मंगलवार, 3 जुलाई 2012

बारूद के मुहाने पर बैठा है हमारा अजमेर?

भले ही अपने आंचल में दरगाह ख्वाजा गरीब नवाज और तीर्थराज पुष्कर को समेटे अजमेर को सांप्रदायिक सौहार्द्र के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता हो, मगर हकीकत ये है कि यह आज बारूद के ढ़ेर पर बैठा है। दरगाह इलाके और पुष्कर में अंडरवल्र्ड की बढ़ती गतिविधियों के चलते यहां किसी भी वक्त बड़ा आतंकी वारदात हो सकती है। इसी प्रकार किशनगढ़ की मार्बल मंडी में देशभर के लोगों की आवाजाही पर खुफिया नजर न रही तो भी किसी दिन कोई आतंकी घुसपैठ कर दहशत को अंजाम दे सकता है। संभव है सुकून से जी रहे अजमेर जिले के लोगों को ये पंक्तियां अतिश्योक्तिपूर्ण लगें, मगर सच्चाई यही है कि दरगाह में हुई बम विस्फोट की घटना के बाद हाल ही में मिले 14 जिंदा हैंड ग्रेनेड इशारा करते हैं कि अजमेर बारूद के मुहाने पर बैठा है। आनासागर झील की चौपाटी के नजदीक एस्केप चैनल की सफाई के दौरान बरामद हुए बम, एक खुखरी और चाकू ने शांत नजर आने वाला अजमेर को यकायक किसी बड़ी आशंका की आगोश में ले लिया है। आयुध विशेषज्ञों का मानना है कि ये हथगोले 300 मीटर तक मार कर सकते थे और 150 मीटर के दायरे में भारी तबाही मचा सकते थे। चौंकाने वाला तथ्य ये है इन बमों को एक सप्ताह के भीतर ही रखा गया था। नगर निगम प्रशासन ने करीब एक सप्ताह पूर्व ही एस्केप चैनल की जब सफाई करवाई थी तो उस समय कुछ नहीं मिला था। यानि की इन बमों के पीछे कोई ताजा साजिश जुड़ी हुई है।
हालांकि त्वरित कार्यवाही करते हुए इन्हें शहर से दूर सुनसान इलाके में नष्ट कर दिया गया, मगर इस सनसनीखेज घटना के साथ अनके सवाल मुंह बाये खड़े हैं। मसलन ये हथगोले कहीं शहर में आतंक मचाने के इरादे से तो नहीं लाए गए थे। बम यहां कैसे पहुंचे? इसके पीछे किसका हाथ है? कहीं यह किसी आतंकी संगठन की ओर से या इशारे पर की गई हरकत तो नहीं है? यहां उल्लेखनीय है कि शहर में जिंदा हथगोला मिलने का यह पहला मामला नहीं है। इससे पूर्व वर्ष 2009 में सितंबर के अंतिम सप्ताह में हाथीखेड़ा गांव के पहाड़ी क्षेत्र में भी 4 जिंदा हैंड ग्रेनेड मिले थे। लोहाखान क्षेत्र में एक खंडहर से मशीनगन की बुलेट भी बरामद हो चुकी हैं।
यूं तो मादक पदार्थों का ट्रांजिट सेंटर बने दरगाह इलाके व पुष्कर में अंडरवल्र्ड के लोगों की आवाजाही की वजह से इस सरजमीं के नीचे सुलग रही आग का इशारा समय-समय पर मिलता रहा है, मगर दरगाह में बम फटने के बाद तो यह साबित ही हो गया कि आतंकवाद के राक्षस ने यहां भी दस्तक दे दी है। अफसोसनाक बात ये है कि लंबा समय गुजर जाने के बाद भी साजिश पर से पर्दा नहीं उठ पाया है। इसी प्रकार मादक पदार्थों व हथियारों की तस्करी के मामले तो अनेक बार पकड़े गए, लेकिन आज तक प्रशासन व सरकार ने कोई ऐसी ठोस कार्ययोजना नहीं बनाई है, ताकि यहां अंडरवल्र्ड की गतिविधियों पर अंकुश लगाया जा सके।
जहां तक अंडरवल्र्ड की गतिविधियों का सवाल है, अनेक बार यह प्रमाणित हो चुका है कि अजमेर मादक पदार्थों की तस्करी कर ट्रांजिट सेंटर बन चुका है। जोधपुर के सरदारपुरा इलाके में एक साइबर कैफे से पकड़ा गया आईएसआई एजेंट ऋषि महेन्द्र बिना पासपोर्ट व वीजा के बांग्लादेश सीमा से भारत में घुसा और अजमेर के दरगाह इलाके में रहने लगा। बाद में पता लगा कि उसे आईएसआई ने भारतीय सेना के पूना से लेकर पश्चिमी सीमा पर स्थित ठिकानों का पता लगाने के लिए भेजा था। वह यहां लंगरखाना गली में होटलों में नौकरी करता रहा। वह कुछ वक्त जयपुर के रामगंज इलाके में रह चुका था।
इसी प्रकार निकटवर्ती किशनगढ़ की मार्बलमंडी में हिजबुल मुजाहिद्दीन का खुंखार आतंकवादी शब्बीर हथियारों सहित पकड़ा गया तो पुलिस और खुफिया तंत्र सकते में आ गया था। तब जा कर इस बात का खुलासा हुआ कि दरगाह इलाके की ही तरह किशनगढ़ की मार्बलमंडी में भी देशभर से लोगों की आवाजाही के कारण संदिग्ध लोग आसानी से घुसपैठ कर जाते हैं। इसी प्रकार दरगाह इलाके में पाक जासूस मुनीर अहमद और सलीम काफी दिन तक रह कर अपनी गतिविधियां संचालित कीं, लेकिन खुफिया तंत्र तो भनक तक नहीं लगी। शब्बीर की निशानदेही पर हैदराबाद में पकड़े गए मुजीब अहमद के तार आईएसआई से जुड़े होने के पुख्ता प्रमाण मिले।
खुफिया पुलिस बीच-बीच में आसानी से आ-जा रहे बांग्लादेशी घुसपैठियों को पकड़ कर भले ही अपनी पीठ थपथपाती रही है, मगर वह इसके लायक नहीं, यह तब साबित हो गया, जब मुंबई बम ब्लास्ट का मास्टर माइंड हेडली पुष्कर हो कर चला गया। बाद में जब खुद हेडली ने खुलासा किया कि वह पुष्कर भी गया था, तब जा कर खुफिया पुलिस ने छानबीन शुरू की। शर्मनाक बात तो ये रही कि विदेशियों से भराया जाने वाला फार्म तक गायब हो गया। यह वही हेडली है कि जिसके बारे में खुलासा हुआ है कि वह पुणे में हुए हमले से पहले वहां की रेकी कर चुका है। उसी ने पुष्कर में यहूदियों के धर्म स्थल बेद खबाद की रेकी थी। जैसे ही पुणे में उसके रेकी करने की जानकारी मिली, स्थानीय पुलिस तंत्र के तो होश ही उड़ गए। आपदा प्रबंधन दल ने बेद खबाद का दौरा कर यह साबित कर दिया है कि यहां भी किसी भी वक्त आतंकी राक्षस दरवाजा खटखटा सकता है। कुल मिला कर अजमेर आज बारूद के ढ़ेर पर बैठा है और हमारा प्रशासन नीरो की तरह चैन की बंसी बजा रहा है।


-तेजवानी गिरधर
7742067000
tejwanig@gmail.com

न्यास सचिव पुष्पा सत्यानी ने अब जा कर दिखाई सख्ती

पुष्पा सत्यानी
अव्वल तो अजमेर यूआईटी में लग कैसे गई नैंसी जैन?
अजमेर नगर सुधार न्यास में सहायक नगर नियोजक भीम सिंह के साथ अनुबंध के आधार पर उनकी सहायक के रूप में अनुबंध पर लगी नैंसी जैन विवादों में आ गई हैं। भीम सिंह को तो उनके वर्तमान पद से हटाया ही गया है और नैंसी जैन को भी यहां से रुखसत करने पर विचार किया जा रहा है। हालांकि यह सब न्यास के अंदर चल रही गुटबाजी का ही परिणाम है, मगर इस बहाने न्यास सचिव पुष्पा सत्यानी ने पहली बार अपनी सख्ती दिखाई है।
ज्ञातव्य है कि नगरीय विकास विभाग ने करीब 8 माह पहले न्यास में नैंसी जैन को अनुबंध पर रखा था, लेकिन मीडिया में अब जा कर चर्चा हो रही है कि सहायक नगर नियोजक भीम सिंह केवल प्रभावशाली लोगों की फाइलों को ही निबटाने में व्यस्त रहते हैं और उनकी सहायक नैंसी जैन अनुबंध पर होने के बावजूद फाइलों पर हस्ताक्षर कर रही हैं। इसके अलावा सभी मुख्य फाइलें भी उसके पास से होकर जाती हैं। न्यास के बाबुओं द्वारा जांच करने के बाद नैंसी ही फाइलों को चैक करती रही हैं।
इतना ही नहीं अब जा कर न्यास अधिकारियों को होश आया है कि नैंसी के एक रिश्तेदार न्यास के आर्किटेक्ट हैं, जो कि शहर के जाने-माने व प्रतिष्ठित आर्किटेक्ट हैं। नैंसी जैन लोगों से उनके माध्यम से नक्शा आदि कार्य बनाने की वकालत करती थीं। यहां तक कि अब जा कर सामने आ रहा है कि नैंसी के एक रिश्तेदार के न्यास भवन से सटे एक मकान का करीब डेढ़ साल पहले आवासीय नक्शा स्वीकृत हुआ था। नैंसी के न्यास कार्यालय में लगने के बाद संशोधित नक्शा लगाया गया था। हालांकि कुछ कारणों से वह स्वीकृत नहीं हो पाया। यूं भी क्षेत्राधिकार से बाहर होने की वजह से न्यास को नक्शा स्वीकृत करने का अधिकार ही नहीं था। जानकारी के अनुसार वर्तमान में वहां पर व्यावसायिक निर्माण चल रहा है।
कुल मिला कर समझा जा सकता है नैंसी जैन न्यास में अनुबंध पर होने के बावजूद कैसी भूमिका अदा करती रही हैं। इस प्रकरण में बड़ा सवाल ये है कि न्यास के ही जाने-माने आर्किटेक्ट की निकट संबंधी होने के बाद भी वे अजमेर न्यास में कैसे लग गई? जाहिर है यह सब नगरीय विकास विभाग में सैटिंग कर योजनाबद्ध रूप से हुआ होगा। ऐसा नहीं है कि जब नैंसी यहां लगीं तब किसी को पता ही नहीं था कि वे कौन हैं? आम जनता को पता न भी हो, मगर कम से कम अधिकारी व कर्मचारी तो अच्छी तरह से जानते थे। मगर कोई कुछ नहीं बोला क्योंकि वह ऊपर की पहुंच से यहां लगी थीं। अब जब शिकायतों की तादात काफी अधिक हो गई तब जा कर न्यास सचिव पुष्पा सत्यानी ने कार्यवाही की है। इसके तहत अनियमितता बरतने को लेकर सहायक नगर नियोजक भीम सिंह को तुरंत उनके पद से हटा दिया है। साथ ही सहायक नगर नियोजक के सहायक के रूप में अनुबंध पर लगी नैंसी जैन को भी न्यास से रवाना करने का विचार है। श्रीमती सत्यानी अब कह रही हैं कि वे भीम सिंह से भी जवाब तलब करेंगी कि अनुबंध पर लगी नैंसी जैन को सभी फाइलों की जांच करने और हस्ताक्षर करने तक की छूट कैसे दी गई।

-तेजवानी गिरधर
7742067000
tejwanig@gmail.com