सोमवार, 6 मई 2013

पाक वेबसाइट पर भी है जायरीन के विरोध की चर्चा


पाकिस्तान में भारतीय कैदी सरबजीत की हत्या के बाद बिगड़े माहौल में पाकिस्तान से ख्वाजा साहब के उर्स में आने वाले जायरीन जत्थे को अनुमति न देने की मांग के समाचार भारतीय मीडिया पर तो हैं ही, पाकिस्तान के न्यू मीडिया पर भी इसकी चर्चा है।
http://www.thekooza.com नामक वेबसाइट पर इस मसले को कुछ इस प्रकार प्रस्तुत किया गया है:-
Fail-safe security for Pak delegation’s Ajmer visit
AJMER: In view of the protest threats concerning the visit of a Pakistani delegation to the Dargah Sharif, record security will be in place during the upcoming ‘Urs’(death anniversary) of Khwaja Moinuddin Chishti at the shrine in Ajmer sharif.

A delegation from Pakistan comes here during the ‘Urs’ every year by a special train. This time, some groups have threatened to protest against the visit in the wake of the recent attack on Indian death-row prisoner Sarabjit Singh in a jail in Pakistan. The delegation is due to reach Ajmer on May 12.

On Wednesday minister of state for home Virendra Beniwal took stock of the security arrangements in Ajmer. He had a discussion with district officials regarding the security plan for the Pak delegation. The minister told the officials that apart from the state security, the Central Industrial Police Force will also be deployed to avert any uprising.

Beniwal reportedly visited Ajmer on the instructions of the Union Home Ministry, which is concerned about possible protests against the visitors from Pakistan.

BJP MLA Vasudev Devnani requested the central government not to provide visas to the Pak delegation. “There is anger among the people on the issue of Sarabjit and, therefore, it would not be worthwhile to invite those devotees to Ajmer,” Devnani said. “Any anti-social element can disturb the peace of this holy city.” He added

The Kooza News Desk with agencies.
इस साइट पर जाने के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए:-
http://www.thekooza.com/

पाक जायरीन को अनुमति न देना आसान नहीं


पाकिस्तान में भारतीय कैदी सरबजीत की हत्या के बाद बिगड़े माहौल में पाकिस्तान से ख्वाजा साहब के उर्स में आने वाले जायरीन जत्थे को अनुमति न देने का दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है। अब तो राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ भी मुखर हो गया है। राष्ट्र रक्षा संकल्प समिति ने तो पाक जायरीन के विरुद्ध हस्ताक्षर अभियान ही छेड़ दिया है, जिसे के शनै: शनै: समर्थन मिल रहा है। कुछ मुस्लिम भी खुल कर सामने आ गए हैं। जाहिर है ऐसे में प्रशासन पसोपेश में है कि वह राज्य व केन्द्र सरकार को क्या रिपोर्ट भेजे? क्या वह हालात बिगडऩे के मद्देनजर अपनी तरफ से हाथ खड़े करता है या फिर सरकार के फैसले की अनुपालना किसी भी सूरत में करने को तैयार है, यह जल्द ही पता लग जाएगा।
वस्तुत: शुरू में इक्का दुक्का संगठनों ने फौरी तौर पर विरोध जताया था। इसके बाद भाजपा विधायक प्रो. वासुदेव देवनानी ने बाकायदा गृह राज्य मंत्री वीरेन्द्र बेनीवाल की सदारत हुई तैयारी बैठक में आवाज उठाई, मगर वह नक्कारखाने में तूती के समान अनसुनी कर दी गई। नगर निगम मेयर कमल बाकोलिया ने तो इसे अनुचित भी बताया। लेकिन बात उठी तो दूर तक ले जाने की तैयारी शुरू हो गई।
राष्ट्र रक्षा संकल्प समिति ने कार्यक्रम संयोजक अमित भंसाली के नेतृत्व में जन भावना को अभियान की शक्ल दी और सरबजीत की हत्या के विरोध में शुरू किया हस्ताक्षर अभियान शुरू करवा कर पाकिस्तान को शत्रु राष्ट्र घोषित करने और उर्स में पाक जायरीन को अनुमति न देने पर जोर देना शुरू कर दिया। आरएसएस के महानगर संघ चालक सुनील दत्त जैन ने साफ तौर पर कहा कि पाकिस्तान लगातार भारत की अस्मिता पर कुठाराघात कर रहा है। उन्होंने केंद्र एवं राज्य सरकार से मांग की है कि पाकिस्तान से आने वाले जायरीन के प्रवेश पर तत्काल पाबंदी लगाई जाए। गगवाना सरपंच असलम पठान ने भी सुर में सुर मिलाते हुए कहा कि पाक से सभी रिश्ते तोड़ते हुए वहां से आने वाले जायरीन नहीं आने देना चाहिए। गेगल सरपंच अब्दुल जलील पाक सरकार के खिलाफ सख्त कदम उठाने की पैरवी की। उग्रपंथी तेवर वाले भाजपा युवा मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नीरज जैन ने तो चेतावनी ही दे दी है कि पाक जायरीन को अनुमति दी तो परिणाम घातक हो सकते हैं। कुल मिला कर विरोध काफी मुखर हो चुका है। ऐसे में प्रशासन के लिए एक और मुसीबत हो गई है।
वैसे जानकारों का मानना है कि भले ही निचले स्तर पर इतना विरोध हो रहा है, मगर जायरीन को न आने देने का फैसला करना सरकार के लिए बहुत आसान नहीं होगा। यह केवल पाकिस्तानियों को आने देने का मसला मात्र नहीं है, इसके साथ अंतरराष्ट्रीय मानकों पर दो देशों के बीच के संबंधों की बुनियाद भी जुड़ी हुई है। पाकिस्तान स्थित हिंदू तीर्थ स्थलों पर भारतीयों के जाने का मसला भी जुड़ा हुआ है। वोट बैंक की राजनीति तो परोक्ष रूप से जुड़ी हुई ही है। ऐसे में लगता ये ही है कि सरकार हरसंभव कोशिश यही करेगी कि जायरीन जत्थे के आने में बाधा न डाली जाए। भले ही उसके लिए उसे अतिरिक्त सुरक्षा इंतजाम करने पड़ें। कड़ी सुरक्षा में जियारत करवाई जाए और ठहराये जाने वाले स्थल के बाहर इधर-उधर घूमने पर पाबंदी लगाई जाए। बाकी इतना तो तय है कि यदि वे आए तो विरोध प्रदर्शन जरूर होगा। वह कितना उग्र होगा, इस बारे में अभी कुछ कहना असंभव है। वैसे संभव ये भी है कि वह पाकिस्तान को यह संदेश भेजे कि फिलवक्त जो माहौल है, उसमें जायरीन आए तो कानून-व्यवस्था की समस्या उत्पन्न होगी। ये तो हुई भारतीय पक्ष की बात, मगर अव्वल तो पहले यह पाकिस्तान तय करेगा कि वह ताजा माहौल में अपने नागरिकों को भारत भेजने की अनुमति देता है या नहीं। अब तक तो इस बारे में कोई सूचना ही नहीं मिली है कि कितने जायरीन आना चाहते हैं और उनके आने का कार्यक्रम क्या है।
-तेजवानी गिरधर