शुक्रवार, 16 नवंबर 2012

क्यों रुकने दिया बसों को पुष्कर रोड विश्राम स्थली पर?


एक ओर जहां राज्य सरकार जायरीन की सुविधा के बड़े-बड़े दावे करती है और जिला प्रशासन भी बैठक दर बैठक कर इंतजाम पुख्ता करने की दुहाई देता है, वहीं इस बार खुद प्रशासन की घोर लापरवाही के चलते ही जायरीन को ठहराने की विकट समस्या खड़ी हो गई है। जिस पुष्कर रोड स्थित विश्राम स्थली पर पानी भरने के कारण कोई इंतजामात नहीं किए गए, वहीं पर जायरीन की सैकड़ों बसों का डेरा जमा हो गया है। ऐसे में सवाल ये उठता है कि प्रशासन ने वहां आई बसों को रुकने ही क्यों दिया? बसों के आना शुरू होते ही उन्हें क्यों नहीं कायड़ विश्राम स्थली की ओर रवाना किया गया?
हुआ असल में ये है कि इस बार की बारिश की वजह ये पुष्कर रोड स्थित विश्राम स्थली में पानी भर गया था। इस कारण प्रशासन ने वहां जायरीन के लिए कोई इंतजाम नहीं किया। उसकी बजाय कायड़ स्थित विश्राम स्थली पर इंतजाम करने का निर्णय किया। हालांकि शिकायत तो ये भी है कि वहां भी पुख्ता इंतजामात नहीं हैं। प्रशासन ने पुष्कर रोड विश्राम स्थली पर इंतजामात करने का ठीक से प्रचार-प्रसार नहीं किया, नतीजतन मोहर्रम माह आरंभ होते ही हर बार की तरह अधिकतर बसों ने यहां का रुख किया। जाहिर सी बात है कि इसमें उनकी कोई गलती नहीं है, क्योंकि उन्हें नए इंतजामात का पता नहीं था, मगर स्थानीय प्रशासन को पता होने के बावजूद उसने बसों को वहां न रुकने देने की कोई व्यवस्था नहीं की। अब हाल ये है कि पूरे पुष्कर रोड पर दोनों ओर बसों का जमावड़ा हो गया है। कई बसें तो रोड से सटी कॉलोनियों में खाली स्थानों पर जमा हो गई हैं। इन बसों के जरिए आए हजारों जायरीन नहाने-धोने व पीने और खाने की कोई व्यवस्था न होने के कारण इधर-उधर भटक रहे हैं। आनासागर किनारे गंदे पानी से नहाने को मजबूर हैं। नहाने के लिए आसपास की कॉलोनियों के हैंडपंपों पर भीड़ पड़ रही है। औरतें खुले में नहाने को मजबूर हैं। भारी शोरगुल की वजह से कॉलोनी वासियों का जीना मुहाल हो गया है। जायरीन के शौच जाने के लिए व्यवस्था न होने के कारण वे आसपास की झाडिय़ों में शौच जा रहे हैं। इससे आने वाले दिनों में गंदगी की भारी समस्या उत्पन्न होने वाली है। सोने की व्यवस्था न होने के कारण हालत ये हो गई कि रात में सड़क के दोनों किनारों पर बसों के इर्दगिर्द सैंकड़ों जायरीन को खुले में सोने को मजबूर होना पड़ रहा है। न तो जायरीन की सुरक्षा के कोई इंतजाम हैं और न ही यहां उनके लिए चिकित्सा, यातायात सहित अन्य व्यवस्थाएं ही की गई हैं। इस रोड की यातायात व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है।
अफसोसनाक बात ये है कि प्रशासन ने उसकी लापरवाही के कारण उत्पन्न अव्यवस्था से निपटने की सुध तक नहीं ली है। कितनी अफसोसनाक बात है कि न्यास के अधिशाषी अभियंता अनूप टंडन कह रहे हैं कि इस विश्राम स्थली पर जायरीन ने अनाधिकृत रूप से प्रवेश किया है। ऐसे में यदि कोई हादसा यहां होता है तो उसकी जिम्मेदारी न्यास की नहीं होगी।
लब्बोलुआब, हालात बेकाबू होने पहले ही प्रशासन को चेतना होगा। या तो यहां जमा जायरीन को कायड़ विश्राम स्थली पर भेजे या फिर यहां पर अस्थाई इंतजाम तुरंत करे।
-तेजवानी गिरधर