गुरुवार, 31 मार्च 2011

केवल मंजू राजपाल के झाडू लगाने से कुछ नहीं होगा

अजमेर की जिला कलेक्टर श्रीमती मंजू राजपाल की पहल पर जिला प्रशासन ने राजस्थान दिवस पर सफाई का एक अनूठे तरीके से संदेश दिया। न केवल मंजू राजपाल ने झाडू लगाई, अपितु उनके साथी अफसरों, नगर निगम के महापौर कमल बाकोलिया ने भी उनका साथ दिया। जाहिर तौर पर इस अनूठी पहल की खबरें सुर्खियों में छपीं, मगर यह संदेश आमजन ने कितना आत्मसात किया, वह इसी आइटम के साथ छपे फोटो से पता लग रहा है, जिसमें मंजू राजपाल तो झाडू लगा रही हैं, जबकि उनके ठीक ऊपर दुकान को आगे बढ़ा कर अस्थाई अतिक्रमण किए दुकानदार बेशर्मी से बैठे हुएं हैं। उन्हें तनिक भी अहसास नहीं कि जिले की हाकिम खुद झाडू हाथ में लेकर खड़ी हैं, और वे आराम से हाथ पर हाथ धरे बैठे ताक रहे हैं, मानो कोई सफाई कर्मचारी सफाई कर्मचारी सफाई करने को आई है। उन्हें ये भी ख्याल नहीं कि झाडू लगाना कलेक्टर का काम नहीं है। वे तो संदेश दे रही हैं। आज अजमेर में हैं, कल कहीं और चली जाएंगी। वे तो इसी शहर में रहने वाले हैं। अव्वल तो दुकानदारों को खुद को उतर कर हाथ बंटाना चाहिए था। यदि इसमें उन्हें शर्म आ रही थी तो कम से कम दुकान से उतर कर एक महिला अफसर का आदर तो कर ही सकते थे। असल में यह अकेला फोटो ही काफी है, यह बताने को कि मंजू राजपाल का संदेश आम नागरिक तक कितना पहुंचा होगा।
वस्तुत: हमारी मानसिकता यही है कि हमने सफाई के काम को नगर निगम के जिम्मे, सफाई कर्मियों के जिम्मे छोड़ रखा है। माना कि सफाई करना आम आदमी का काम नहीं है, मगर शहर साफ-सुथरा रहे, इसमें मदद करना तो हमारा फर्ज है ही। यह सही है कि निगम में संसाधनों की कमी अथवा चंद निकम्मों के कारण शहर साफ-सुथरा नहीं रहता, मगर इसे इतना गंदा भी तो हम ही कर रहे हैं। अगर हम कूड़ा-कचरा सड़क पर अथवा नाली में न डालें तो कदाचित सफाई का आधे से ज्यादा काम खुद-ब-खुद हो जाए।
आम नागरिक ही क्यों, हमारे जनप्रतिनिधि भी सफाई के प्रति कितने जागरूक हैं, यह इसी से साबित हो जाता है कि जिला कलेक्टर ने नगर निगम के सभी पार्षदों को भी इस अभियान की शुरुआत में साथ देने का न्यौता दिया था, मगर शहर वासियों की सेवा करने के नाम पर वोट मांगने वाले अधिसंख्य पार्षद इसमें शरीक नहीं हुए। क्या कांग्रेस के, क्या भाजपा के। इसी से साबित हो रहा है कि महापौर बाकोलिया की पार्षदों पर कितनी पकड़ है। अरे, कम से कम अपनी पार्टी के पार्षदों को तो पाबंद कर ही सकते थे। उधर शहर के विकास में कंधे से कंधा मिला कर चलने की वादा करने वाले उप महापौर अजित सिंह राठौड़ भी नदारद रहे। ऐसे में एक क्या हजार मंजू राजपालें आ जाएं, हमें कोई नहीं सुधार सकता।
बहरहाल, जिला प्रशासन ने तो निगम के हिस्से का काम अपने हाथ में लेकर निगम की नाकामी को लानत दी है, ताकि उसे थोड़ी तो शर्म आए, मगर इस कार्यक्रम में शरीक न होने वालों ने तो सरासर आम जनता की अपेक्षाओं पर ही थप्पड़ जड़ दिया है। जब वे सफाई जैसा संदेश देने मात्र के कार्यक्रम में हिस्सा नहीं ले सकते तो उनसे इस अभागे शहर के विकास की क्या उम्मीद की जा सकती है? शेम, शेम, शेम।

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