रविवार, 19 मार्च 2017

सामाजिक मुद्दे को राजनीतिक रंग दिया लिलियन ग्रेस ने

राजस्थान अल्पसंख्यक आयोग की सदस्य लिलियन ग्रेस ने हिंदुओं के ईसाई धर्मांतरण के सामाजिक मुद्दे को राजनीतिक रूप दे दिया है, जिससे ईसाई समाज के कांग्रेसी नेता की स्थिति अजीबोगरीब हो गई।
हुआ दरअसल ये कि हिंदुओं को ईसाई बनाए जाने के कथित आरोप के प्रतिकार में ईसाई समुदाय का एक प्रतिनिधिमंडल क्रिश्चियनगंज थाना पुलिस में शिकायत करने पहुंचा। उन्होंने इस प्रकार के झूठे आरोपों का निराधार बताया और आरोप लगाने वालों पर कार्यवाही की मांग की।
इस मौके पर मीडिया को संबोधित करते हुए एक ईसाई धर्मगुरू ने बिना किसी राजनीति का जिक्र किए सिर्फ इतना कहा कि हमारी कौम पर धर्मांतरण का झूठा आरोप लगाया गया है और वे चाहते हैं कि मामले की निष्पक्ष जांच हो। इस सिलसिले में उन्होंने नंदकिशोर गुर्जर का नाम भी लिया। लेकिन जब लिलियन ग्रेस प्रेस से मुखातिब हुईं तो उन्होंने कहा कि पूरे राजस्थान में उन्होंने चेक किया व कहीं भी धर्मांतरण नहीं हुआ है। जहां कहीं भी मामला सामने आया है, वह झूठा पाया गया है, उसका कोई सबूत नहीं मिला है। वे यहीं तक नहीं रुकीं और उन्होंने इस मुद्दे को पिछली सरकार से जोड़ दिया।  उन्होंने कहा कि जब भी ऐसा मामला सामने आता है, आरोप लगाने वाला पिछली सरकार से ताल्लुक रखने वाला है और वह इस सरकार से क्रिश्चियन कम्युनिटी को डरा कर रखना चाहता है, ताकि उनका वोट बैंक बना रहे। हालांकि उन्होंने कांग्रेस का नाम नहीं लिया, मगर उनका निहितार्थ यही था कि कांग्रेस ईसाइयों को भाजपा सरकार से डरा कर रखती है, ताकि अपने वोट बैंक पर कब्जा बरकरार रहे। समझा जा सकता है कि ऐसा उन्होंने क्यों कहा? वे भाजपा पृष्ठभूमि से हैं और इसी कारण आयोग की सदस्य हैं। वे पुलिस थाने में गईं तो सामाजिक प्रतिनिधिमंडल में थीं, मगर जब खुद के बोलने की बारी आई तो अपनी बात राजनीतिक तरीके से ही बोल पड़ीं। प्रतिनिधिमंडल में सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर कांग्रेस नेता बिपिन बेसिल भी मौजूद थे। लिलियन ग्रेस के इस आरोप से उनकी स्थिति अजीबोगरीब हो गई। वे चुप ही रहे। कदाचित मौके पर विवाद से बचने के लिए उन्होंने ऐसा किया।
बहरहाल, इस वाकये ने एक नई बहस को जन्म दे दिया है कि हिंदू-ईसाई धर्मांतरण का मुद्दा सामाजिक है अथवा राजनीतिक। मगर यह गुत्थी बड़ी पेचीदा है कि अगर कोई ईसाई धर्मगुरुओं पर हिंदुओं के धर्मांतरण का आरोप लगाएगा तो उससे ईसाई वोट बैंक कैसे बरकरार रह पाएगा। असल बात तो ये है कि आमतौर पर धर्मांतरण का सवाल तो हिंदूवादी ही उठाते रहे हैं।
-तेजवानी गिरधर
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