मंगलवार, 21 मई 2013

... तो क्या ये समानांतर शहर कांग्रेस है?


कांग्रेस के सेकंड हाईकमान राहुल गांधी के जयपुर में कांग्रेसजन को एकजुट होने का संदेश दिए जुम्मा-जुम्मा आठ दिन भी नहीं हुए हैं कि अजमेर कांग्रेस की फूट खुल कर सामने आ गई है। शहर कांगे्रस से अलग चल रहे नेताओं ने अजमेर के आम कांग्रेसजन के नाम से पूर्व प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी की पुण्यतिथि पर अलग से कार्यक्रम आयोजित कर स्थानीय पंचशील स्थित राजीव गांधी की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया तथा दो मिनट का मौन रखा गया। उन्होंने उपेक्षित पड़ी राजीव गांधी की प्रतिमा के आसपास सफाई की तथा पानी एवं गुलाब जल से धुलाई कर जमा कचरा हटाया।
इस अवसर पर पूर्व विधायक डॉ. श्रीगोपाल बाहेती, पूर्व विधायक डॉ. राजकुमार जयपाल, पूर्व शहर कांग्रेस उपाध्यक्ष डॉ. सुरेश गर्ग, मनोनीत पार्षद सैयद गुलाम मुस्तफा पार्षद, युवा नेता यासिर चिश्ती, शब्बीर खान, छात्र नेता सुनील लारा, महेश ओझा, विजय यादव, कुलदीप कपूर, फकरे मोइन, अशोक सुकरिया, वैभव जैन, प्रकाश गदिया, राजकुमार जैन आदि मौजूद थे। उल्लेखनीय है कि इनमें से अधिसंख्य चेहरे महेन्द्र सिंह रलावता की अध्यक्षता वाली शहर कांग्रेस से आरंभ से ही अलग चल रहे हैं।
यूं अजमेर के सभी कांग्रेसी एक हफ्ता पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की कांग्रेस संदेश यात्रा के अजमेर आगमन पर एक जाजम पर नजर आए थे और संदेश यह गया था कि विभिन्न गुटों में सुलह हो जाएगी। हाल ही नगर सुधार न्यास के दीनदयाल पुरम आवासीय योजना की लॉटरी निकाले जाने के कार्यक्रम में पूर्व विधायक डॉ. राजकुमार जयपाल की मौजूदगी से भी ऐसा ही संकेत मिला कि गुटों में कायम खाई कुछ कम हुई है। ज्ञातव्य है कि डॉ. जयपाल नगर कांग्रेस कमेटी पर महेन्द्र सिंह रलावता के काबिज होने के बाद केन्द्रीय कंपनी मामलात मंत्री सचिन पायलट लॉबी के न्यास सदर नरेन शहाणी, निगम मेयर कमल बाकोलिया और शहर कांग्रेस कमेटी के कार्यक्रमों से अपने आप को दूर ही रखा करते थे। जयपाल के न्यास के कार्यक्रम में नजर आने पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं में तनिक आशाजनक माहौल बना, मगर ताजा घटना यह साफ संकेत दे रही है कि डॉ. बाहेती, डॉ. जयपाल, डॉ. सुरेश गर्ग व गुलाम मुस्तफा के नेतृत्व में शहर में समानांतर कांग्रेस चल रही है, जिसे सीधे तौर पर दबाव की राजनीति कहा जा सकता है। यह घटना लगती भले ही मामूली हो, मगर रलावता के लिए अच्छे संकेत नहीं देती। अजमेर के सांसद व केन्द्रीय कंपनी मामलात मंत्री सचिन पायलट के भी इससे काम खड़े हो गए होंगे। जिस प्रकार रलावता विरोधी लॉबी लामबंद हो रही है, उसे देख कर तो यही कहा जा सकता है कि आने वाले दिनों में सचिन को सुलह का कोई न कोई रास्ता निकालना ही होगा।
यहां आपको याद दिला दें कि पूर्व अध्यक्ष जसराज जयपाल के कार्यकाल में भी कुछ वरिष्ठ कांग्रेसियों ने कांग्रेस विचार मंच के नाम से अलग दुकान लगा रखी थी, मगर उसमें पूर्व जिला प्रमुख सत्यकिशोर सक्सैना सरीखे थके हुए लोग अधिक थे, इस कारण वह मंच दबाव नहीं बना पाया, लेकिन वर्तमान में शहर कांग्रेस से अलग चल रहा धड़ा काफी पावरफुल है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा पाएगा।
-तेजवानी गिरधर