रविवार, 18 नवंबर 2012

नसीम को बदनाम करने में लगा है एक गुट?


शिक्षा राज्य मंत्री श्रीमती नसीम अख्तर व उनके पति हाजी इंसाफ अली को विवादित करने और बदनाम करने में मुसलमानों का ही एक गुट सक्रिय नजर आ रहा है। इस प्रकार की आशंका के एकाधिक मामले सामने आ चुके हैं।
ताजा मामला इस प्रकार है। किशनगढ़ के बहुचर्चित आसिफ हत्याकांड के मामले पर शिक्षा राज्य मंत्री श्रीमती नसीम अख्तर इंसाफ व उनके पति हाजी इंसाफ अली के खिलाफ पोस्टर लगाने के आरोप में गिरफ्तार पुराना हाउसिंग बोर्ड, मदनगंज निवासी मोंटी उर्फ विपेन्द्रसिंह व चमड़ाघर, खारीकुई, अजमेर निवासी आसिफ से हुई पूछताछ से अब तक स्थापित धारणा के विपरीत तथ्य उजागर हुआ है। पूछताछ से पता लगा है कि पोस्टर लगवाने में अजमेर के चंदवरदायी नगर निवासी युवक कांग्रेस लोकसभा महासचिव वाजिद खान चीता का भी हाथ था। उसने आसिफ के साथ मिल कर ये पोस्टर लगवाए। ज्ञातव्य है कि वाजिद खान चीता इन दिनों काफी चर्चित है। उस पर आरोप है कि उसने चन्द्रवरदाई नगर में रहने वाले ललित शर्मा का अपहरण  किया और फिर उस पर जानलेवा हमला कर उसे मरने के लिए सुनसान इलाके में छोड़ दिया। पुलिस ने इस मामले में पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया लेकिन मुख्य आरोपी वाजिद चीता घटना के काफी दिन बीत जाने के बाद भी पुलिस गिरफ्त से दूर है। वाजिद की गिरफ्तारी की मांग को लेकर विश्व हिन्दू परिषद्, हिंदू जागरण और बजरंग दल आंदोलित हैं। कहा ये जा रहा है कि कांग्रेस के दबाव की वजह से वाजिद को गिरफ्तार नहीं किया जा रहा। कहा ये भी गया कि श्रीमती नसीम अख्तर इंसाफ के दबाव की वजह से वह बचा हुआ है।
ऐसे में सवाल ये उठ रहा है कि यदि वह नसीफ अख्तर के खिलाफ पोस्टर लगवाने में शामिल था तो आखिर यह कैसे मान लिया गया कि उसकी गिरफ्तारी न होने देने में भी नसीफ अख्तर का ही हाथ है। इस विरोधाभासी कयास से तो यही प्रतीत होता है कि वाजिद के मामले में नसीम पर लगाया गया आरोप हवाई है।
ज्ञातव्य है कि नसीम पर इससे पहले भी ऐसा ही एक हवाई आरोप लग चुका है। वो यह कि उन्होंने किशनगढ़ के आसिफ हत्याकांड के आरोपियों को शरण दी, जिसका कि खुद आसिफ के घर वालों ने ही प्रेस कांफ्रेंस करके खंडन किया। इस प्रकार एक और वारदात से भी यही इशारा हुआ था कि कुछ लोग नसीम को विवादित करने की कोशिश में लगे हुए हैं। वो यह कि जब नसीम की ओर से रोजा इफ्तार की दावत दी गई थी तो उसमें मुख्यमंत्री अशोक गहलोत  को आने देने से रोकने की खातिर कचहरी मस्जिद की दीवारों पर उनसे सवाल करते हुए पोस्टर लगाए गए थे। इसी वजह से मुख्यमंत्री आते आते भी रुक गए थे। पोस्टर लगाने वालों का अभी तक पता नहीं लग पाया है।
ऐसा प्रतीत होता है कि नसीम के खिलाफ षड्यंत्र इसलिए रचा जा रहा है ताकि आगामी विधानसभा चुनाव में उनका टिकट कट जाए।
-तेजवानी गिरधर