रविवार, 24 फ़रवरी 2013

राजस्थान राजस्व मंडल में निबंधक भी बाहर का

Revenue Board 4राजस्व मामलों का सर्वोच्च संस्थान राजस्थान राजस्व मंडल सरकार की अनदेखी का शिकार है। इसमें सदस्यों का अभाव तो रहता ही है, अधिकारियों की स्वीकृत पद भी समय पर नहीं भरे जाते। आलम ये है कि निबंधक जैसा जरूरी पद भी रिक्त पड़ा है, जिसका अतिरिक्त कार्यभार मंडल अध्यक्ष उमराव मल सालोदिया ने अतिरिक्त संभागीय आयुक्त हनुमान सिंह भाटी को सौंपा है। कैसी विडंबना है कि निबंधक जैसे अहम पद पर भी स्थाई अधिकारी की नियुक्ति नहीं हो पा रही और अध्यक्ष को काम चलाने के लिए बाहर से अधिकारी को अतिरिक्त काम सौंपना पड़ रहा है। ऐसे में समझा जा सकता है कि एक ही अधिकारी दो महत्वपूर्ण पदों का काम एक साथ कैसे निबटा सकता है। असल में राजस्थान राजस्व मंडल पिछले लम्बे समय से राज्य सरकार की अनदेखी का शिकार बना हुआ है। प्रदेश भर के कास्तकारों के मामले निबटाने वाला राजस्व मंडल सदस्यों की कमी को भुगतने पर मजबूर हैं।
ज्ञातव्य है कि राजस्थान राजस्व मंडल में हर दिन प्रदेशभर के सैंकड़ों कास्तकार न्याय की आशा में आते हैं। न्याय की अवधारणा कहती है की न्याय तभी न्याय है, जब वो समय पर मिले काश्तकार को समय पर न्याय मिले यह सुनिश्चित करना राज्य सरकार का काम है, लेकिन शायद राजस्व मंडल राज्य सरकार की प्राथमिकता में शुमार नहीं। राजस्व मंडल में कहने को तो सदस्यों के 20 पद हैं, मगर कभी इन को पूर्ण रूप से नहीं भरा गया। कहने की जरूरत नहीं कि सदस्य ही विभिन्न मुकदमों को सुनते हैं और फैसले सुनाते हैं। प्रदेश भर के राजस्व मामलों की अपील का निस्तारण भी यहीं किया जाता है। बावजूद इसके हालत ये है कि यहां आईएएस कोटे के 6 पद हैं और सभी रिक्त हैं। अब या तो सरकार को इन पदों पर नियुक्तियों के लिए आईएएस अधिकारी नहीं मिल रहे हैं या फिर आईएएस अधिकारी इन पदों पर लगना नहीं चाहते क्यों कि आईएएस अधिकारियों के लिए सदस्य पद बर्फ में लगाए जाने के समान है। यहां आरएएस कोटे के 6 पद हैं, जिनमें से सरकार ने 5 पद भरे हैं, लेकिन इनमें से भी 3 आरएएस अधिकारी पदोन्नत हो कर आईएएस बने हैं और अब उन्हें इस पद पर बने रहने का अधिकार नहीं है। राजस्व मंडल में न्यायिक कोटे का एक पद रिक्त है तो वकील कोटे के दो पद हैं, लेकिन दोनों ही पिछले कई सालों से खाली चल रहे हैं। एक कड़वा सच ये भी है कि कई बार मंडल सदस्य अधिकारी यहां स्थाई रूप से रहने की बजाय सर्किट हाउस में ही ठहरते हैं और हर शनिवार व रविवार उनकी अपने घर जाने की प्रवृत्ति रहती है। इस मामले को राजस्थान राजस्व मंडल बार एसोसिएशन लगातार सरकार के सामने उठाती रही हैं, लेकिन आज तक राज्य सरकार ने इस मामले में गंभीरता नहीं दिखाई।
राजस्व मंडल की इस बदहाली को प्रदेश भर से आने वाले सैंकड़ों काश्तकार रोजाना भुगतने को मजबूर हैं। मंडल में गिनती के सदस्य सुनवाई का काम कर रहे हैं, उनके बस की बात नहीं कि वे रोजाना सुचिबद्ध होने वाले मुकदमों का निस्तारण कर काश्तकारों को राहत दे पाएं। नतीजतन मुकदमों में फैसले के स्थान पर अगली तारीख दे दी जाती है।
लब्बोलुआब, काश्तकारों की समस्याओं को प्राथमिकता से दूर करने का दम भरने वाली राज्य सरकार का ध्यान कब राजस्थान राजस्व मंडल की और जायेगा, यह देखने वाली बात होगी।
-तेजवानी गिरधर

आनंद सिंह राजावत ने बढ़ा लिया अपना कद

राजस्थान विधानसभा में हाल ही नेता प्रतिपक्ष का पद संभालने वाले दिग्गज भाजपा गुलाबचंद कटारिया का अजमेर में विशेष स्वागत कार्यक्रम कर भाजपा के बजरंग मंडल अध्यक्ष आनंद सिंह राजावत ने अपना कद बढ़ा लिया है। कार्यक्रम में कार्यक्रम में भाजपा के राष्ट्रीय सचिव डॉ. किरीट सोमैया को बुलवा कर भी राजावत ने एक उपलब्धि हासिल की है।
DSC_0106दिलचस्प है कि मंडल के इस कार्यक्रम में शहर भाजपा के अधिसंख्य नेता मौजूद थे, मगर चूंकि इसका आयोजन राजावत ने किया, इस कारण सारी क्रेडिट उन्हीं के खाते में चली गई। सच तो ये है कि राजावत ने अपने स्तर पर ही कटारिया के स्वागत कार्यक्रम बनाया और कटारिया इसके लिए राजी भी हो गए। इसके लिए शहर के अन्य नेताओं की सलाह की जरूरत भी नहीं समझी गई। इतना ही नहीं, राजावत ने अपने मंडल कार्यकर्ताओं के दम पर ही कार्यक्रम का सफल भी बनवा लिया। रेखांकित करने वाली बात ये रही कि पूरे कार्यक्रम को उन्होंने अपने हाथ में ही रखा और किसी को दखल करने नहीं दिया। इस प्रकार वे शहर भाजपा की राजनीति में उभर कर अग्रिम पंक्ति में आ खड़े हुए हैं।
DSC_0113अब जब कि कार्यक्रम संपन्न हो चुका है कि उसका पोस्टमार्टम किया जा रहा है। कोई चंद नेताओं के कार्यक्रम में न आने को गुटबाजी से जोड़ रहा है तो कोई राजावत के अपने दम पर ही कार्यक्रम करने पर आश्चर्य जता रहा है। यह स्वाभाविक भी है। सवाल ये उठता है कि क्या शहर भाजपा को ख्याल नहीं आया कि वह अपने स्तर पर कार्यक्रम आयोजित करवाता, ताकि यह संदेश जाता कि शहर भाजपा एकजुट है? यदि राजावत को ही ख्याल आया तो उन्होंने अपने स्तर पर ही कार्यक्रम करने की क्यों सोची, शहर भाजपा को विश्वास में क्यों नहीं लिया? जब कार्यक्रम का प्रस्ताव आया तो क्या सोच कर कटारिया ने उसकी स्वीकृति दे दी, उन्होंने कार्यक्रम संयुक्त रूप से करने की सलाह क्यों नहीं दी? बेशक, कार्यक्रम में औपचारिकता के नाते सभी नेता आए, मगर इन्हीं सारे सवालों की वजह से ही आज यह मुद्दा बना है कि शहर भाजपा के बैनर पर कार्यक्रम करने पर विचार क्यों नहीं हुआ? संभव है शहर भाजपा अध्यक्ष रासासिंह रावत या अन्य किसी नेता ने कटारिया को बुला कर स्वागत करके अपना रुझान जाहिर न करना चाहा हो, मगर इतना तय है कि इस कार्यक्रम से राजावत रातों-रात अंग्रिम पंक्ति में आ खड़े हुए हैं। राजावत ने पहल करके पहले मारे सो मीर वाली कहावत चरितार्थ कर दिखाई है।
-तेजवानी गिरधर