए रखना आवश्यक नहीं था? क्या इन आरोपों से बचने के लिए दरगाह समिति के हालांकि दरगाह समिति ने उप-किराए पर देने के लिए नोटिस जारी किया था? किसी भी अनुबंध के बिना श्री सरवर चिश्ती के नाम पर हुजरा को नियमित करने की क्या कोई भी अनुबंध किए बिना श्री किबरिया को ठंडे पानी के मशीन का कमरा सौंपने की क्या दरगाह समिति के अध्यक्ष श्री सोहेल अहमद खान को दो हुजरों को नियमित करने के लिए दरगाह समिति पर उनके द्वारा किए गए उपकार का उदाहरण दें। दरगाह समिति के अध्यक्ष श्री सोहेल अहमद खान इन दोनों खादिमों को दरगाह समिति के शुभचिंतक कहते समय यह तथ्य भूल गए कि दरगाह समिति की एक महत्वाकांक्षी परियोजना यानी गुलाब जल परियोजना इस लिए बंद कर दी गई थी क्योंकि इन खादिमों ने इस परियोजना में भाग लेने से मना किया। अध्यक्ष और खादिम अंजुमन के सचिव को विशेष उपचार देने का क्या कारण है। क्या श्री सोहेल अहमद खान को दरगाह समिति के सदस्यों के परामर्श के बिना दान और लोकलुभावन योजनाओं की घोषणा करने का अधिकार है। इन योजनाओं की हाल ही में घोषणा की गई है (क) ख्वाजा फखरूद्दीन चिश्ती (शालवद शरीफ) और ख्वाजा हिसामुद्दीन चिश्ती (शांभर शरीफ) के रखवाले (केयर टेकर) दोनों को एक एक लाख रूपये वार्षिक अनुदान (ख) ख्वाजा मॉडल स्कूल के शिक्षकों के वेतन में वृद्धि (ग) ख्वाजा अतिथि गृह और स्कूल में भोजन सस्ते दर पर बेचना (घ) एक पार्टी की व्यवस्था। अध्यक्ष का अजमेर के ख्वाजा अतिथि गृह में 100 से अधिक दिनों (बैठक के 3 दिन और एक साल में 12 दिन के अलावा) तक रहने का क्या कारण है। दरगाह समिति को अध्यक्ष 61000 से अधिक अध्यक्ष इसके बराबर भोजन के बिल का भुगतान कब करेंगे।
निष्कर्ष मेरा यह सुझाव है कि वर्तमान दरगाह समिति को खत्म अर्थात भंग कर देना चाहिए और 55 वर्ष की आयु से नीचे के प्रख्यात समर्पित नागरिकों की एक नई समिति बनाने के लिए मार्ग प्रशस्त करना चाहिए क्योंकि सेवानिवृत्ति के बाद एक व्यक्ति को ख्वाजा गेस्ट हाउस को अपना दूसरा घर बनाने के अलावा और कोई काम नहीं होता। इसके अलावा, मैं यह नहीं चाहता हूं कि दरगाह समिति के सभी सदस्यों के खिलाफ एफआईआर दाखिल की जाए क्योंकि उनमें से कुछ की सत्य निष्ठा संदिग्ध है। वैकल्पिक तौर पर कृपया इन दोनों सदस्यों से एक निर्धारित समय सीमा में लिखित स्पष्टीकरण लिया जाए और माननीय मंत्री की सुविधा के अनुसार माननीय मंत्री के साथ दरगाह समिति के इन 8 सदस्यों की एक बैठक की व्यवस्था 2012 तक है।
धन्यवाद,
सादर
मोहम्मद सुहेल. एम. तिरमिजी, वकील
-तेजवानी गिरधर
7742067000
tejwanig@gmail.com

किस्मत ने बचाए विद्युत निगम के एक करोड रुपए!



अजमेर विद्युत वितरण निगम के मदार स्थित मुख्य गोदाम में गत 15 फरवरी की देर आग लगी थी, जिससे एक करोड का भारी नुकसान हुआ। कई उपकरण और तकनीकी सामान जलकर राख हो गए। आला इंजीनियरों की टीम और विजिलेंस विंग के एडीशनल एसपी भले ही इस कांड की गुत्थी नहीं सुलझा पाए हों, मगर यह बात तय है कि निगम के इस नुकसान की भरपाई संबंधित बीमा कंपनी कर ही देगी। निगम के अफसरों ने बीमा कंपनी के सामने क्लेम कर दिया है। खास बात यह है कि जिस गोदाम में हर वक्त 22 से 25 करोड का सामान पड़ा रहता है। उस गोदाम में आज के चार महीने पहले तक कोई नुकसान नहीं हुआ। चार महीने पहले ही निगम ने अपने क्षेत्र के तमाम गोदामों का बीमा करवाया था। यह सबक निगम के अफसरों ने चार महीने पहले ही तब लिया, जब वहां चोरों ने धावा बोल कर डिस्कॉम को नुकसान पहुंचाया। सचेत हुए निगम ने गोदाम में 24 सीसी कैमरे भी लगाए। सुरक्षा इंतजामों को मजबूती देने की कोशिश की, मगर अज्ञात व्यक्ति ने आग लगाकर सुरक्षा के सभी इंतजामों को बौना जरूर साबित कर दिया। गनीमत रही कि निगम ने गोदामों का बीमा करवाया, नहीं तो करीब 5 अरब के नुकसान में चल रहे निगम का गरीबी में आटा गीला हो जाता। यह निगम की किस्तम का ही खेल रहा कि कम से कम उसने बीमा करवाया, जो चार महीने बाद ही काम आ गया।
एमडी पीएस जाट ने तीन आला अफसरों की टीम जांच के लिए तैनात की, मगर अब तक नतीजा जीरो है, जांच की फाइल में जरूर बयानों के दस्तावेजों कागजी वजन बढ़ रहा है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का मन भी इस भारी नुकसान पर पसीज गया।
मुख्यमंत्री कार्यालय की विजिलेंस विंग के कर्ताधर्ता सीनियर आईपीएस सौरभ श्रीवास्तव ने भी बिजली थाना पुलिस में एडिषनल एसपी का कार्यभार देख रहे दौलताराम कीलका को जांच करने के आदेष दिए। कीलका की माने जो जांच में यह तथ्य साफ झलक रहा है कि आग किसी ने लगाई है, क्योंकि घटना स्थल पर ऐसा कोई सुराग नहीं मिला की आग स्वत: लगी हो।
बिजली कंपनियों ने के नए सीएमडी कुंजीलाल मीणा को तो उक्त घटना की पूरी खबर तक नहीं है। गत दिनों अजमेर आगमन पर पत्रकारों से जब वे वार्ता कर रहे थे, तब इस मसले पर अनजान नजर आए। खैर, घटना को डेढ महीना बीतने को आया है। जांच आज नहीं तो कल मुख्यमंत्री और एमडी को पेश हो ही जाएगी। तय है जिसमें खुलासे के नाम पर केवल कयास होंगे, ठोस जानकारी नहीं। मगर निगम को क्लेम की राशि मिल जाएगी, जो निगम का भाग्य है।
-तेजवानी गिरधर
7742067000
tejwanig@gmail.com