रविवार, 19 मई 2013

देवनानी-लाला बणा का ये प्रेम बना रहेगा?

यह दिलचस्प फोटो हाल ही अजमेर के वरिष्ठ प्रेस फोटोग्राफर महेश नटराज ने अपने फेसबुक अकाउंट पर शाया किया है। यह राजस्थान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया को सोहराबुद्दीन एनकाउंटर मामले में फंसाने जाने के विरोध में अजमेर में निकाली गई भाजपा की वाहन रैली का है, जिसमें अजमेर उत्तर के भाजपा विधायक प्रो. वासुदेव देवनानी के साथ वाहन पर अजमेर उत्तर के ही भाजपा टिकट के प्रबल दावेदार माने जाने वाले सुरेन्द्र सिंह शेखावत उर्फ लाला बणा बैठे हैं। स्वभाविक सी बात है कि टिकट की दावेदारी के लिहाज से दोनों एक-दूसरे के प्रतिद्वंद्वी हैं, मगर जिस तरह से साथ बैठ कर खुले हृदय से खिलखिला कर हंस रहे हैं, तो वह क्षण बड़ा ही रोचक हो गया है। इस पर जहां भाजपा नेत्री वनिता जैमन ने सुपर्ब का कमेंट किया है, वहीं एडवोकेट अशोक तेजवानी ने उम्मीद की है कि यह प्रेम बना रहे। समझा जा सकता है कि आने वाले दिनों में जब दावेदारी का माहौल गरमाएगा तो दोनों के बीच कैसा प्रेम कायम होगा? देवनानी जहां अपनी सीट बचाने की पुरजोर कोशिश करेंगे, वहीं लाला बणा टिकट की खातिर एडी-चोटी का जोर लगा देंगे। ऐसे में दोनों एक-दूसरे की भरपूर कारसेवा करने से भी नहीं चूकेंगे। देखते हैं तब दोनों के बीच यह प्रेम कायम रह पाता है या नहीं।

दरगाह कमेटी : बचे एक पद के लिए मचेगा घमासान


महान सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की बारगाह के अंदरूनी इतजामात संभालने वाली दरगाह कमेटी में सदस्यों के दो खाली पड़े पदों में एक पर बैंगलोर के उबैदुल्लाह शरीफ की नियुक्ति के साथ ही अब केवल एक पद रह गया है। ज्ञातव्य है कि कमेटी में कुल नौ सदस्य होते हैं, जिनमें से सात की गत माह नियुक्ति हो गई थी और बाकी बचे दो पदों पर स्थानीय को नियुक्ति का दबाव बनाया जा रहा था। इसी बीच बैंगलोर के उबैदुल्लाह ने केन्द्रीय अल्पसंख्यक मामलात मंत्री से सेंटिंग कर एक पद हासिल कर लिया है। जाहिर है अब बचे एक पद पर नियुक्ति के लिए एक अनार सौ बीमार वाली स्थिति हो गई है।
आपको याद होगा कि उर्स को नजदीक आते देख लंबे अरसे से लंबित दरगाह कमेटी पुनर्गठन की मांग उठी तो तुरत-फुरत में दो-तीन दिन बाद ही कमेटी का गठन हो गया। तभी समझ में आ गया था कि कमेटी के नए सदस्यों के नाम तो पहले ही तय हो चुके थे, मगर घोषित नहीं किए जा रहे थे, वरना मांग के दो-तीन दिन के अंदर देश के विभिन्न भागों के प्रतिनिधियों का चयन इतना जल्दी कैसे हो गया? इसका एक अर्थ ये भी निकला कि स्थानीय सदस्यों की नियुक्ति को लेकर विवाद के चलते पुनर्गठन रुका हुआ था। बहरहाल, जैसे ही सात सदस्यों की नियुक्ति हुई तो शेष दो पदों के लिए स्थानीय दावेदारों की भागदौड़ तेज हो गई। खादिमों की संस्था अंजुमन सैयद जादगान के सचिव सैयद वाहिद हुसैन अंगारा शाह ने केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलात मंत्रालय में सचिव ललित के पंवार से भेंट कर दबाव बनाया है कि खादिमों को तवज्जो दी जाए, क्योंकि वे दरगाह की परंपराओं व रस्मों और जायरीन की जरूरतों को बेहतर जानते हैं। कुछ इसी तरह की बात युवा खादिम सैयद नातिक चिश्ती ने कही है। उनका कहना था कि जो खादिम से बेहतर जायरीन के बारे में किसे जानकारी हो सकती है। वैसे स्थानीय लोगों में पूर्व सदस्य इलियास कादरी के साथ ही खादिम सैयद नातिक चिश्ती, सैयद इकबाल चिश्ती, सैयद लियाकत हुसैन मोईनी व सैयद गुलाम किबरिया चिश्ती समेत करीब 20 लोगों ने आवेदन कर रखा है। विवाद के चलते माना जा रहा था कि नियुक्ति में देरी होगी और संभव है ईद के बाद ही नियुक्ति हो, मगर अचानक बैंगलोर के उबैदुल्लाह ने बाजी मार ली। चूंकि पहले दो पद खाली थे, इस कारण मारामारी कुछ कम थी, मगर अब एक बचे पद के लिए खींचतान तेज हो गई है। पहले माना जा रहा था कि स्थानीय में एक खादिम और एक आम मुसलमान की नियुक्ति हो सकती है, मगर अब चूंकि मात्र एक पद बचा है, इस कारण इस पर जाहिर तौर पर खादिम ज्यादा जोर लगाएंगे। अब देखना ये है कि स्थानीय स्तर पर कौन भारी पड़ कर अपना नाम कमेटी में शामिल करवा पाता है।
ज्ञातव्य है कि पूर्व में 16 अप्रैल को घोषित सात सदस्यों के नाम इस प्रकार हैं:-डूंगरपुर राजस्थान के असरार अहमद खान, इंदौर मध्यप्रदेश के शेख अलीम, रायबरेली, उत्तर प्रदेश के मौलाना अब्दुल वदूद पीर अशरफ, रूदौली शरीफ के सज्जादानशीन (फैजाबाद यूपी) के शाह अम्मार अहमद अहमदी उर्फ नैयर मियां, अहमदबाद के चिश्ती जियाउद्दीन ख्वाजा मोईनुद्दीन, अमेठी उत्तर प्रदेश के चौधरी वजाहत अख्तर और मुंबई के जावेद अब्दुल मजीद पारीख।
-तेजवानी गिरधर