बुधवार, 15 मई 2013

बाकोलिया की ही लग रही है ये करतूत

राज्यमंत्री नारायाण सामी होटल का फीता काटकर शुभारंभ करते हुए

पूर्व कांग्रेस विधायक कय्यूम खां ने केन्द्रीय मंत्री नारायण वी. सामी से अपनी दरगाह बाजार स्थित न्यू जन्नत होटल का उद्घाटन कराया तो हर अखबार में यह खबर सुर्खियां पा गई कि होटल का न तो न तो व्यावसायिक और न ही आवासीय नक्शा स्वीकृत है। यह खबर महज इतनी मात्र नहीं है कि उन्होंने सामी को अंधेरे में रख कर उद्घाटन करवाया, बल्कि इसके साथ एक साल कई सवाल उठ खड़े हुए हैं। एक ये कि यह खबर किसके इशारे पर छपी? दूसरा ये कि अगर निगम को यह पहले से पता था तो उसने कार्यवाही क्यों नहीं की? तीसरा ये कि सामी को इशारा क्यों नहीं किया गया, जबकि निगम मेयर कमल बाकोलिया साथ ही थे?
असल में हुआ ये कि सामी प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की चादर दरगाह शरीफ में चढ़ाने के लिए अजमेर आए थे। कय्यूम ने मौके का फायदा उठाते हुए उनका पगफेरा अपनी नई होटल में करवा लिया। वे वीआईपी कांग्रेसियों की मेहमाननवाजी करते रहे हैं। खुद कय्यूम का कहना है कि इससे पूर्व भी उर्स में वे प्रधानमंत्री अथवा अन्य वीआइपी कांग्रेस नेताओं की चादर आने पर मेहमानों को जन्नत होटल में चाय पीने के लिए बुलाते रहे हैं। इस बार न्यू जन्नत होटल में बुलाया। होटल के अवैध होने का मामला प्रकाश में आते ही हालांकि वे इससे मुकर रहे हैं कि उन्होंने उद्घाटन करवाया, मगर फीता काटने की फोटो खुद बता रही है कि वे सफेद झूठ बोल रहे हैं। लगता ये है कि उनकी उद्घाटन की कोई योजना थी ही नहीं। अगर ऐसा होता तो बाकायदा उसके कार्ड छपवाते व लोगों को बुलवाते। हुआ ये लगता है कि जैसे ही सामी उनकी होटल में चाय पीने के प्रस्ताव को मान गए तो किसी ने सलाह दे डाली की आ ही रहे हैं तो फीता भी कटवा लो, सो तुरत-फुरत में फीता व कैंची की व्यवस्था की गई। बस यहीं चूक हो गई।
रहा सवाल होटल के अवैध होने की खबर का तो चर्चा यही है कि यह करतूत नगर निगम मेयर कमल बाकोलिया की लगती है, जो जानते थे कि होटल का नक्शा पास नहीं है, इस कारण सामी, सचिन पायलट व अश्क अली टांक के साथ अंदर नहीं गए और बाहर ही लोगों से बतियाते रहे। भले ही अब वे यह कह कर बचने की कोशिश करें कि वे तो बाहर लोगों से बातचीत करने में रह गए, मगर समझा जाता है कि उन्होंने ही पत्रकारों को इशारा किया कि होटल अवैध है। वरना पत्रकारों को क्या पता कि होटल अवैध है। उसके अवैध होने की खबर तो आज तक प्रकाशित नहीं हुई। अगर वाकई यह खबर बाकोलिया की ही देन है तो इसके अनेक राजनीतिक अर्थ निकलते हैं, जो आगे चल कर सामने आएंगे। अगर ये सच है तो सीधा सवाल उठता है कि उन्होंने कार्यवाही की पहल क्यों नहीं की? क्या कांग्रेसी होने के कारण उन्होंने बक्श दिया या फिर उनकी हिम्मत नहीं हुई?
क्या इसके लिए सीईओ जिम्मेदार नहीं हैं?
जैसे ही पत्रकारों का पता लगा कि उद्घाटित होटल अवैध है तो परंपरा के मुताबिक निगम की सीईओ से बयान लिया गया। उन्होंने कहा कि हमारे पास किसी होटल के शुभारंभ की कोई जानकारी नहीं है। दरगाह बाजार में जिस होटल के बारे में आप बता रहे हैं, उसका न तो कोई आवासीय और न ही वाणिज्यिक नक्शा पास कराया गया है। सवाल ये उठता है कि अगर उन्हें ये पता था तो उन्होंने होटल मालिक के खिलाफ कार्यवाही क्यों नहीं की? उससे भी बड़ी बात ये कि अवैध होटल बन कर खड़ी कैसे हो गई? नगर निगम के अधिकारी क्या कर रहे थे? क्या ऐसे में इस अवैध होटल के खुद सीईओ जिम्मेदार नहीं हैं? क्या केवल होटल मालिक को ही दोषी बता कर वे खुद की जिम्मेदारी से मुक्त हो सकती हैं? आखिर कब तक निगम के अधिकारी अपनी जेबें भरते हुए अवैध इमारतें बनने को नजरअंदाज करते रहेंगे और बाद में भी वसूलियां जारी रखेंगे? हालांकि कय्यूम का यह कह कर खुद का बचाव करना गलत है कि दरगाह और उसके आसपास सभी होटल आवासीय नक्शा पास करवाए भवनों में ही चल रहे हैं, मगर उनकी इस दलील से यह तो खुलासा हो ही रहा है कि वहां अवैध होटलों की भरमार है? और यह समझने के लिए ज्यादा दिमाग लगाने की जरूरत नहीं है कि इसके लिए सीधे तौर पर निगम के अधिकारी ही जिम्मेदार हैं? सबसे ज्यादा सीईओ वनीता श्रीवास्तव।
-तेजवानी गिरधर