सोमवार, 4 मार्च 2013

जिस वजह से जाने जाते हैं, उसे साबित कर दिखाया लखावत ने

o s lakhawat 1-18.6.12लोगों को यह शक था कि अजमेर भाजपा के भीष्म पितामह कहे जाने वाले वरिष्ठ संघनिष्ठ नेता एडवोकेट औंकारसिंह लखावत को भाजपा प्रदेशाध्यक्ष पद पर वसुंधरा राजे के काबिज होने के बाद पहले जैसी तवज्जो मिलेगी या नहीं, जैसी कि अरुण चतुर्वेदी के अध्यक्षीय कार्यकाल में मिलती थी? सच तो ये है कि अरुण चतुर्वेदी चलते ही लखावत के कहने से थे। चतुर्वेदी हर मामले में उनकी राय जरूर लेते थे। ऐसे में लोगों के जेहन में यह सवाल था कि वसुंधरा जब कार्यकारिणी का गठन करेंगी तो लखावत का क्या होगा? इसके पीछे सोच यह थी कि वे वसुंधरा विरोधी मुहिम का अहम हिस्सा भी थे। उस शंका का आखिर निवारण हो गया है। उन्हें फिर से उपाध्यक्ष पद से नवाजा गया है। मजे की बात ये है कि अध्यक्ष रह चुके चतुर्वेदी तक उपाध्यक्ष बनने को तैयार हो गए। पार्टी मुख्यालय से जो खबर जारी हुई है, उसमें उपाध्यक्षों के क्रम में लखावत का नाम चतुर्वेदी के ठीक बाद रखा गया है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि आज वे कितनी बड़ी अहमियत रखते हैं। स्वाभाविक रूप से लखावत को तवज्जो मिलने के पीछे वसुंधरा की संघ लॉबी से तालमेल करने की कवायद का हिस्सा है, मगर लखावत के लिहाज से देखा जाए तो उन्होंने प्रदेश की राजनीति में सक्रिय रह कर जो जगह बनाई है, उसका श्रेय उनकी चतुराई को जाता है, जो कि उनके खून में है। उसी की बदोलत वे अजमेर में भी सिरमौर रह चुके हैं।
वसुंधरा और संघ के बीच सुलह के बाद बदले हालात में अपुन ने पहले ही इशारा कर दिया था कि बजट सत्र के बाद निकाली जाने वाली वसुंधरा की यात्रा का संभावित रोड मैप बनाने का जिम्मा लखावत को दिए जाने की संभावना है। अर्थात लखावत की अहमियत बरकरार रहने का ब्लू पिं्रट पहले तैयार हो गया था। असल में यह तभी तय हो गया था कि लखावत रिपीट होंगे, जब पिछले दिनों वसुंधरा व संघ लॉबी के बीच सुलह में लखावत की ही अहम भूमिका रही। यह बात दीगर है कि यह तथ्य सार्वजनिक नहीं हुआ। खैर, अब जब कि उन्हें फिर से उपाध्यक्ष बना दिया गया है तो यह साफ है कि आने वाले दिनों में टिकट वितरण में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रहने वाली है।
भाजपा की नई कार्यकारिणी में अजमेर दक्षिण की विधायक श्रीमती अनिता भदेल को प्रदेश मंत्री के रूप में स्थान दे कर उनका कद भी बढ़ा दिया गया है। हालांकि पूर्व में भी वे ललित किशोर चतुर्वेदी की कार्यकारिणी में मंत्री रही हैं, मगर ताजा हालत में उनका मंत्री होना खास अहमियत रखता है, भले ही वे महिला व अनुसूचित जाति कोटे से बनाई गई हों। जहां तक फिर भाजपा किसान मोर्चा के अध्यक्ष बनाए गए पूर्व जलदाय मंत्री प्रो. सांवरलाल जाट का सवाल है, वे शुरू से वसुंधरा के हनुमान थे, इस कारण उनका कद कायम रहने की पूरी संभावना थी।
-तेजवानी गिरधर