रविवार, 8 अक्तूबर 2017

राजनीतिक मकसद साधने को बढ़ाया हेड़ा का कद

अब जब कि लोकसभा उपचुनाव की सरगरमी शुरू हो गई है, ऐन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के अजमेर दौरे के साथ अजमेर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष शिव शंकर हेड़ा को राज्य मंत्री का दर्जा देने से साफ है कि इसका मकसद मात्र राजनीतिक लक्ष्य साधना ही है।
हो सकता है कि अजमेर विकास प्राधिकरण व जोधुपर विकास प्राधिकरण के अध्यक्षों के अधिकार बढ़ाने पर काफी समय से विचार चल रहा हो, मगर जिस प्रकार प्राधिकरणों को संचालित करने वाले अधिनियम में संशोधन किए बगैर राज्य मंत्री का दर्जा दिया गया है, वह साबित करता है कि यह आनन फानन में किया गया है। अधिनियम में अध्यक्ष की हैसियत से अहम फैसले लेने का क्षेत्राधिकार अब भी इन्हें नहीं मिला है। अर्थात राज्य मंत्री का दर्जा एक तमगे से अधिक कुछ नहीं है। उसके लिए अधिनियम में बाकायदा संशोधन करना होगा। चूंकि सरकार इस बाबत ठीक से विचार नहीं कर पाई थी, इस कारण फिलहाल राज्य मंत्री का दर्जा देने की घोषणा कर दी गई, ताकि उपचुनाव में लाभ हासिल किया जा सके।
असल में सरकार ने लोकसभा चुनाव में वैश्य समाज को और अधिक संतुष्ट करने के लिए ही हेड़ा का कद बढ़ाया है। सरकार जानती है कि जीएसटी लागू होने के बाद वैश्य समुदाय, जो कि आम तौर पर व्यापार से जुड़ा हुआ है, उसमें काफी नाराजगी है। आपको ख्याल होगा कि पिछले साल 21 जनवरी को जब हेड़ा को अध्यक्ष बनाया गया था तो यह पूरी तरह से साफ था कि उनकी ताजपोशी केवल इस कारण संभव हो पाई, क्योंकि भाजपा अपने वोट बैंक वैश्य समाज को तुष्ट करना चाहती थी, जबकि राजनीतिक रूप से हेड़ा भूली बिसरी चीज हो चुके थे। राजनीतिक हलकों में उनकी नियुक्ति को लेकर आश्चर्य भी जताया गया था। ज्ञातव्य है कि जिले की एक भी विधानसभा सीट पर वैश्य समुदाय का व्यक्ति काबिज नहीं है, इस कारण इस समुदाय में नाराजगी रहती है। वे यह शिकायत करते रहे हैं कि वे भाजपा को तन-मन-धन से पूरा सहयोग करते हैं, मगर उसके अनुरूप राजनीतिक लाभ नहीं मिला है।
खैर, हेड़ा को एडीए का अध्यक्ष बनाए जाने से शिक्षा राज्य मंत्री प्रो. वासुदेव देवनानी व महिला व बाल विकास राज्य मंत्री श्रीमती अनिता भदेल के बाद सत्ता का एक और केन्द्र विकसित हो गया। जैसे ही हेड़ा अध्यक्ष बने, उन्होंने इस पद के दम पर धरातलीय राजनीतिक ताकत बढ़ाना शुरू कर दिया। यहां तक कि वे गैर सिंधीवाद के नाम पर अजमेर उत्तर विधानसभा सीट के दावेदार भी बन गए हैं। सच बात तो ये है कि उन्होंने दोवदारी मजबूत करने की दिशा में काम भी करना शुरू कर दिया है। अब उनके इर्द गिर्द भी समर्थकों को हुजूम रहता है। इसका नतीजा ये है कि देवनानी व हेड़ा के बीच टकराव आरंभ हो गया है। ये टकराव बाकायदा स्वायत्त शासन मंत्री श्रीचंद कृपलानी तक भी पहुंचा है। देवनानी ने तो कृपलानी से शिकायत भी की कि हेड़ा उनके अनुशंषित कामों में रोड़ा अटकाते हैं। एलीवेटेड रोड को लेकर दोनों के बीच मतभेद खुल कर सामने आ चुके हैं। हेड़ा का दबाव रहता है कि विधायक कोटे के तहत एडीए के माध्यम से कराए जाने वाले कामों के उद्घाटन समारोहों में उन्हें भी अतिथि के तौर पर बुलाया जाए।
बहरहाल, भले ही अधिनियम में संशोधन के बिना हेड़ा का कद बढ़ाया गया है, वे और अधिक मजबूत हो गए हैं। इससे भले ही टिकट को लेकर खींचतान बढ़े, मगर भाजपा को वैश्य समुदाय का लाभ तो मिल ही सकता है। हेड़ा को राज्य मंत्री का दर्जा देते ही जिस प्रकार अजमेर जिला वैश्य सम्मेलन और श्री माहेश्वरी प्रगति संस्थान के कार्यकर्ताओं ने उनका बढ़ चढ़ कर स्वागत किया, वह यह समझने के लिए काफी है कि सरकार का निशाना ठीक लक्ष्य पर पड़ा है।
हालांकि भाजपा की ओर से गैर सिंधी प्रत्याशी का प्रयोग लगभग असंभव प्रतीत होता है, मगर हेड़ा का कद बढ़ाने से वह यह कहने की स्थिति में तो होगी कि उसने सिंधियों के साथ वैश्यों के राजनीतिक हितों का भी ध्यान रखा है।
-तेजवानी गिरधर
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