गुरुवार, 13 मार्च 2014

और अब कांग्रेस में अजहरुद्दीन का नाम

इसे अजमेर का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि स्थानीय स्तर पर दमदार दावेदार न होने के कारण आए दिन बाहर के नए दावेदारों के नाम उछल रहे हैं। भाजपा की ओर से कभी सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी सी.आर. चौधरी का नाम सामने आता है तो कभी डॉ. दीपक भाकर का, और कभी पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी तो कभी सन्नी देओल का। कुछ इसी प्रकार कांग्रेस के खेमे से एक दिन पहले हवा आई कि केन्द्रीय राज्य मंत्री लालचंद कटारिया को अजमेर भेजा जा सकता है, तो गुरुवार को पूरे दिन यही चर्चा रही कि क्रिकेट स्टार अजहरुद्दीन के चुनाव लड़ाने पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है। पाठकों के लिए जरूर इस प्रकार की अफवाहें रुचिकर होती होंगी, मगर इस प्रकार रोज नए नाम उभरने पर उनका जिक्र करना भी शर्मिंदगी का अहसास कराता है। कम से कम इससे यह तो साबित होता ही है कि अजमेर एक ऐसी चरागाह है, जहां कोई भी बाहर से चरने को आ सकता है। जाहिर तौर पर इसके लिए अजमेर की धरती मां, जनता जनार्दन जिम्मेदार है, जो दमदार दावेदार पैदा नहीं कर पा रही।
बात अगर अजहरुद्दीन की करें तो जाहिर तौर पर वे सेलिब्रिटी तो हैं ही, साथ राज्य की पच्चीस में एक टिकट मुस्लिम को देने की मंशा पूरी करते हैं। यहां आपको बता दें कि कांग्रेस ने कुछ इसी प्रकार एक बार नागौर के भाजपा विधायक हाजी हबीबुर्रहमान को अजमेर भेजा था और वे बुरी तरह से पराजित हो कर लौटे थे। कहा तो ये तक जाता था कि वे आधे मन से ही अजमेर आए, इस कारण निपटे भी बुरी तरह से। बेशक अजहरुद्दीन हबीबुर्रहमान से बेहतर केंडीडेट हो सकते हैं, मगर क्या वाकई मुस्लिम वोटों को आकर्षित करने के अतिरिक्त क्रिकेट स्टार होने के नाते क्रिकेट प्रेमियों को भी रिझाने में कामयाब होंगे, इस बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता। वैसे आपको बता दें कि गुरुवार को जारी कांग्रेस की दूसरी सूची में उनका नाम नहीं है। उन्हें मुरादाबाद से टिकट की उम्मीद थी, मगर उनकी जगह बेगम नूरबानो को उम्मीदवार बनाया गया है। बेगम नूरबानो रामपुर से बीजेपी के मुख्तार अब्बास नकवी को हरा कर सांसद रही हैं।
वैसे जहां तक कटारिया की चर्चा का सवाल है, वे कांग्रेस के लिए एक दमदार केंडिडेट हो सकते हैं। उसकी वजह ये है कि अजमेर संसदीय क्षेत्र में दो लाख से कहीं अधिक जाट मतदाता हैं। कहने की जरूरत नहीं है कि जाट मार्शल कौम है और इसके बारे में कहा जाता रहा है कि जाट की बेटी जाट को और जाट का वोट जाट को। यानि कि नसीराबाद विधायक व केबीनेट मंत्री प्रो. सांवरलाल जाट भी किसी गैर जाट भाजपा प्रत्याशी के लिए कुछ खास नहीं कर पाएंगे। वैसे भी उनका एक बैल्ट में प्रभाव है, पूरे जिले में नहीं, जबकि कटारिया एक बड़ी जाट लॉबी को बिलॉंग करते हैं। अगर उन्हें मैदान में उतारा जाता है तो भाजपा के लिए मुश्किल हो सकती है। कम से कम स्थानीय किसी दावेदार में तो इतना दम नहीं कि वह उनका मुकाबला कर सके। ऐसे में भाजपा को बाहर से ही कोई दमदार नेता भेजना होगा।
जो कुछ भी हो, जहां कांग्रेस में केन्द्रीय कंपनी मामलात राज्य मंत्री व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट की वजह से कोई और स्थानीय दावेदार उभर ही नहीं सकता तो भाजपा में स्थानीय दावेदारों की लंबी फेहरिश्त होने के बावजूद बाहर के नेताओं के नाम उभर रहे हैं। स्वाभाविक है कि भाजपा कांग्रेस के प्रत्याशी पता लगने के बाद ही अपने प्रत्याशी पर विचार करेगी। और उसकी एक मात्र वजह ये कि संसदीय क्षेत्र की आठों विधानसभा सीटों पर जीत के बाद वह किसी भी सूरत में अजहरुद्दीन सरीखे खिलाड़ी के सामने हल्की बॉल नहीं फेंकेगी।
-तेजवानी गिरधर