शुक्रवार, 18 नवंबर 2016

अजमेर दक्षिण के लिए संघ ला चुका है एक नया चेहरा

फुसफुसाहटों में ये चर्चा होती रही है कि आगामी विधानसभा चुनाव में अजमेर उत्तर व दक्षिण के भाजपा विधायक क्रमश: प्रो. वासुदेव देवनानी व श्रीमती अनिता भदेल को टिकट नहीं मिलेगा। इसके तर्क भी दिए जाते हैं। जैसे दोनों की लड़ाई के कारण भाजपा संगठन को नुकसान हुआ है। कोई कहता है कि भाजपा का एक बड़ा धड़ा देवनानी का खिलाफ है, इस कारण उनका टिकट कट जाएगा। कोई कहता है कि चूंकि नगर परिषद चुनाव में अजमेर दक्षिण में भाजपा की करारी हार हो चुकी और श्रीमती भदेल के कभी दाहिने व बायें हाथ रहे हेमंत भाटी व सुरेन्द्र सिंह शेखावत अब उनके साथ नहीं हैं, इस कारण उनका टिकट काटा जाएगा। कोई ये तर्क देता है कि लगातार तीन बार हारे हुए और वर्तमान में मंत्री की जिम्मेदारी निभाने वालों का टिकट भला कैसे काटा जा सकता है। आखिरी बात में दम भी है, मगर चूंकि ये दोनों सीटें आरएसएस के खाते की हैं और सब जानते हैं कि संघ में जिस स्तर पर निर्णय होता है, उसको आदेश के रूप में ही पालना होता है। संघ की नजर में व्यक्ति कुछ नहीं होता, उसकी लोकप्रियता कुछ नहीं होती, होता है तो सिर्फ संघ का नेटवर्क व उसका आदेश शिरोधार्य करने वाले भाजपा कार्यकर्ता। खुद देवनानी जी ही उसके सबसे सटीक उदाहरण हैं। जब वे अजमेर लाए गए तो उन्हें कोई नहीं जानता था, फिर भी संघ ने उन्हें जितवा दिया। श्रीमती भदेल भी जिस तरह से उभर कर आईं, वह संघ का ही कमाल है।
खैर, हालांकि अभी चुनाव दूर हैं और राजनीति वो चौसर है, जिस पर कब कैसे पासे होंगे, कुछ कहा नहीं जा सकता, मगर कानाफूसी है कि आरएसएस देवनानी की ही तरह एक ऐसे चेहरे को उदयपुर से अजमेर ला चुकी है, जिसे चंद लोग, या यूं कहें कि मित्र की जानते हैं। बताया जाता है कि उसे अभी से ग्राउंड पर अजमेर दक्षिण में गुपचुप तानाबाना बुनने को कहा गया है। संयोग से वह मूलत: अजमेर से और कोली समाज से ही है। इसका ये अर्थ ये निकाला जा सकता है कि श्रीमती भदेल का टिकट काटने का मन लगभग बना लिया गया है। कहा जा रहा है कि उन्हें शाहपुरा भेजा जा सकता है। वैसे भले ही संघ एकजुट व मजबूत संगठन हैं, मगर वहां भी अंदर धड़ेबाजी तो है ही, ऐसे में हो सकता है आखिरी वक्त में जिसका पलड़ा भारी होगा, वह बाजी मार जाएगा। जहां तक राजनीतिक क्षेत्र का सवाल है, उसमें मौजूदा जिला प्रमुख वंदना नोगिया, डॉ. प्रियशील हाड़ा आदि की चर्चा है। बताते हैं कि कांग्रेस से भाजपा में गए पूर्व विधायक बाबूलाल सिंगारियां भी मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे के संपर्क में हैं।
रहा सवाल देवनानी का तो नगर निगम चुनाव में अजमेर उत्तर में बेहतर प्रदर्शन के अतिरिक्त शिक्षा में संघ का एजेंडा लागू करने व संघ के उच्चाधिकारियों से संकर्प होने के नाते टिकट के प्रति कत्तई आशंकित नहीं हैं, मगर साथ ही ये भी ख्याल में रखना चाहिए कि ये वही संघ है, जिसने भाजपा के एक भीष्म पितामह लालकृष्ण आडवाणी को हाशिये पर फैंक रखा है। यूं चर्चा ये भी है कि अगर किसी स्थिति में देवनानी का टिकट कटा तो उनके स्थान पर संघ के जिन चेहरों की संभावना बताई जाती है, उनमें से एक निरंजन शर्मा हैं। कुछ और नाम भी हैं, मगर उनके नाम लेना अभी व्यर्थ इसलिए है, क्योंकि वे चर्चित नहीं हैं और उनके नाम नाम लेना हास्यास्पद  हो सकता है।
हालांकि भाजपा भी कांग्रेस की तरह गैर सिंधी का प्रयोग करेगी, इसकी संभावना शून्य है, मगर फिर भी समझा जाता है कि चुनाव नजदीक आते आते अजमेर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष शिवशंकर हेडा व संघ के महानगर प्रमुख सुनील दत्त जैन के अतिरिक्त नगर निगम के अध्यक्ष धर्मेन्द्र गहलोत दावेदारों के रूप में गिने जाएंगे। एक और प्रमुख दावेदार पूर्व नगर परिषद सभापति सुरेन्द्र सिंह शेखावत अभी भाजपा से बाहर हैं, मगर देर सवेर वे लौटेंगे भाजपा में ही, ऐसा माना जाता है।
-तेजवानी गिरधर
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