शुक्रवार, 12 जुलाई 2013

हवाई अड्डा बना नहीं, शुरू हो गई राजनीति

अजमेर जिले के किशनगढ़ के पास प्रस्तावित बहुप्रतीक्षित हवाई अड्डा अभी बना भी नहीं है कि उसके नामकरण को लेकर राजनीति शुरू हो गई है। ठीक उसी तरह जैसे अजमेर रेलवे स्टेशन को लेकर हुई थी।
ज्ञातव्य है कि हाल ही राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी अजमेर आए तो दरगाह जियारत के दौरान खादिमों की संस्था अंजुमन की ओर से मांग की गई कि इसका नाम सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के नाम पर गरीब नवाज एयरपोर्ट रखा जाए। उन्होंने इसके पक्ष में तर्क भी दिए। इस पर हालांकि अन्य संगठन मुखर रूप से सामने नहीं आए हैं, मगर किन्हीं सज्जन ने फेसबुक पर पृथ्वीराज चौहान एयरपोर्ट अजमेर के नाम से अकाउंट बना दिया है। स्पष्ट है कि यह प्रयास अंजुमन की मांग के जवाब में शुरू की जा रही मुहिम का हिस्सा है। इसी मुहिम के तहत अजमेर यूथ क्लब ने तो बाकायदा एक अपील जारी की है, जिसमें हालांकि वर्तनी की अशुद्धियां हैं, मगर आपकी जानकारी के लिए उसे दुरुस्त कर हूबहू दिया जा रहा है:-
भारत के अंतिम हिंदू सम्राट और अजमेर के सम्राट पृथ्वीराज चौहान के नाम पर अजमेर में क्या है? केवल एक भाजपा के राज में बना पृथ्वीराज स्मारक, उसकी भी सरकार ने हालात खराब कर दी है। हमने सरकार के सभी बड़े मंत्रियों को खत लिख कर मांग की है कि अजमेर में निर्माणाधीन एयरपोर्ट का नाम पृथ्वीराज चौहान रखा जाये, जिससे देशभर और विदेशों में उनकी पहचान बनी रहे। अब सरकार के मन में कया है, सरकार जाने, हमने साफ कर दिया है कि पृथ्वीराज का नाम नहीं तो एयरपोर्ट नहीं। हमें आपका थोड़ा सा सहयोग चाहिये। आप हमारे द्वारा बनाई गयी फेसबुक आईडी prithvirajchauhanairportajmer@gmail.com को भी जोड़ें, जिससे सरकार को अजमेर के लोगों के सम्मान के लिए एयरपोर्ट का नाम पृथ्वीराज चौहान के नाम पर रखना पड़े। हमें अजमेर के सभी सामाजिक संगठन और मार्केट एसोशिएयन का भी समर्थन मिला है। हमने करीब 20 हजार पेम्पलेट छपवा कर घर-घर यह संदेश भेजा है। सभी संकुल कॉलेज में भी यह संदेश भेजा है। सब हमारे साथ जुड़ रहे हैं। आपसे फिर निवेदन है कि आप हमारे द्वारा बनायी गयी फेसबुक आईडी और अन्य लोगों को जुडऩे के लिये कहें। हम आपके आभारी होंगे। -विजय कांकाणी माहेश्वरी। आप फेसबुक पर जाकर हमारी आईडी prithvirajchauhanairportajmer@gmail.com को सर्च करें, आपको मिल जायेगा। हमें अपने हिंदू सम्राट पृथ्वीराज चौहान के खातिर सरकार को अपती ताकत दिखानी होगी।
इस अपील से समझा जा सकता है कि हवाई अड्डे के नाम को लेकर आगे चल कर क्या होने वाला है।
ज्ञातव्य है कि इससे पहले अजमेर रेलवे स्टेशन का नाम रेलवे बोर्ड के स्तर पर अजमेर शरीफ करने के प्रस्ताव का खुलासा होने पर किस प्रकार सभी हिंदूवादी संगठन, व्यापारिक संगठन और कई संस्थाएं रातोंरात अजयमेरु संघर्ष मंच के बैनर तले लामबंद हो गई थीं और जिला कलैक्टर तथा मंडल रेल प्रबंधक अजमेर को ज्ञापन देकर अजमेर के रेलवे स्टेशन का नाम परिवर्तन कर अजमेर शरीफ करने के प्रस्ताव को तत्काल निरस्त कराने की मांग करते हुए उन्हें मुख्यमंत्री राजस्थान सरकार तथा रेल मंत्री भारत सरकार के नाम ज्ञापन पत्र सौंपे। सभी संगठनों के प्रतिनिधिगण व कार्यकर्ताओं ने स्थानीय डाक बंगले से मंच के संयोजक सुनील दत्त जैन, जो कि संघ के महानगर संचालक भी हैं, के नेतृत्व में विशाल जुलूस जिला कलैक्टर कार्यालय व डीआरएम कार्यालय भी निकाला।
ज्ञापन में बताया गया था कि अजमेर का अपना एतिहासिक गौरव रहा है। इसका इतिहास करीब 2000 वर्ष पुराना है तथा इसकी पहचान पिछली कई पीढिय़ों से यहां के इतिहास व गौरव के अनुरूप अजयमेरू के नाम से होती चली आई है। इसी आधार पर यात्री परिवहन के दूसरे बड़े केन्द्र रोडवेज ने भी अजमेर आगार को अजयमेरू आगार पिछले कई वर्षों से घोषित किया हुआ है। इस स्थिति में रेलवे स्टेशन का नाम यहां के साम्प्रदायिक सौहार्द के विपरीत परिवर्तन करने का काई औचित्य नहीं है। उक्त नाम परिवर्तन क्षुद्र राजनीतिक उद्देश्य की पूर्ति करने के लिये तथा वोटों की राजनीति के लिए केन्द्र सरकार के इशारे पर कराने के प्रयास किये जा रहे हैं। कभी भी अजमेर की जनता व जनप्रतिनिधियों के द्वारा इस प्रकार की कोई मांग नहीं की गई, फिर भी इस प्रकार के षडय़ंत्र करके लोगों की भावनाओं को आहत किया जा रहा है। ज्ञापन में नाम परिवर्तन की उक्त प्रक्रिया को तत्काल समाप्त कराने की मांग करते हुए यह भी मांग की कि अजमेर रेलवे स्टेशन का नाम चूंकि अजमेर की पहचान अजयपाल जी, अगणराज जी व यशस्वी सम्राट पृथ्वीराज चौहान से होती है, अत: यहां की गौरवशाली व ऐतहासिक परम्परा के अनुरूप अजयमेरू रखा जाए। इतना भारी विरोध देख कर मंडल रेल प्रबंधक मनोज सेठ ने आश्वस्त किया था कि रेलवे द्वारा रेलवे स्टेशन के नाम परिवर्तन के संदर्भ में कोई कार्यवाही नहीं की जाएगी तथा नाम परिवर्तन के इस प्रकरण का पटाक्षेप कर दिया।
-तेजवानी गिरधर