बुधवार, 5 सितंबर 2012

जनप्रतिनिधियों पर कुछ इस तरह बरसी कीर्ति पाठक


अधिक बारिश के कारण बिगडे शहर के हालात के लिए बेशक हमारी व्यवस्था ही जिम्मेदार है, जिसके लिए जहां सीधे तौर पर नगर निगम उत्तरदायी है, वहीं कहीं न कहीं हमारे जनप्रतिनिधि भी दोषी हैं, नालों पर अवैध रूप से मकान बनाने वाले भी उतने ही दोषी हैं। इस विष्य पर टीम अन्ना की अजमेर प्रभारी कीर्ति पाठक की लेखनी कुछ ज्यादा ही मुखर हो गई और उन्होंने फेसबुक के जरिए प्रतिनिधियों पर जम कर बरसीं। इतना ही नहीं उन्होंने आगामी चुनाव में जनता की ओर से सबक विखाने की भी चेतावनी दे दी  है। पिछले दिनों पुलिस को छकाने वाली कीर्ति पाठक कितने आत्मविश्वास से भर गई हैं, क्या कह रही हैं, आप भी पढ लीजिए--
और लीजिये हम ने कबड्डी खेलनी शुरू कर दी........
इधर बरसात हम से खेल रही है...उधर जनप्रतिनिधि का खेल खेलना शुरू......
अनीता भदेल जी कहती हैं कि प्रशासन की कमी उजागर......
और अपने मेयर साब बाकोलिया जी अपने साथी पार्षदों के साथ दौरे पर निकल लेते हैं.....
सब कमर तक के पानी में न जाने क्या ढूंढते फिर रहे हैं ????
शायद अपनी खो गयी विश्वसनीयता को इस बरसाती पानी में ढूंढते फिर रहे हैं और कई साथी पार्षद इन के साथ चल कर अपनी कमाई के साधन को फिर से प्राप्त करने की नाकाम कोशिश में है......
अनीता जी आप तो नगर परिषद् चेयर -पर्सन रही हैं ...आप को तो पहले ही अंदेशा होगा - घूम-घूम कर कि - सफाई व्यवस्था दुरुस्त नहीं है......
आप ने किसी स्थानीय पार्षद से तो ज़िक्र किया ही होगा.....आखिर आप को दर्द जो है स्थानीय जनता का......क्या जवाब मिला???
और जब समय रहते आप की बात न मानी गयी तो आप ने क्या किया???
अब बारिश के दौरान दौरा कर के आप ने क्या सकारात्मक किया ????
ये कोसने,दौरा करने के अलावा आप ने किस प्रकार जनता का दर्द कम किया ये बताइये.......
मीडिया को, आप ने जनता के लिए इस दुःख और परेशानी को दूर करने के लिए जो कदम उठाये और जिस से उन के फर्क पड़ा, वो बताइये ........
ये कोसने का काम आप करती तो सही नहीं लगती हैं...'ये तो हम साधारण जनता करती ही ठीक है जिस के पास सिवाय चिल्लाने के और सड़कों पर उतरने के अभी कोई और ताकत नहीं है......
वो ताकत तो २०१३ और २०१४ में फिर से आएगी जब हम सब जनप्रतिनिधियों को कटघरे में खड़ा करेंगे और सवाल करेंगे और उन के जवाब लेंगे और अपना जवाब देंगे.....
और हमारे मेयर साब - आप तो कमर तक के पानी में ही निकल पड़े पैदल.......
और सब को निर्देश देते रहे......कि कैसे निचली बस्तियों से पानी निकालना है....
पर मेयर साब आज हम १२ बजे गए थे ..सड़कें लबालब भरी थीं.....लोगों के घरों में पानी भरा था......
कोई किसी प्रकार की सहायता का प्रबंध नहीं था.....कोई पम्प नहीं लगे थे पानी निकालने के लिए.....यहाँ वहां गंदगी के ढेर लगे थे.....
जब आप दौरा कर रहे थे तो गंदगी के ढेर देख कर आप ने स्थानीय पार्षद महोदय और इंस्पेक्टर महोदय से जवाब तलब तो किया ही होगा.....
जनता को उन का जवाब बताएँगे क्या???
जब कार्य सही प्रकार सम्पादित नहीं हो रहा है तो कोई एक्शन तो लेना बनता है न.....
क्या उस एक्शन के बारे में बताएँगे या जनता के री-एक्शन (२०१३-२०१४ के चुनाव का ठीकरा अपने सर फुडवाने) का इंतज़ार करना पसंद करेंगे????
आप जनप्रतिनिधियों की मर्ज़ी.......
जनता की आँखें खुली हैं......
चुनाव महाराज नाक बंद कर के मुंह खुलवा कर दवाई डालने को तैयार है...

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