रविवार, 9 सितंबर 2012

राजपूत समाज कर रहा है विधानसभा चुनाव की तैयारी

भंवर सिंह पलाडा

अजमेर का राजपूत समाज आगामी विधानसभा चुनाव में सक्रिय भूमिका अदा करने के मूड में नजर आता है। जैसी कि जानकारी है राजस्थान क्षत्रिय महासभा की अजमेर इकाई की गत दिनों कुंदन नगर स्थित मेजर शैतान सिंह छात्रावास में हुई बैठक में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर गंभीर चर्चा हुई। इस मौके पर वक्ताओं का कहना था कि राजनीतिक दल उनके समाज के वोट हासिल करना तो चाहते हैं, मगर उन्हें उचित प्रतिनिधित्व नहीं देते। सीधे तौर पर उनका इशारा विधानसभा टिकट को लेकर था। इससे ऐसा प्रतीत होता है कि समाज आगामी चुनाव में समाज दोनों ही दलों कांग्रेस व भाजपा पर यह दबाव बनाएगा कि उनके किसी व्यक्ति को अजमेर उत्तर से टिकट दिया जाए।  उनकी मांग में दम इस कारण भी प्रतीत होता है कि पिछली बार कांग्रेस व भाजपा दोनों ने ही राजपूत प्रत्याशियों के नाम तय किए थे, मगर ऐन वक्त पर उनकी जगह पर अन्य को टिकट दे दिए गए।
आपको ख्याल होगा कि पिछली बार कांग्रेस की अंतिम सूची, जो कि लीक हुई थी, उसमें अजमेर उत्तर से मौजूदा शहर कांग्रेस अध्यक्ष महेन्द्र सिंह रलावता का नाम था, जिसको कि टीवी चैनलों ने उजागर भी कर दिया था।
सुरेन्द्र सिंह शेखावत
मगर आखिरी वक्त में वैश्य महासभा के दबाव में अशोक गहलोत ने अपने चहेते पूर्व विधायक डॉ. श्रीगोपाल बाहेती को टिकट दे दिया था। उस वक्त चूंकि सिंधी समाज अपनी परंपरागत सीट का टिकट कटने से आंदोलित था, इस कारण रलावता का टिकट कटना गौण हो गया। अब जब कि वे शहर कांग्रेस अध्यक्ष बन गए हैं और उन पर कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह का वरदहस्त है, वे फिर गंभीर दावेदारी कर सकते हैं। यदि राजपूत समाज लामबंद होता है तो वे और भी मजबूत हो जाएंगे। हालांकि उनके पास राज्यसभा अथवा आगामी वर्ष में गठित होने वाली विधान परिषद में जाने का भी विकल्प है, लेकिन समझा जाता है कि वे एकाएक अपना दावा नहीं छोड़ेंगे।
महेन्द्र सिंह रलावता
उधर भाजपा में भी असल में नगर परिषद के पूर्व सभापति सुरेन्द्र सिंह शेखावत का टिकट पक्का हो गया था। अगर मौजूदा विधायक प्रो. वासुदेव देवनानी नागपुर से दबाव नहीं डलवाते तो चुनाव वे ही लड़ते। शेखावत अब भी पूरे जोर शोर से दावेदारी करने के मूड में नजर आते हैं। उन पर पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे व पूर्व प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ओम प्रकाश माथुर का वरदहस्त है। अगर पार्टी स्तर पर किसी गैर सिंधी को टिकट देना तय होता है तो इसमें कोई शक नहीं कि वे टिकट हासिल करने में कामयाब हो जाएंगे। चर्चा तो ये भी है कि अगर उन्हें टिकट नहीं मिला तो वे कांग्रेस व भाजपा के सिंधी प्रत्याशियों को टक्कर देने के लिए तीसरे विकल्प के रूप में उभर आएंगे। बताया जाता है कि पिछली बार वैश्य महासभा से हुई गलतियों को ध्यान में रखते हुए नई रणनीति बनाएंगे।
जहां तक अजमेर लोकसभा सीट का सवाल है, संभव है युवा भाजपा नेता भंवर सिंह पलाड़ा इसके लिए दावेदारी पेश कर दें। उनकी धर्मपत्नी श्रीमती सुशील कंवर पलाड़ा जिला प्रमुख हैं और उनकी पूरे जिले पर अच्छी पकड़ हो चुकी है। उनकी कार्यप्रणाली की कांग्रेस सरकार के मंत्री तक करते नहीं थकते।
समझा जाता है राजपूत समाज प्रस्तावित विधान परिषद और राज्यसभा सीट के लिए भी दबाव बना सकता है।
-तेजवानी गिरधर