रविवार, 17 जून 2012

सिंध और महाराजा दाहरसेन पर अद्वितीय पुस्तक प्रकाशित


सिंधुपति महाराजा दाहरसेन के बलिदान दिवस के मौके पर अजमेर में दाहरसेन स्मारक पर गत 16 जून, 2012 को आयोजित विशाल श्रद्धांजलि समारोह में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहनराव भागवत सहित अन्य अतिथियों के हाथों विमोचित पुस्तक संसार का सिरमौर सिंध और महाराजा दाहरसेन, सिंध और दाहरसेन बाबत लिखी गई अब तक की सभी पुस्तकों से भिन्न और तथ्यों के संकलन की दृष्टि से अद्वितीय है। यह अमूल्य कृति प्रखर वक्ता, कुशल राजनीतिज्ञ एवं सरस्वती पुत्र पूर्व सांसद श्री औंकार सिंह लखावत द्वारा सिंध और महाराजा दाहरसेन पर किए गए गहन शोध का साक्षात लिपिबद्ध स्वरूप है।
पुस्तक का अध्ययन करने से स्पष्ट प्रतीत होता है कि विषय के बारे में विस्तृत, गूढ़ व गहन जानकारी के लिए उन्होंने न केवल सिंध के इतिहास से संबंधित अनेकानेक प्राचीन ग्रंथ, दस्तावेज व पुस्तकों का अध्ययन-मनन किया है, अपितु अनेक विषय विशेषज्ञों से गहन चर्चा कर इतिहास के उस सत्य को उद्घाटित करने, उभारने व पुनस्र्थापित करने की कोशिश की है, जो कि या तो लुप्त प्राय: हो चुका था अथवा जिसे निहित स्वार्थी तत्वों ने तोड़-मरोड़ कर भावी पीढ़ी को दिग्भ्रमित करने की कोशश की।
इस अनुपम पुस्तक की सबसे बड़ी विशेषता यही है कि इसमें सिंध और महाराजा दाहरसेन से जुड़े वास्तविक तथ्यों को तर्क की कसौटी पर कस कर तथ्यों को सिलसिलेवार और सहज पठनीय भाषा में प्रस्तुत किया गया है। इतना ही नहीं, इस पुस्तक से हमें महान सिंधु घाटी की सभ्यता और महाराजा दाहरसेन की महानता का भान होता है, जो कि हमारे लिए अत्यंत ही गौरवपूर्ण व प्रेरणास्पद है। इसके अतिरिक्त अनेक प्रसिद्ध व प्रतिष्ठित इतिहासकार, समाजसेवी, साहित्यकार व राजनीतिज्ञों के सिंध व महाराजा दाहरसेन संबंधी कथनों का संकलन इस पुस्तक को और अधिक संग्रहणीय बनाता है।
वस्तुत: यह एक पुस्तक मात्र नहीं, अपितु महान सिंधु नदी से निकली एक धारा है, जिसका पान कर न केवल शोधार्थियों की जिज्ञासा तृप्त होगी, अपितु हमारी भावी पीढ़ी के लिए एक प्रकाश स्तंभ का कार्य करेगी। धरती पर गंगा की तरह इस धारा को हमारे पास लाने का भगीरथी प्रयास करने वाले श्री लखावत कोटि-कोटि साधुवाद के पात्र हैं। पुस्तक का प्रकाशन तीर्थ पैलेस प्रकाशन, 125, हैलोज रोड, पुष्कर की ओर से किया गया है और इसका मूल्य मात्र एक सौ रुपए रखा गया है।
यहां उल्लेखनीय है कि श्री लखावत इससे पूर्व जय आवड़ आसापुरा, बाहरठ नरहरिदास, हिंगलाज शक्तिपीठ, बोल सांसद बोल : युग चारण बोल, राजल अकबर का नवरोज दियो छुड़ाय आदि पुस्तकें लिख चुके हैं।
जहां तक श्री लखावत के व्यक्तित्व और कृतित्व का सवाल है, सब जानते हैं कि वे राज्यसभा सदस्य व अजमेर नगर सुधार न्यास के अध्यक्ष रह चुके हैं। न्यास के अध्यक्षीय काल में ही उन्होंने दाहरसेन स्मारक सहित सम्राट पृथ्वीराज चौहान स्मारक, लव-कुश उद्यान, मनीषि समरथदान पत्रकार भवन सहित अनेकानेक स्थाई और दर्शनीय स्थानों का निर्माण करवाया। वे अजमेर में स्थित चारण साहित्य शोध संस्थान के अध्यक्ष भी हैं और भक्तिधाम की स्थापना उन्हीं की देन है।
राजस्थान धरोहर संरक्षण एवं प्रोन्नति प्राधिकरण के अध्यक्ष रहने के दौरान उन्होंने बूढ़ा पुष्कर जीर्णोद्धार, गोगामेड़ी में गोगाजी चौहान स्मारक, खानुआ में राणा सांगा स्मारक, भरतपुर में महाराजा सूरजमल स्मारक, मेड़ता में मीराबाई स्मारक, मानगढ़ धाम, बांसवाड़ा में गोविंद गुरू स्मारक, सलूम्बर में हाड़ी रानी स्मारक, खरनाल में तेजीजी स्मारक, पींपासर में जाम्भाजी स्मारक, चूरू में गुरू गोविंद सिंह स्मृति साहवा सरोवर, सीलू-जालौर में नर्मदेश्वर धाम, टहला में नरहरिदास बारहठ स्मारक, आउवा में सत्याग्रह उद्यान, अर्णवराज एवं मीरा उद्यान आदि के निर्माण करवाया। पेशे से वे वकालत करते हैं।
श्री लखावत का जन्म 1 अप्रैल, 1949 को नागौर जिले के टहलां गांव में श्री आसकरण लखावत के घर हुआ। प्रारंभिक शिक्षा कड़ेल व थांवला में अर्जित करने के बाद बीए की डिग्री नागौर जिले के डीडवाना कस्बे में प्राप्त की। वहां भारत सेवक समाज के उपाध्यक्ष और प्रांतीय मंत्री रहे। इसके पश्चात अजमेर चले आए। यहां अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के अजमेर विभाग के मंत्री व उपाध्यक्ष रहे। आजीविका के लिए माध्यमिक शिक्षा बोर्ड में लिपिक की नौकरी की। इसी दौरान राजकीय महाविद्यालय से एलएलबी की और वकालत प्रारंभ कर दी। इस दौरान युवा अभिभाषक परिषद के मंत्री रहे।
अध्ययनकाल के दौरान ही साहित्यिक कार्यों व पत्रकारिता में रुचि रही और वकालत करने के साथ सन् 1969 में समाचार एजेंसी हिंदुस्तान समाचार के जिले के संवाददाता बने। इसी दौरान उनकी रुचि राजनीति में भी हुई और। सन् 1996 में उनको अजमेर नगर सुधार न्यास का अध्यक्ष बनाया गया। सन् 1998 में उनको राज्यसभा सदस्य के रूप में चुना गया। भाजपा संगठन में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही और प्रदेश महामंत्री रहे। वर्तमान में प्रदेश उपाध्यक्ष पद पर हैं।

उनका संपर्क सूत्र है:-
1. 24-ए, मोहन कालोनी, स्वेज फार्म, सोडाला, जयपुर
दूरभाष : 09414007610, 0145-2290629
ईमेल : oslakhawat@gmail.com
2. करणी कुंज, कचहरी रोड, अजमेर
दूरभाष : 0145-2422610