रविवार, 16 सितंबर 2012

आडवाणी को भुला दिया भाजपा युवा मोर्चा ने


भाजपा की युवा ब्रिगेड की नजर में पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी की क्या अहमियत रह गई है, इसका अंदाजा अजमेर जिला भारतीय जनता युवा मोर्चा की ओर से बनाए गए एक बैनर से पता लग रही है। यह खूबसूरत बैनर अजमेर जिला भारतीय जनता युवा मोर्चा के अध्यक्ष देवेन्द्र सिंह शेखावत ने बनवाया है और उसे फेसबुक पर भी शाया किया है। बैनर में राष्ट्रीय स्तर के नेताओं में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री कप्तान सिंह सोलंकी व मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुराग ठाकुर को तो स्थान दिया गया है, मगर पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी को नजरअंदाज किया गया है।
कहने की जरूरत नहीं है कि आडवाणी  भाजपा के ऐसे नेता हैं, जो न केवल राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे हैं, अपितु लोकसभा में भाजपा की 2 सीटों को बढ़ा कर 86 करने का श्रेय उन्हें दिया जाता रहा है। एक जमाना था, जब वाजपेयी व आडवाणी की जोड़ी ही भाजपा की पहचान थी, मगर अब समय बदल गया है। वाजपेयी अस्वस्थता के कारण दीन-दुनिया से दूर अकेले में जीवन गुजार रहे हैं, मगर आडवाणी अब भी पार्टी में सक्रिय हैं। हालांकि उनके पास अब न तो अध्यक्ष पद है और न ही लोकसभा में विपक्ष के नेता का दायित्व, मगर आज भी उनकी वरिष्ठता को कमतर करके नहीं आंका जाता। आज भी भाजपा की महत्वपूर्ण बैठकें उनके निवास पर होती हैं। सच तो ये है कि पार्टी में प्रधानमंत्री पद के नए उभरे दावेदारों के बीच आज भी पहले नंबर पर गिने जाते हैं।
ऐसे में आज अगर कांग्रेस हटाओ देश बचाओ का संकल्प लेने का वक्त है और उन्हें नजरअंदाज किया जा रहा है तो इसका मतलब यही निकाला जा सकता है कि मीडिया व राजनीतिक पर्यवेक्षक भले ही उन्हें प्रधानमंत्री पद का दावेदार माने, मगर युवा मोर्चा नहीं। उसे एकांतवास में बैठे वाजपेयी तो याद हैं, मगर अग्रिम पंक्ति के सक्रिय नेता आडवाणी नहीं। खैर, ये उनका अपना अंदरुनी मामला है, अपना क्या?
वैसे आपको बता दें कि युवा मोर्चा आगामी 23 सितंबर को कांग्रेस हटाओ देश बचाओ संकल्प दिवस मनाने जा रहा है। अजमेर जिला इकाई का दायित्व लेने के बाद शहर जिला अध्यक्ष देवेन्द्र सिंह शेखावत का यह पहला बड़ा आयोजन है, सो इसकी तैयारियां बड़े पैमाने पर की जा रही हैं। आयोजन जवाहर रंगमंच पर होगा, इससे ही इसकी भव्यता का अंदाजा लगाया जा सकता है। असल में यह शेखावत का पहला बड़ा शक्ति प्रदर्शन है। कोटा संभाग के प्रभारी नितेश आत्रेय ने जिस प्रकार हाल ही डीजल के दामों में बढ़ोत्तरी के विरोध में अजमेर में यूपीए सरकार का पुतला फूंक कर जता दिया कि यहां तो वे अपना दखल जारी रखेंगे ही, उसे देखते हुए इसका महत्व और भी बढ़ गया है। इसलिए ज्यादा ताकत भी झोंकी जा रही है। सौभाग्य से उन्हें बड़े नेताओं को समर्थन भी भरपूर मिल रहा है, ऐसे में आयोजन कामयाब होने की पूरी संभावना है।
-तेजवानी गिरधर

सचिन पायलट का कद बढऩे की संभावना में आया दम

अपुन ने तकरीबन एक माह पहले ही संभावना जता दी थी कि जैसे ही कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी पार्टी संगठन अथवा सरकार में बड़ी जिम्मेदारी संभालेंगे, उनके करीबी व केन्द्रीय संचार राज्य मंत्री सचिन पायलट का भी कद बढ़ जाएगा। वह संभावना अब साकार होती नजर आने लगी है। यदि ऐन वक्त पर कोई समीकरण नहीं बदले तो सचिन को राजस्थान प्रदेश कांग्रेस की जिम्मेदारी दी जा सकती है। ज्ञातव्य है कि इन दिनों केन्द्रीय मंत्रीमंडल के साथ कांग्रेस संगठन में फेरबदल की चर्चा जोरों पर है। हालांकि राहुल गांधी ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि वे सरकार में अहम जिम्मेदारी संभालेंगे या संगठन में, मगर आसार यही बताए जा रहे हैं कि वे संगठन का दायित्व उठाने को तैयार हो गए हैं। यदि ऐसा होता है तो वे अपने हिसाब से अपनी टीम के अहम सदस्यों को महत्वपूर्ण पदों पर बैठाएंगे। और यह सर्वविदित है कि सचिन उनके बेहद करीब हैं तो उनका भी कद बढऩा ही है।
यह पहले से समझा जा रहा कि उपराष्ट्रपति चुनाव या संसद सत्र के समाप्त होने के बाद राहुल महत्वपूर्ण जिम्मेदारी संभालेंगे और इसी के साथ संगठन व सरकार में व्यापक परिवर्तन किया जा जाएगा। जहां तक सचिन का सवाल है, उनके लिए चार विकल्प माने जाते हैं। एक पदोन्नत कर केबीनेट मंत्री बनाया जाए। दूसरा केन्द्र में संगठन की बड़ी जिम्मेदारी सौंपी जाए। तीसरा राजस्थान प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष पद सौंपा जाए। और चौथा, राजस्थान में उप मुख्यमंत्री पद से नवाजा जाए। यद्यपि ज्यादा संभावना यही है कि उन्हें प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का दायित्व दिया जाएगा, मगर फिलहाल पक्के तौर पर नहीं कहा जा सकता। समझा जाता है कि सचिन को राजस्थान में अहम जिम्मेदारी देने के साथ ही नाराज गुर्जर समाज को राजी करने की जिम्मेदारी भी दी जाएगी।
यूं कुछ लोग तो उन्हें राजस्थान के भावी मुख्यमंत्री के रूप में देख रहे हैं। हालांकि उनका मुख्यमंत्री बनना प्री मैच्योर डिलेवरी और बचकानी लगती है, मगर इसे सिरे से नकारा भी नहीं जा सकता। आपको ख्याल होगा कि पूर्व विधायक व अखिल भारतीय गुर्जर महासभा के अध्यक्ष गोपीचंद गुर्जर तो मांग तक रख चुके हैं कि पायलट को मुख्यमंत्री बनाया जाए। इसी प्रकार गहलोत मंत्रीमंडल के सदस्य मुरारीलाल मीणा भी कह चुके हैं कि पायलट को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष या मुख्यमंत्री, दोनों में किसी एक पद पर आरूढ़ किया जाना चाहिए।
असल में यह तो शुरू से ही दिख रहा था कि जैसे-जैसे कांग्रेस के राजकुमार राहुल गांधी सत्ता का केन्द्र बनेंगे, उनकी टीम के सचिन पायलट की अहमियत भी बढ़ेगी। हालांकि स्वर्गीय राजेश पायलट के पुत्र होने के कारण उनका पाया मजबूत था, लेकिन साथ ही राहुल की पसंद होने के कारण उन्हें केन्द्रीय मंत्रीपरिषद में शामिल कर लिया गया। दिल्ली के पास बुराड़ी गांव में आयोजित कांगे्रस में राष्ट्रीय अधिवेशन में राहुल ब्रिगेड की पर्सनल किचन केबिनेट के सदस्य पायलट को जूनियर होते हुए भी मंच से बोलने का मौका दिया गया। यह इस बात का साफ संकेत था कि आने वाले दिनों में सचिन और उभर कर आएंगे। राजस्थान में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दिए जाने का अहसास तब भी हुआ था, जब यहां गुर्जर आंदोलन की वजह से संकट में आई सरकार की मदद के लिए उन्हें रातों रात जयपुर भेजा गया।
भले ही सचिन को मुख्यमंत्री बनाने की बता अभी हवाई लगे, मगर इतना तो तय है कि इस पद के लिए उनकी दावेदारी तो कायम हो ही गई है। अभी नहीं तो कुछ समय बाद में। वैसे भी राजनीति में दावा ही सबसे महत्वपूर्ण होता है। और एक बार बस दावा स्थापित हो जाए तो यूं समझिये कि आधा रास्ता पार हो गया, क्योंकि उसके लिए लोगों की मानसिक तैयारी शुरू हो जाती है। बाकी काम कांग्रेस की कल्चर कर देती है, जिसमें कैडर उतना महत्वपूर्ण नहीं, जितना कि हाईकमान की पसंद।
-तेजवानी गिरधर

अजमेर में अभी खूंटा गाढ़ रखा है नितेश आत्रेय ने


वह विज्ञप्ति जो अखबारों को जारी की गई थी
अजमेर शहर जिला भारतीय जनता युवा मोर्चा का अध्यक्ष बनने से वंचित नितेश आत्रेय को भले ही बाद में राजी करने के लिए भारतीय जनता युवा मोर्चा के कोटा सम्भाग का प्रभारी बना दिया गया हो, मगर उनकी लॉबी को अजमेर से खत्म नहीं किया जा सका है। आज भी उसका वजूद है। उन्होंने अब भी अजमेर में अपना खूंटा गाढ़ रखा है। और यही वजह है कि डीजल के दामों में बढ़ोत्तरी को लेकर मोर्चा की अजमेर इकाई कुछ करे न करे, उन्होंने जरूर विरोध में रैली निकाल कर यूपीए सरकार का पुतला फूंका और जता दिया कि वे अजमेर में तो अपना दखल जारी रखेंगे ही। जाहिर सी बात है कि इसमें अधिसंख्य कार्यकर्ता वे ही हैं, जो कि आत्रेय लॉबी के माने जाते हैं। इतना ही इससे भी रोचक बात ये है कि उन्होंने इस विरोध प्रदर्शन की जो विज्ञप्ति अखबारों को भेजी, वह भारतीय जनता युवा मोर्चा शहर जिला अजमेर के लेटर हेड पर भेजी है। उसमें साफ लिखा है कि भारतीय जनता युवा मोर्चा शहर जिला अजमेर का यह प्रदर्शन संभाग प्रभारी नितेश आत्रेय के नेतृत्व में आयोजित किया गया। विज्ञप्ति में नीचे जहां आत्रेय के हस्ताक्षर हैं, वहां संभाग प्रभारी युवा मोर्चा लिखा है, मगर यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि वे कोटा के संभाग प्रभारी हैं। विज्ञप्ति से यही आभास होता है कि वे अजमेर के संभाग प्रभारी हैं। इस प्रदर्शन से शहर जिला अध्यक्ष शेखावत तो सिर पीट ही रहे होंगे, उनके आकाओं के दिमाग में भी घंटियां बज रही होंगी। वे समझ रहे थे कि उन्होंने बड़ी आसानी से शेखावत का कांटा निकाल दिया, मगर ये तो उससे भी बड़ा सिरदर्द हो गया।
ज्ञातव्य है कि भाजपा विधायक वासुदेव देवनानी लॉबी डेमेज करने के लिए उनके विरोधियों ने आत्रेय को शहर जिला भाजपा युवा मोर्चा का अध्यक्ष नहीं बनने दिया गया और उनके स्थान पर देवेन्द्र सिंह शेखावत की नियुक्ति करवा दी। इस पर आत्रेय लॉबी ने जम कर हंगामा मचाया और एक बारगी तो पार्टी अनुशासन को ताक पर रख कर जता दिया था कि पार्टी ने गलत फैसला किया है। हकीकत तो ये है कि काफी समय तक अजमेर समानांतर मोर्चा कायम रहा। पिछले दिनों को आत्रेय का पटा-पटू कर कोटा संभाग प्रभारी बनने को राजी कर लिया गया। कदाचित आत्रये की भी मजबूरी थी कि पार्टी की मुख्य धारा में बने रहें, सो वे मान गए। मगर भाजपा नेताओं को अंदाजा नहीं था कि आत्रेय उसके बाद भी अजमेर में अपना झंडा फहराते रहेंगे। हुआ भी यही, जैसे ही मौका मिला आत्रेय ने अजमेर में अपनी ताकत का झंडा फहरा दिया, वो भी अपने विरोधियों की छाती पर।
-तेजवानी गिरधर