गुरुवार, 12 सितंबर 2013

रघु शर्मा को निपटाने को सारस्वत को भेजा जाएगा?

विधानसभा चुनाव में सरकारी मुख्य सचेतक डॉ. रघु शर्मा को केकड़ी सीट पर घेरने के लिए भाजपा में गंभीर चिंतन हो रहा है। कांग्रेस के एक बड़े मोहरे को पीटने का मकसद तो है ही, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष श्रीमती वसुंधरा राजे के साथ विधानसभा में हुई व्यक्तिगत नाइत्तफाकी के चलते भी स्वाभाविक रूप से रघु निशाने पर रहेंगे। यहां कहने की जरूरत नहीं है कि कांग्रेस की ओर से रघु को ही मैदान में उतारने की प्रबल संभावना है। एक तो उनके कद के बराबर कोई दूसरा है नहीं, दूसरा विधानसभा क्षेत्र में सक्रियता के कारण कांग्रेस की नजर में वे ही जिताऊ उम्मीदवार हैं। जानकारी के अनुसार प्रदेश कांग्रेस की ओर से बनाए गए पैनल में अकेले उनका ही नाम है।
खैर, बात चल रही थी भाजपा की। असल में भाजपा में वहां रिंकू कंवर व भूपेन्द्र सिंह की लॉबियों में छत्तीस का आंकड़ा होने के कारण इन दोनों में किसी भी एक को मौका देने पर दूसरे के हार जाने का पूरा अंदेशा है। ज्ञातव्य है कि पिछली बार रिंकू कंवर को पार्टी की फूट के चलते ही हार का सामना करना पड़ा था। स्थानीय अन्य दावेदारों में भी जबरदस्त खींचतान है। दावेदारों की इस आपसी सिर फुटव्वल के चलते इस सीट को बीजेपी के खाते में डालना बेहद मुश्किल है। इसी के चलते पिछले दिनों पूर्व मंत्री जर्नादनसिंह गहलोत का नाम उभरा। ज्ञातव्य है कि करोली से कई बार विधायक रहे जर्नादन सिंह गहलोत रावणा राजपूत समुदाय के बड़े नेताओं में से एक हैं। कद के लिहाज से भी गहलोत रघु शर्मा पर भारी पड़ सकते हैं। मगर जैसे ही उनका नाम आया, स्थानीय अन्य नेता उनके खिलाफ लामबंद हो गए। ऐसे में भाजपा प्रो. बी. पी. सारस्वत के नाम पर गंभीर विचार कर रही है। इसके पीछे बाकायदा एक पुख्ता गणित भी है। वो ये कि यूं तो रघु ने इलाके में कुछ काम करवा कर अपनी टिकट पक्की कर ली, मगर पिछले एक साल के दौरान केकड़ी सहित सरवाड़ में बिगड़े सांप्रदायिक माहौल में रघु की हालत खराब हो गई है। असल में वहां इस बार बाकायदा हिंदू-मुस्लिम के बीच वोटों का धु्रवीकरण होता दिखाई दे रहा है। ऐसे में स्वाभाविक रूप से सारस्वत उन पर भारी पड़ सकते हैं। वे ब्राह्मण वोटों का बंटवारा तो करेंगे ही, हिंदूवाद का भी फायदा लेंगे। कहने की जरूरत नहीं है कि सारस्वत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद व विश्व हिंदू परिषद में सक्रिय रहे हैं और पूर्व में ब्यावर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा टिकट के प्रबल दावेदार रहे हैं। वे विहिप के दिग्गज प्रवीण भाई तोगडिय़ा के त्रिशूल दीक्षा कार्यक्रम के दौरान प्रमुख भूमिका अदा करने पर मुकदमा दर्ज होने के कारण काफी चर्चित हुए थे। महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय, अजमेर में सेंटर फोर एन्थे्रप्रिनियरशिप एंड स्माल बिजनिस मैनेजमेंट के आठ वर्ष तक डायरेक्टर रहे प्रो. बी. पी. सारस्वत उच्च शिक्षा जगत में भी एक जाना-पहचाना नाम है।
बताया जाता है कि वे इन दिनों प्रदेश भाजपा अध्यक्ष श्रीमती वसुंधरा राजे के काफी करीब हैं। वे न केवल अजमेर में भाजपा सदस्यता अभियान समिति के प्रभारी रहे, अपितु हाल ही में चुनाव के मद्देनजर विधानसभा वार चंदा एकत्रित करने की टास्क में उन पर पुष्कर विधानसभा क्षेत्र की जिम्मेदारी डाली गई है। समझा जा सकता है कि यद्यपि पुष्कर उनका क्षेत्र नहीं, फिर भी ऐसी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी देने के मायने यही हैं कि आने वाले दिनों में उन पर और भी दायित्व सौंपा जा सकता है। चर्चा यही है कि उन्हें केकड़ी में रघु शर्मा को निपटाने का काम दिया जा सकता है। हालांकि उन्होंने टिकट के लिए दावेदारी नहीं की है, मगर उनकी सक्रियता यही जताती है कि वे टिकट हासिल करने की दिशा में बढ़ रहे हैं।
-तेजवानी गिरधर