सोमवार, 19 जून 2017

अब क्यों नौटंकी कर रही है यातायात पुलिस?

अजमेर में यातायात पुलिस का ढर्ऱा अरसे से बिगड़ा हुआ है। न तो किसी पुलिस अधीक्षक ने इस पर ध्यान दिया और न ही जनप्रतिनिधियों ने पुलिस प्रशासन पर दबाव बनाया। जब-जब भी कोई हादसा होता है तो पुलिस यकायक मुस्तैद होने का नाटक करती है, मगर चंद दिन बाद फिर वही पहले वाला ढर्ऱा शुरू हो जाता है।
भाजपा पार्षद अनीश मोयल के पुत्र सर्वज्ञ की ट्रैक्टर से कुचलने से हुई मौत के बाद जिला पुलिस ने ट्रैक्टर चालकों के खिलाफ सख्ती बरतना शुरू कर दिया। एक ही दिन में 9 ट्रैक्टर चालकों के खिलाफ यातायात पुलिस ने कार्रवाई की, इनमें से 6 को जब्त किया गया, शेष 3 के खिलाफ नो पार्किंग का चालान बनाया गया। सख्ती का सिलसिला कुछ दिन और चल सकता है। मगर सवाल ये उठता है कि पुलिस हादसा होने के बाद ही क्यों चेतती है? ऐसा नहीं है कि यातायात पुलिस कोसे जाने लायक है, इस कारण कोसी जाती है, हकीकत भी यही है। पूरे शहर में कहीं भी चले जाइये, हर जगह आपको ओवर लोडेड वाहन मिल जाएंगे। ऑटो रिक्शाओं में निर्धारित संख्या से ज्यादा बच्चे मिलते हैं। सिटी बसों में यात्री भेड़-बकरियों की तरह भरे जाते हैं। सिटी बस व टैम्पो वाले अंटशंट स्पीड से चलते हैं। ट्रैक्टर भी निर्धारित गति से ज्यादा स्पीड से चलाए जाते है, जिसकी वजह से ताजा दर्दनाक हादसा हुआ। हर मुख्य चौराहे पर यातायात पुलिस के कर्मचारी तैनात तो होते हैं, मगर वे कितने मुस्तैद होते हैं, इसको बताने की जरूरत इसलिए नहीं है कि पूरे शहर का यातायात अस्त व्यस्त है। अगर वे वाकई कार्यवाही करते तो ये हालात नहीं होते। अर्थात दाल में कुछ काला है। सबको दिख रहा है कि क्या माजरा है, मगर किसी को कोई लेना-देना नहीं। न पुलिस अधिकारियों को और न ही जनप्रतिनिधियों को। ऐसे में अगर आप उम्मीद करें कि यातायात सुव्यवस्थित रहेगा तो वह बेमानी है।
आपको याद होगा कि पूर्व में भी जब किसी ओवर लोडेड ऑटो रिक्शा के पलटने से स्कूल बच्चे चोटिल हुए हैं तो प्रशासन यकायक मुस्तैद हो जाता है। यातायात समिति की बैठकें होती हैं। नए सिरे से निर्देश जारी होते हैं, मगर नतीजा वही ढ़ाक के तीन पात वाला नजर आता है।
इस बार भी जब हादसे के बाद प्रिंट, इलैक्ट्रॉनिक व सोशल मीडिया ने पुलिस पर तंज कसे तो पुलिस अधीक्षक राजेन्द्र सिंह ने मुस्तैदी दिखाई। यह स्थिति भी इस कारण आई कि हादसे का शिकार एक भाजपा पार्षद का मासूम पुत्र हुआ था। अगर आम बच्चा होता तो इतनी चर्चा ही नहीं होती।
कितनी अफसोसनाक बात है कि हादसे के बाद पुलिस अधीक्षक कह रहे हैं कि यातायात थाना पुलिस ट्रैक्टरों के बेकाबू रफ्तार पर लगाम लगाने के लिए विशेष अभियान शुरू कर रही है। तेज रफ्तार से ट्रैक्टर दौड़ाने वाले, शराब पीकर ट्रैक्टर चलाने वाले, ओवर लोडिंग के अलावा प्राइवेट लाइसेंस पर ट्रैक्टर का कॉमर्शियल इस्तेमाल करने वाले चालकों के खिलाफ पुलिस सख्ती से पेश आएगी। पुलिस के इंटरसेप्टर वाहन मुस्तैदी से तैनात हैं, तेज रफ्तार से वाहन दौड़ाने वालों पर शिकंजा कसेगा। यह सब हादसे से पहले क्यों नहीं होता?
-तेजवानी गिरधर
7742067000