आतंकियों के निशाने पर रही सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में कड़ी सुरक्षा के दावे किए जाते हैं, मगर उनमें कितना दम है, इसका अंदाजा इसी बात से लग जाता है कि आपसी रंजिश के चलते अपराधी किस्म के लोग न केवल अंदर हथियार ले जाते हैं, अपितु उनका इस्तेमाल तक कर लेते हैं।
वाकया सोमवार का है। कुछ युवकों ने धारदार हथियारों से लेस हो कर एक फूल वाले पर जानलेवा हमला कर दिया। जाहिर तौर पर वहां हड़कंप मचना ही था। न केवल दरगाह में रहने वाले खादिम, कर्मचारी व दुकानदारों में दहशत फैल गई। सुरक्षा में इस सेंध की अफसोसनाक बात ये है कि हमलावार अपने कारनामे को अंजाम देने के बाद फरार भी हो गए।
हमले में घायल जुबेद के रिश्तेदार सयरफर खान अली ने बताया कि जुबेद दरगाह में फूल बेचने का काम करता है। सोमवार सुबह भी जुबेद अपनी फूल की दूकान पर बैठा था, तभी अचानक आठ दस लोग आए और उस पर धारधार हथियारों से हमला कर दिया। अचानक हुए इस हमले में जुबेद बुरी तरह जख्मी हो गया।
सवाल ये उठता है कि कड़ी सुरक्षा के बावजूद हथियारबंद हमलावर दरगाह के अंदर कैसे आ गए? क्या उन्हें किसी भी गेट से अंदर आते वक्त चैक नहीं किया गया? जाहिर है कि इस प्रकार का हमला करने वाले दरगाह की सुरक्षा में लगे जवानों के प्रति कितने बेखौफ हैं? वे हमला बाहर भी कहीं कर सकते थे, मगर सुरक्षा बंदोबस्त की खामी की रैकी करने के बाद दरगाह में ही हमला कर दिया। सुरक्षा में चूक तो ठीक, मगर हमला करने के बाद वे फरार भी हो गए तो इसका मतलब है कि दरगाह की कड़ी सुरक्षा का दावा कितना खोखला है? यह ठीक है कि यह वारदात आपसी रंजिश की हो सकती है, मगर बड़ा सवाल ये है कि दरगाह कितनी महफूज है?
ऐसा नहीं कि यह पहला वाकया है, जबकि दरगाह में हथियारों का इस्तेमाल हुआ हो। पहले भी इस प्रकार की घटनाएं हो चुकी हैं। उसके बाद भी अगर सुरक्षा एजेंसियां इतनी लापरवाह हैं तो यह वाकई सोचनीय है।
ज्ञातव्य है कि सुरक्षा तंत्र तो अच्छी तरह से पता है कि दरगाह आतंकियों के निशाने पर रही है। एक बार तो बाकायदा बम ब्लास्ट भी किया जा चुका है, जिसके आरोपियों को सजा भी हो चुकी है। इस ब्लास्ट के बाद सुरक्षा को और कड़ा किया गया, मगर बावजूद इसके हमले जैसी वारदातें हो रही हैं तो यह बेहद चिंताजनक है।
-तेजवानी गिरधर
7742067000
वाकया सोमवार का है। कुछ युवकों ने धारदार हथियारों से लेस हो कर एक फूल वाले पर जानलेवा हमला कर दिया। जाहिर तौर पर वहां हड़कंप मचना ही था। न केवल दरगाह में रहने वाले खादिम, कर्मचारी व दुकानदारों में दहशत फैल गई। सुरक्षा में इस सेंध की अफसोसनाक बात ये है कि हमलावार अपने कारनामे को अंजाम देने के बाद फरार भी हो गए।
हमले में घायल जुबेद के रिश्तेदार सयरफर खान अली ने बताया कि जुबेद दरगाह में फूल बेचने का काम करता है। सोमवार सुबह भी जुबेद अपनी फूल की दूकान पर बैठा था, तभी अचानक आठ दस लोग आए और उस पर धारधार हथियारों से हमला कर दिया। अचानक हुए इस हमले में जुबेद बुरी तरह जख्मी हो गया।
सवाल ये उठता है कि कड़ी सुरक्षा के बावजूद हथियारबंद हमलावर दरगाह के अंदर कैसे आ गए? क्या उन्हें किसी भी गेट से अंदर आते वक्त चैक नहीं किया गया? जाहिर है कि इस प्रकार का हमला करने वाले दरगाह की सुरक्षा में लगे जवानों के प्रति कितने बेखौफ हैं? वे हमला बाहर भी कहीं कर सकते थे, मगर सुरक्षा बंदोबस्त की खामी की रैकी करने के बाद दरगाह में ही हमला कर दिया। सुरक्षा में चूक तो ठीक, मगर हमला करने के बाद वे फरार भी हो गए तो इसका मतलब है कि दरगाह की कड़ी सुरक्षा का दावा कितना खोखला है? यह ठीक है कि यह वारदात आपसी रंजिश की हो सकती है, मगर बड़ा सवाल ये है कि दरगाह कितनी महफूज है?
ऐसा नहीं कि यह पहला वाकया है, जबकि दरगाह में हथियारों का इस्तेमाल हुआ हो। पहले भी इस प्रकार की घटनाएं हो चुकी हैं। उसके बाद भी अगर सुरक्षा एजेंसियां इतनी लापरवाह हैं तो यह वाकई सोचनीय है।
ज्ञातव्य है कि सुरक्षा तंत्र तो अच्छी तरह से पता है कि दरगाह आतंकियों के निशाने पर रही है। एक बार तो बाकायदा बम ब्लास्ट भी किया जा चुका है, जिसके आरोपियों को सजा भी हो चुकी है। इस ब्लास्ट के बाद सुरक्षा को और कड़ा किया गया, मगर बावजूद इसके हमले जैसी वारदातें हो रही हैं तो यह बेहद चिंताजनक है।
-तेजवानी गिरधर
7742067000