रविवार, 29 जुलाई 2012

गहलोतजी, विकास को तरसते अजमेर पर ध्यान दीजिए


अजमेर। महान सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह व तीर्थराज पुष्कर और किशनगढ़ की मार्बल मंडी के कारण यूं तो अजमेर जिला अन्तरराष्टï्रीय मानचित्र पर मौजूद है, मगर आज भी प्रदेश के अन्य बड़े जिलों की तुलना में इसका उतना विकास नहीं हो पाया है, जितना की वक्त की रफ्तार के साथ होना चाहिए था। अकेले पानी की कमी को छोड़ कर किसी भी नजरिये से अजमेर का गौरव कम नहीं रहा है। चाहे स्वाधीनता आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने का मुद्दा हो या यहां की सांस्कृतिक विरासत की पृष्ठभूमि, हर क्षेत्र में अजमेर का अपना विशिष्ट स्थान रहा है। दुर्भाग्य से आजादी के बाद राजस्थान राज्य में विलय के बाद कमजोर राजनीतिक नेतृत्व के कारण यह लगातार पिछड़ता गया। दुर्भाग्य से अजमेर शहर की दोनों सीटों पर भाजपा के विधायक हैं, इस कारण अजमेर वासियों का सरकार में प्रतिनिधित्व करने वाला कोई नहीं है।
आइये, समझें कि कैसे छू सकता है अजमेर जिला विकास के आयाम:-
एक लम्बे समय से यहां हवाई अड्ïडे के निर्माण की मांग को देखते हुए मौजूदा प्रदेश कांग्रेस सरकार ने लोकसभा चुनाव से ठीक पहले केन्द्र सरकार के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर तो करवा लिए, मगर मगर आज भी उस दिशा में प्रगति की रफ्तार कम ही है। केन्द्रीय संचार राज्य मंत्री सचिन पायलट विशेष प्रयास कर तो रहे हैं, फिर भी जब तक राज्य सरकार पूरी रुचि नहीं लेगी, वर्षों पुराना सपना साकार नहीं हो पाएगा। अगर यहां हवाई अड्डा बना तो न केवल यहां पर्यटन का विकास होगा और दरगाह व पुष्कर आने वाले पर्यटकों व श्रद्धालुओं को सुविधा होगी, अपितु किशनगढ़ की मार्बल मंडी में भी चार चांद लग जाएंगे।
ऐतिहासिक अजमेर शहर में जहां तक पर्यटन के विकास की बात है, यहां धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने की भरपूर गुुंजाइश है। धार्मिक पर्यटकों का अजमेर में ठहराव दो-तीन तक हो सके, इसके लिए यहां के ऐतिहासिक स्थलों को आकर्षक बनाए जाने की कार्ययोजना तैयार की जानी चाहिए। इसके लिए अजमेर के इतिहास व स्वतंत्रता संग्राम में अतुलनीय योगदान एवं भूमिका पर लाइट एण्ड साउंड शो तैयार किए जा सकते हैं। आनासागर की बारादरी, पृथ्वीराज स्मारक, और तीर्थराज पुष्कर में उनका प्रदर्शन हो सकता है। इसी प्रकार ढ़ाई दिन के झोंपड़े से तारागढ़ तथा ब्रह्मïा मंदिर से सावित्री मंदिर पहाड़ी जैसे पर्यटन स्थल पर 'रोप-वेÓ परियोजना भी बनाई जा सकती है। साथ ही पर्यटक बस, पर्यटक टैक्सियां आदि उपलब्ध कराने पर कार्य किया जाना चाहिए। पर्यटक यहां आ कर एक-दो दिन का ठहराव करें, इसके लिए जरूरी है कि सरकार होटल, लॉज, रेस्टोरेन्ट इत्यादि लगाने वाले उद्यमियों को विशेष सुविधाएं व कर राहत प्रदान कर उन्हें आकर्षित व प्रोत्साहित करने की दिशा में कार्ययोजना तैयार करे।
सब जानते हैं कि अजमेर के विकास में पानी की कमी बड़ी रुकावट शुरू से रही है। हालांकि बीसलपुर योजना से पेयजल की उपलब्धता हुई है, मगर औद्योगिक आवश्यकताओं के लिए बीसलपुर पर्याप्त नहीं है। जयपुर को भी पीने का पानी दिए जाने के बाद यहां पिछली गर्मी में कितनी किल्लत हुई थी, उसकी कल्पना करते ही मन सिहर उठता है। एक बार पूर्व उप मंत्री ललित भाटी ने यह तथ्य उजागर किया था कि मध्यप्रदेश से राजस्थान के हिस्से का पानी हमें अभी प्राप्त नहीं हो रहा है और वो 'सरप्लस वाटरÓ बगैर उपयोग के व्यर्थ बह रहा है। उन्होंने सुझाया था कि उस 'सरप्लस वाटरÓ  को लेकर अजमेर व अन्य शहरों के लिए पेयजल, कृषि एवं औद्योगिक उपयोग के लिए भैंसरोडगढ़ या अन्य किसी उपयुक्त स्थल से पानी अजमेर तक पहुंचाया जाकर उपलब्ध कराया जा सकता है। चंबल के पानी से भी कृषि, औद्योगिक एवं पेयजल की जरूरतें पूरी हो सकती हैं। भाटी के प्रयासों से इस दिशा में एक कदम के रूप में सर्वे भी हुआ, मगर वह आज फाइलों में दफन है। यदि उसे अमल में लाया जाए तो यहां औद्योगिक विकास के रास्ते खुल सकते हैं।
बड़े शहरों के मुकाबले अजमेर को खड़ा करने के लिए एक सुझाव यह भी है कि औद्योगिक विकास को नए आयाम देने के लिए स्पेशल इकॉनोमिक जोन (सेज) बनाया जा सकता है। विशेष रूप से इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी का स्पेशल इकोनोमिक जोन बनाने पर ध्यान दिया जाए तो  उसमें पानी की कमी भी बाधक नहीं होगी। जाहिर तौर पर शैक्षणिक स्तर ऊंचा होने से आई.टी. उद्योगों को प्रतिभावान युवा सहज उपलब्ध होंगे। वर्तमान में इन्फोसिस व विप्रो जैसी प्रतिष्ठित कंपनियों में अजमेर के सैकड़ों युवा कार्यरत हैं। इसके अतिरिक्त आई.टी. क्षेत्र की बड़ी कम्पनियों को अजमेर की ओर आकर्षित करने की कार्य योजना बनाई जा सकती है। इसी प्रकार खनिज आधारित स्पेशल इकोनोमिक जोन भी बनाया जा सकता है। जिले में खनिज पर्याप्त मात्रा में मौजूद है। वर्तमान में बीसलपुर बांध परियोजना में पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। मोटे तौर पर देखा जाए तो यहां पर्यटन और खनिज आधारित औद्यागिक विकास की विपुल संभानाएं हैं, जरूरत है तो सिर्फ उस पर ध्यान देने की। सुव्यवस्थित मास्टर प्लान बना कर उस पर काम किया जाए तो न केवल उससे प्रदेश सरकार का राजस्व बढ़ेगा, अपितु रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।
अजमेर शहर की सबसे बड़ी समस्या है यातायात की। अव्यवस्थित व अनियंत्रित यातायात को दुरुस्त करने के लिए यातायात मास्टर प्लान की जरूरत है। हालांकि संभागीय आयुक्त अतुल शर्मा ने अजमेर वासी होने के कारण इस दिशा में रुचि ली है, लेकिन जब तक सरकार कोई स्पेशल पैकेज नहीं देगी, समस्या से निजात नहीं पाई जा सकती है। सरकार पहल करे तो आनासागर चौपाटी से विश्राम स्थली या ग्लिट्ज तक फ्लाई ओवर बनाया जा सकता है, इससे वैशालीनगर रोड, फायसागर रोड पर यातायात का दबाव घटेगा। झील का संपूर्ण सौन्दर्य दिखाई देगा। उर्स मेले व पुष्कर मेले के दौरान बसों के आवागमन में सुविधा होगी और बी.के. कौल नगर, हरिभाऊ उपाध्याय नगर, फायसागर क्षेत्र के निवासियों को शास्त्रीनगर, सिविल लाइन्स, कलेक्टे्रट के लिए सिटी बस, पब्लिक ट्रांसपोर्ट सुविधा मिल सकेगी।
उम्मीद है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अजमेर आगमन पर इन सुझावों पर ध्यान देंगे।
-तेजवानी गिरधर