बुधवार, 21 मार्च 2012

पार्षदों ने वाकई सही कहा कि या फिर अतिक्रमण दस्ता बंद कर दो


दरगाह इलाके की लंगरखाना गली में अवैध निर्माण हटाने गए निगम के दल के साथ पुलिस के असहयोग के मामले में सभी पार्षदों ने एकजुट हो कर वाकई सही कहा कि जब निगम प्रभावशाली लोगों के अतिक्रमण या अवैध निर्माण नहीं हटा सकती तो ऐसे अतिक्रमण दस्ते को समाप्त कर देना चाहिए। इस प्रकरण में पार्षदों की एकजुटता भी एक नायाब उदाहरण बन कर सामने आया है, जो कि तारीफ-ए-काबिल है।
वाकई यह सही है कि जब भी अतिक्रमण हटाए जाते हैं तो केवल गरीब और कमजोर ही चपेट में आता है और ताकतवर के सामने प्रशासन व पुलिस जप्ता कम होने अथवा माहौल बिगडऩे का बहाना बना कर हथियार डाल देते हैं। लंगर खाना गली में भी यही हुआ कि कथित अतक्रमी ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए माहौल को सांप्रदायिक करने की कोशिश की और मौके पर मौजूद दरगाह थाने के सीआई हनुवंत सिंह भाटी ढ़ीले पड़ गए। नतीजा ये हुआ कि नगर निगम के सीईओ सी आर मीणा भी मौके की नजाकत तो देखते हुए पीछे हट गए।
इस मामले में पार्षदों यह कहना बिलकुल ठीक है कि सीआई हनुवंत सिंह भाटी ने अतिक्रमी का साथ देकर पुलिस की गरिमा गिराई है। पुलिस की इस कार्रवाई से अतिक्रमियों के हौसले बुलंद होंगे। अब जब कि एसपी मामले की जांच करवा रहे हैं तो उन्हें जांच का बिंदु यह भी रखना चाहिए कि क्या वाकई उनकी फौज के अफसर हालात बिगडऩे के डर से पीछे हटे या फिर उन पर किसी क्षेत्रीय व्यक्ति का दबाव था। असल में यह आम राय है कि दरगाह इलाके की पुलिस को खुश रखा जाता है, इसी कारण वह नरमी बरतती है।
पार्षद विजय नागौरा का यह तर्क सही है कि जिस प्रकार अपराधी की कोई जात नहीं होती है, उसी प्रकार अतिक्रमी की भी कोई जात नहीं होती है। निगम जब बड़े लोगों के अतिक्रमण अथवा अवैध निर्माण नहीं हटा सकता है तो अतिक्रमण दस्ते की आवश्यकता ही क्या है? दस्ता गरीब लोगों के निर्माण तोड़कर इतिश्री कर लेता है।
पार्षदों का यह कथन भी स्वागत योग्य है कि भविष्य में सीईओ मीणा जब भी अतिक्रमण हटाने जाएं, पार्षद उनके साथ चलने को तैयार हैं। इस सिलसिले में पूर्व मेयर धर्मेन्द्र गहलोत का भी जिक्र आया, जो कि अतिक्रमण तोडू दस्ते के साथ चलते थे। उससे अतिक्रमियों के हौसले पस्त होते थे। हालांकि गहलोत से गलती सिर्फ ये हो जाती थी कि वे खुद की विरोध करने वाले अतिक्रमी पर हाथ छोड़ देते थे। बहरहाल, यदि दस्ते के साथ मेयर व पार्षद हों तो इससे एक तो अतिक्रमी दबाव में रहेगा और दूसरा दस्ते के कर्मचारी बेखौफ हो कर कार्यवाही को अंजाम दे पाएंगे।
अगर निगम मेयर कमल बाकोलिया वाकई गंभीर हैं तो उनका यह आदेश भी सराहनीय है कि पार्षद अपने अपने वार्डों के अतिक्रमणों की सूची बनाएं और फिर सीईओ मीणा अभियान की शक्ल में अतिक्रमण हटाने को निकलें।
ताजा प्रकरण में एक अफसोसनाक पहलु ये रहा कि पार्षद जब मेयर को शिकायत करने गए तो उनके साथ दरगाह इलाके के पार्षद शाकिर चिश्ती, बाबर चिश्ती, शाहिदा शामिल नहीं थे। उनके न आ पाने की जो भी वजह रही हो, मगर इसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए। उनको भी विश्वास में लेकर कार्यवाही की जानी चाहिए।
जब पार्षद मीणा से मुलाकात कर रहे थे, तब मीणा ने वाकई एक बहुत काम की बात कही। वो यह कि अगर उन पर भी सरकार का वरदहस्त हो और प्रशासन का साथ हो वे भी पूर्व कलेक्टर श्रीमती अदिति मेहता बन कर दिखा सकते हैं। स्पष्ट है कि कोई भी अधिकारी तभी कारगर हो पाता है, जबकि राजनीतिक दखलंदाजी न हो उसे कार्यवाही करने की पूरी छूट दी जाए। अब जब कि सारे पार्षद व मेयर मीणा साहब के साथ हैं तो उन्हें अदिति मेहता बन कर दिखा ही देना चाहिए।
-तेजवानी गिरधर
7742067000
tejwanig@gmail.com