रविवार, 16 अगस्त 2015

तंवर पर गहलोत का ठप्पा होने से कटा टिकट

पूर्व मनोनीत पार्षद महेन्द्र तंवर पर पूर्व मुख्यमंत्री अषोक गहलोत का ठप्पा होने के कारण मिलता हुआ टिकट कट गया। उन्हें इस बात का दुख है कि भले ही वे गहलोत के समर्थक रहे हैं, मगर पिछले काफी समय से प्रदेष कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट के कार्यक्रमों में षिरकत करते रहे, फिर भी उनका टिकट काट दिया गया। यदि उनकी निष्ठा पायलट के प्रति नहीं होती तो वे क्यों उनके कार्यक्रमों में जाते। बहरहाल, टिकट कटने से दुखी तंवर भाजपा में चले गए। अब सवाल ये उठता है कि भाजपा में रहते हुए उनकी गहलोत के प्रति आस्था का क्या होगा। वैसे बताते हैं कि उनकी नाराजगी का फायदा उठाते हुए भाजपा ने उन्हें अपनी ओर खींच लिया है। साथ ही ये भी चर्चा है कि उन्हें मनोनीत काउंसलर बनाने का वादा किया गया है। अब देखने वाली बात ये है कि क्या वाकई ऐसा हो पता है।

पूर्व मेयर धर्मेन्द्र गहलोत को घेरने की कोशिश

आसन्न नगर निगम चुनाव में वार्ड 56 से खड़े भाजपा प्रत्याशी व पूर्व मेयर धर्मेन्द्र गहलोत को घेरने की कोशिश की जा रही है। बताया जाता है कि वैश्य व सामान्य वर्ग में आने वाली जातियों को उनके खिलाफ लामबंद करने की मुहिम चल रही है। इसमें कुछ मीडिया कर्मी भी शामिल हैं। बाकायदा माहौल बनाया जा रहा है कि गहलोत न जीत पाएं और जीत भी जाएं तो मेयर चुनाव के वक्त सामान्य बनाम ओबीसी का मुद्दा गरमाया जाए।
असल में ऐसा इस कारण हो रहा है कि गहलोत भाजपा की ओर से मेयर पद के सबसे प्रबल दावेदार हैं। संघ का भी उनको समर्थन प्राप्त है। माना जाता है कि अगर भाजपा का बोर्ड बनता है और अजमेर दक्षिण की तुलना में अजमेर उत्तर में भाजपा पार्षदों की संख्या अधिक रहती है, जिसकी की संभावना है भी, शिक्षा राज्य मंत्री प्रो. वासुदेव देवनानी के लिए उनके खास सिपहसालार गहलोत ही पहली प्राथमिकता होंगे। खुद गहलोत भी पार्षदों की घेराबंदी में माहिर हैं। यहां तक कि जरूरत पडऩे पर कांग्रेस के पार्षदों को भी प्रभावित कर सकते हैं। ऐसे में सामान्य वर्ग, विशेष रूप से वैश्य सतर्क हो गया है। उसकी तकलीफ ये है कि भाजपा ने केन्द्र में राज्य मंत्री, अजमेर शहर के दोनों राज्य मंत्री और राजस्थान पुरा धरोहर प्रोन्नति प्राधिकरण के अध्यक्ष गैर वैश्य वर्ग से हैं, जबकि वैश्य वर्ग सदैव भाजपा का साथ देता रहा है। उन्हें लगता है कि उनकी उपेक्षा की जा रही है।
बताया जा रहा है कि वैश्य समाज के लोग गहलोत को वार्ड में घेरने के लिए गुप्त बैठकें कर रहे हैं। हालांकि वैश्य वर्ग का रुझान भाजपा की ओर रहता आया है, मगर यदि गहलोत के खिलाफ मुहिम चलाने वालों को कुछ कामयाबी हासिल हुई तो वे गहलोत के वोटों में सेंध मार सकते हैं। हालांकि अभी ये कहना बेहद मुश्किल है कि यह मुहिम किस स्तर तक चली है, कितनी असरकारक है और मुहिम को कितनी कामयाबी हासिल होगी, मगर इतना पक्का है कि एक तबका गहलोत के खिलाफ जुट गया है। जाहिर तौर पर गहलोत भी इस स्थिति से वाकिफ होंगे। उन्होंने भी अपनी पूरी ताकत झौंक रखी है। वे एकाएक कमजोर तो नहीं पडऩे वाले, मगर मुहिम के प्रति आभास होने पर उन्हें और अधिक मेहनत करनी होगी। हालांकि मतदान होने में अभी वक्त बाकी है। यदि ऐन वक्त पर संघ का डंडा चला तो मुहिम के कर्णधार दुबक भी जाएंगे।
यहां ज्ञातव्य है कि वार्ड 56 में वैश्य व सामान्य जातियों का काफी वोट हैं, इसका अनुमान वार्ड में आने वाले इलाकों से हो जाता है। जरा नजर डालिये:-
रीजनल कॉलेज तिराहे से आनासागर सक्र्यूलर रोड पर चलते हुए वृंदावन गार्डन, गोविंदम पैलेस होते हुए बधिर विद्यालय तक दांईं ओर के सभी मकान। बधिर विद्यालय से आगे चलते हुए राजस्थान पत्रिका कार्यालय तक दांई तरफ के सम्पूर्ण मकान। राजस्थान पत्रिका कार्यालय से राजस्थान फूड प्लाजा व चौपाटी से सर्किट हाउस, बजरंगगढ़, सुभाष उद्यान को छोड़ते हुए बारादरी के सहारे चलते हुए रामप्रसाद घाट तक। रामप्रसाद घाट से लवकुश उद्यान तक दांई तरफ के समस्त भाग, लवकुश गार्डन से पुष्कर रोड पर आगे चलते हुए अरिहंत कॉलोनी, महावीर कॉलोनी आदि। अद्वैत आश्रम, रामनगर रोड तक दांईं तरफ के समस्त मकान। रामनगर रोड पर आगे चलते हुए पंचोली चौराहा होते हुए बाड़ी नदी तक दांईं तरफ के समस्त मकान। बाड़ी नदी के सहारे आगे चलते हुए मोती विहार कॉलोनी को सम्मिलित करते हुए पुष्कर रोड तक दांईं तरफ के सभी मकान। पुष्कर रोड पर आगे चलते हुए रीजनल कॉलेज तिराहे तक दांई तरफ के समस्त मकानात।
जहां तक कांग्रेस प्रत्याशी अमित कुमार पंचोली का सवाल है, उनका प्रभाव रामनगर और पंचोली चौराहा इलाके में अधिक है। गहलोत को अन्य क्षेत्रों से ही उम्मीद है। मगर यदि वहां उनके खिलाफ रची साजिश थोड़ी भी कामयाब होती है तो यह उनके लिए कुछ परेशानी पैदा कर सकती है।