शुक्रवार, 13 जुलाई 2012

नालों की सफाई में फिसड्डी रहा नगर निगम


मेयर कमल बाकोलिया

एक बहुत पुराना मुहावरा है-बारिश आने से पहले पाल बांधना। इसका मतलब सबको पता ही है। पाल इसलिए बांधी जाती है ताकि अगर बारिश ज्यादा आ जाए तो उससे होने वाले नुकसान से बचा जा सके। मगर ऐसा प्रतीत होता है कि अजमेर नगर निगम के मेयर कमल बाकोलिया व सीईओ सी आर मीणा को इस मुहावरे की जानकारी नहीं है। जानकारी तो छोडिय़े, लगता तो ये है कि जानकारी देने के बावजूद उन्होंने इसे लेना जरूरी नहीं समझा। नतीजा ये रहा कि अजमेर उत्तर के भाजपा विधायक प्रो. वासुदेव देवनानी को उन्हें उलाहना देते हुए व्यंग्यात्मक लहजे में कहना पड़ा कि मेयर साहब अब तो जागो। 
असल में मानसून आने से एक माह पहले से ही नालों की सफाई का रोना चालू हो गया था। नगर निगम प्रशासन न जाने किसी उधेड़बुन अथवा तकनीकी परेशानी में उलझा हुआ था कि उसने इस ओर ध्यान नहीं दिया। अगर ध्यान दिया भी तो जुबानी जमा खर्च में। धरातल पर पर स्थिति बिलकुल विपरीत थी। जब आला अधिकारियों ने निर्देश दिए तो भी निगम प्रशासन ने हां हूं और बहानेबाजी करके यही कहा कि सफाई करवा रहे हैं। जल्द पूरी हो जाएगी। बारिश से पहले पूरी हो जाएगी। जब कुछ होता नहीं दिखा तो पार्षदों के मैदान में उतरना पड़ा। श्री गणेश भाजपा पार्षद जे के शर्मा ने किया और खुद ही अपनी टीम के साथ नाले में कूद गए। हालांकि यह प्रतीकात्मक ही था, मगर तब भी निगम प्रशासन इस बेहद जरूरी काम को ठीक से अंजाम नहीं दे पाया। परिणामस्वरूप दो और पार्षदों ने भी मोर्चा खोला। ऐसा लगने लगा मानो निगम में प्रशासन नाम की कोई चीज ही नहीं रह गई। अगर ये मान भी लिया जाए कि पार्षदों ने सस्ती लोकप्रियता की खातिर किया, मगर निगम प्रशासन को जगाया तो सही। मगर वह नहीं जागा। इतना ही नहीं पूरा मीडिया भी बार बार यही चेताता रहा कि नालों की सुध लो, मगर निगम की रफ्तार नौ दिन चले अढ़ाई कोस वाली ही रही। यह अफसोसनाक बात है कि जो काम निगम प्रशासन का है, वह उसे जनता या जनप्रतिनिधि याद दिलवाएं। मेयर कमल बाकोलिया व सीईओ सी आर मीणा मानें न मानें, मगर वे नालों की सफाई में फिसड्डी साबित हो गए हैं। वरना क्या वजह रही कि मानसून की पहली ठीकठाक बारिश में ही सफाई व्यवस्था की पोल खुल गई। निचली बस्तियों  में पानी भर गया तथा नाले-नालियों की सफाई नहीं होने से उनमें से निकले कचरे व मलबे के जगह-जगह ढेर लग गये। कई जगह पानी जमा हो गया, जिससे यातायात अवरुद्ध हो गया। ऐसे में यदि देवनानी ये आरोप लगाते हैं कि मेयर अपनी जिम्मेदारियों से मुंह मोड़कर चैन की नींद सो रहे हंै, तो गलत और राजनीति नहीं है। बाकोलिया तो चलो बहुत अनुभवी नहीं हैं, मगर मीणा जैसे संजीदा व अनुभवी अफसर भी विफल व नकारा साबित होते हैं, तो यह बेहद अफसोसनाक है। या फिर नगर निगम में आ कर पार्षदों की खींचतान में बेबस हो गए हैं।
-तेजवानी गिरधर
7742067000
tejwanig@gmail.com

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