मंगलवार, 5 जून 2012

प्रशासक ने तो दिखा दी इच्छाशक्ति, अब नेताओं की बारी

अंतिम सांसें गिनते सावित्री स्कूल को बचाओ
अजमेर के सबसे पुराने व प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान सावित्री कन्या सीनियर सेकंडरी स्कूल के प्रशासक व एडीएम-प्रशासन मोहम्मद हनीफ ने तो अपनी इच्छा शक्ति दिखाते हुए माध्यमिक शिक्षा निदेशक को प्रस्ताव भेज कर स्कूल को सावित्री कॉलेज की तरह ही सरकारी व्यवस्था के अधीन लिए जाने का अनुरोध कर दिया है, अब शासन की बारी है। सब जानते हैं कि अगर राजनीतिक इच्छाशक्ति न हो तो इस प्रकार के प्रस्ताव फाइलों की ही धूल चाटते रहते हैं। अत: अब जरूरत है अजमेर के राजनेताओं की सक्रियता की, और विशेष रूप से शिक्षा राज्य मंत्री श्रीमती नसीम अख्तर इंसाफ की। हालांकि वे पूर्व में इस बारे में आश्वासन दे चुकी हैं कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मुलाकात कर स्कूल का वजूद कायम रखने की हरसंभव कोशिश करेंगी, मगर इस बारे में अब तक हुई राजनीतिक कोशिश का अता-पता नहीं है।
इस स्कूल के सिलसिले में विशेष सक्रियता की जरूरत इस वजह से है क्योंकि स्कूल के प्रिंसिपल सहित सभी 22 शिक्षिकाओं को उनके पूर्व स्थानांतरित स्थान के लिए रिलीव किया जा चुका है। अब स्कूल में स्टाफ नहीं है। यदि जुलाई तक सरकार ने स्कूल का अधिग्रहण नहीं किया तो नए सत्र से शिक्षण कार्य ठप हो सकता है।
यहां उल्लेखनीय है कि प्रशासक हनीफ मोहम्मद ने अपने प्रस्ताव में इस स्कूल को सभी सुविधाओं से परिपूर्ण बताया है। स्कूल के पास रसायन विज्ञान, वनस्पति विज्ञान, भौतिक विज्ञान एवं गृह विज्ञान की आधुनिक संसाधनों से सुसज्जित प्रयोगशालाओं सहित उच्च कोटि की अन्य सुविधाएं भी हैं। परिणाम की दृष्टि से भी स्कूल का बेहतरीन रिकार्ड रहा है। इस वर्ष बोर्ड की सभी परीक्षाओं में विद्यालय की छात्राओं ने जिला मेरिट में जगह बनाई है। स्कूल के खाते में तकरीबन 3 करोड़ से अधिक की राशि मौजूद है। इसके अलावा करोड़ों रुपए मूल्य के विद्यालयों के भवन, बस व अन्य चल-अचल संपत्ति मौजूद है। कुल मिला कर स्कूल में संसाधन पूरे हैं। इसे चलाने के लिए सरकार को अपने स्तर पर बस स्टाफ की व्यवस्था करनी होगी। हनीफ मोहम्मद ने इस बारे में सुझाव दिया बताया कि तोपदड़ा, टीकम चंद, सेंट्रल गल्र्स, ओसवाल व आर्य पुत्री समेत अन्य सरकार स्कूलों में अधिशेष शिक्षकों को यहां लगाया जा सकता है। आज जब कि महिला शिक्षा पर सर्वाधिक जोर दिया जा रहा है, ऐसे बेहतरीन स्कूल को बचाना सरकार की महती जिम्मेदारी बनती है। सच तो ये है कि सरकार ही इस स्कूल को चला रही थी, तकरीबन 38 साल से। वो यूं कि सरकार ने 1974 में स्कूल की प्रबंधकारिणी समिति को स्थगित कर राज्य सरकार के प्रतिनिधि को प्रशासक के रूप में तैनात किया था, जो पिछले 38 साल से तैनात हैं।
बहरहाल, अब उम्मीद की जानी चाहिए कि शिक्षा राज्य मंत्री श्रीमती नसीम अख्तर इंसाफ व अन्य जनप्रतिनिधि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर दबाव बनाएंगे क्योंकि शिक्षा मंत्री बृजकिशोर शर्मा तो पहले ही नियमों का हवाला दे कर हाथ खड़े कर चुके हैं। मुख्यमंत्री चाहें तो स्वयं दखल दे कर नियमों को शिथिल कर सकते हैं।


-तेजवानी गिरधर
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