सोमवार, 29 अगस्त 2016

मारोठिया की जीत हेमंत भाटी के लिए एक बड़ी उपलब्धि

छात्र संघ चुनाव में एनएसयूआई को मिली सफलता से कांग्रेस को तो लाभ मिला है, वह जग जाहिर है, मगर विशेष रूप से पृथ्वीराज चौहान राजकीय महाविद्यालय में अध्यक्ष पद पर हनीश मारोठिया की जीत से अजमेर दक्षिण के प्रबल संभावी प्रत्याशी हेमंत भाटी को बंपर लाभ होगा।
वस्तुत: मारोठिया माली समाज के जाने माने व्यवसायी परिवार से हैं और यह भी सब जानते हैं कि माली समाज आम तौर पर भाजपा की ओर रुझान रखता है। इसी का फायदा पिछले तीन चुनाव में महिला व बाल विकास राज्य मंत्री श्रीमती अनिता भदेल को मिलता रहा है। हालांकि पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की वजह से या पारंपरिक रूप से माली समाज के कुछ लोग कांग्रेस से जुड़े हुए हैं, मगर अधिसंख्य माली भाजपा के खाते में ही गिने जाते हैं। सच तो ये है कि भाजपा के लिए माली समाज एक तगड़े वोट बैंक की तरह रहा है। श्रीमती भदेल को टिकट भले ही कोली वोट बैंक की वजह से मिलता है, मगर उनकी जीत होती माली व सिंधी वोटों से है।
जैसी कि जानकारी है, मारोठिया की उम्मीदवारी से लेकर जीतने तक माली समाज के प्रभावशाली लोगों का समूह हेमंत भाटी के संपर्क में रहा। जाहिर है उन्होंने टिकट दिलवाने से लेकर समर्थन की एवज में आगे चल कर समर्थन देने का वायदा किया ही होगा। इस लिहाज से भाटी ने चुनाव से काफी पहले ही भाजपा के वोट बैंक में सेंध मार दी है।  राजनीतिक क्षेत्रों में यह एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है। हनीश मारोठिया के जीतने से कांग्रेस का जनाधार बढऩे का सामान्य संकेत तो मिलता ही है, मगर उससे भी अधिक इस घटना का सीधा सीधा लाभ कांग्रेस के प्रबल संभावी उम्मीदवार हेमंत भाटी को ही मिलेगा।
-तेजवानी गिरधर
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बढ़ा विजय जैन का कद, मगर पड़ा रंग में भंग

विजय जैन
छात्र संघ चुनाव में एनएसयूआई को मिली सफलता से शहर जिला कांग्रेस अध्यक्ष विजय जैन का कद बढ़ा है, मगर साथ ही परिणाम वाले दिन पत्थरबाजी व लाठीचार्ज के चलते कांग्रेस में जो खुशी की लहर थी, उसके रंग में भंग पड़ गया है।
यूं तो आमतौर पर एनएसयूआई अपने स्तर पर ही चुनावी रणनीति बनाती रही है और कांग्रेस संगठन से फौरी मार्गदर्शन ही लेती है, मगर इस बार शहर कांग्रेस की भी सक्रियता के कारण जीत का श्रेय विजय जैन के खाते में भी गया है। चुनाव को लेकर कांग्रेस कितनी उत्साहित थी, इसका अनुमान इसी बात से लग जाता है कि लाठीचार्ज में कई कांग्रेसी नेता भी चोटिल हुए। स्वाभाविक सी बात है कि वे घटनास्थल पर मौजूद थे। हालांकि जैन जब अध्यक्ष बने थे तो उन्हें अपेक्षाकृत कम अनुभव का मान कर यह आशंका जताई जा रही थी कि क्या वे दिग्गज नेताओं की गुटबाजी के रहते इस बेड़े को चला भी पाएंगे या नहीं, मगर लगातार धरना-प्रदर्शन और आयोजनों में लगभग सभी बड़े नेताओं की भागीदारी और बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं की शिरकत से संगठन को गति मिली। जाहिर तौर पर इससे जैन को ठीक से स्थापित होने में सुविधा रही। एनएसयूआई के चुनाव में कामयाब होने से जैन का कद और बढ़ा है। हालांकि कुछ लोगों का मानना है कि उनका असली वजूद शहर जिला कार्यकारिणी घोषित होने के बाद ही पता लग पाएगा कि वे कितनी मजबूती से संगठन को चला पाते हैं, मगर फिलवक्त तो यही लग रहा है कि वे सौभाग्यशाली हैं। एनएसयूआई की सफलता का जश्न और भी रंगीन होता, मगर परिणाम वाले दिन किसी शरारती तत्व के पत्थरबाजी करने और पुलिस ने अतिरिक्त जोश दिखाते हुए लाठीचार्ज करने से रंग में भंग पड़ गया।  कांग्रेस का यह आरोप कि लाठीचार्ज भाजपा नेताओं व सरकार की शह पर हुआ, अपनी जगह है, मगर निष्पक्ष राय रखने वालों का भी मानना है कि पुलिस ने अतिरिक्त बहादुरी इसी वजह से दिखाई कि उसे पता था कि सामने कांग्रेस के कार्यकर्ता हैं। अगर दो-चार के हाथ पैर टूटे तो भी कुछ खास बात नहीं है। कांग्रेस ने ज्यादा ही विरोध जताया तो उसके कार्यकर्ताओं पर मुकदमे दर्ज करवा कर उन्हें दबा दिया जाएगा। लाठीचार्ज के बाद जिस प्रकार सोशल मीडिया पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं गुस्सा फूटा उससे लग रहा था विरोध प्रदर्शन तगड़ा होगा, मगर दूसरे ही दिन जन्माष्ठमी होने के कारण कांग्रेस ज्ञापन दे कर औपचारिक विरोध ही कर पाई। इसका दूसरा पक्ष ये भी है कि अगर कांग्रेस ज्यादा उग्र होती तो भी पुलिस व प्रशासन दमनात्मक कदम उठा सकते थे।
कुल मिला कर जीत की खुशी काफूर हो गई है। मगर दूसरी और ये भी तय है कि इन चुनावों ने भाजपा का जनाधार खिसकने के संकेत दे दिए हैं।  और यही वजह है कि यह आम धारणा बनने लगी है कि आगामी विधानसभा चुनाव भाजपा के लिए बड़ी चुनौती ले कर आएंगे। छात्रों अर्थात युवाओं का इस प्रकार का प्रदर्शन जाहिर करता है कि भाजपा की एबीवीपी के माध्यम से युवाओं पर जो पकड़ होनी चाहिए थी, वह कमजोर हुई है। इसको भाजपा ने कितनी गंभीरता से लिया, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि भाजपा के नेता कह रहे हैं कि इस चुनाव में हार को जनाधार खिसकने से नहीं जोड़ा जाना चाहिए।
-तेजवानी गिरधर
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