रविवार, 23 सितंबर 2012

रलावता ने दिखाए पहली बार कड़े तेवर

शहर जिला कांग्रेस अध्यक्ष महेन्द्र सिंह रलावता ने पद संभालने के बाद पहली बार कड़े तेवर दिखाए हैं। उन्होंने अनुशासनहीनता के मामले में पार्षद मोहन लाल शर्मा को पार्टी से छह साल के लिए निष्कासित कर कांग्रेस कार्यकर्ताओं, विशेषकर आए दिन पार्टी विरोधी अथवा रलावता विरोधी बयान जारी करने वालों को यह संदेश दिया है कि उन्हें कमजोर न समझा जाए।
वस्तुत: पार्टी के वरिष्ठ नेता शर्मा ने हरकत ही ऐसी की थी, जिसके कारण पार्टी की थू थू हो रही थी और अनुशासन तो तार तार ही होने लगा था। खुद रलावता का कहना है कि मोहनलाल शर्मा ने नरेश सत्यावना को नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष मानने से इनकार करते हुए खुद को नेता प्रतिपक्ष घोषित कर दिया था। माला पहने हुए उनके फोटो अखबारों में छपे भी हैं। उन्हें 8 सितंबर को नोटिस देकर जवाब मांगा गया था। इस पर उन्होंने 13 सितंबर को अपना जवाब दिया जिसमें अखबारों में छपे अपने बयानों को गलत बताया था, लेकिन उनके फोटो सच्चाई बयान कर रहे थे। उनके जवाब, समाचार पत्रों की कटिंग्स आदि प्रदेशाध्यक्ष को भेज दिए गए थे। शर्मा अपनी गलती मानने को तैयार नहीं थे, लिहाजा उन्हें अनुशासनहीनता का दोषी मानते हुए पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। रलावता ने बताया कि मोहनलाल शर्मा के साथ जो अन्य पार्षद तस्वीरों में थे, उनके जवाब पार्टी को लिखित-मौखिक मिल गए हैं, जिसमें उन्होंने खेद जताया है, लिहाजा उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं हो रही है।
असल में केवल शर्मा ही नहीं, अन्य कई नेता व कार्यकर्ता पिछले दिनों लगातार अनुशासन तोडऩे लगे थे। शर्मा की तरह अन्य भी उसी राह पर चल कर आए दिन सार्वजनिक बयान जारी कर रहे थे। कई बार उनकी कार्यकारिणी को लेकर सार्वजनिक बयानबाजी हो चुकी थी। ऐसे में लगने यह लगा था कि रलावता से संगठन संभल नहीं रहा है। इस धारणा के साथ उनके आका केन्द्रीय संचार राज्य मंत्री सचिन पायलट की छवि पर आंच आ रही थी। लोग इसी सीधे तौर पर पायलट की खिलाफत के रूप में ले रहे थे। जाहिर ऐसे में जैसे ही उन्हें मौका मिला अपने अधिकारों का इस्तेमाल कर लिया। हालांकि उनके इस कदम से आने वाले दिनों में उन्हें कुछ कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि शर्मा कांग्रेस के खांटी नेता हैं, मगर कम से कम इतना तो हुआ कि रलावता ढ़ीलेपन के आरोप से मुक्त तो हुए।
जैसे ही शर्मा के खिलाफ कार्यवाही की गई, वे बौखला गए। असल में उन्हें उम्मीद नहीं थी कि इस प्रकार एक झटके में ही उन्हें पाटी से बाहर कर दिया जाएगा। बौखलाहट में उन्होंने रलावता पर पलटवार करते हुए कहा कि अजमेर बंद के दौरान कांग्रेस कार्यालय पर भाजपा कार्यकर्ताओं ने जो घटना की उसके पीछे रलावता का ही हाथ है। स्वर्गीय राजेश पायलट की तस्वीर पर कालिख पोते जाने की घटना रलावता की सदारत में ही हुई। उनके आरोप में दम कम और बौखलाहट ज्यादा नजर आती है। शर्मा ने इस आरोप का खंडन किया कि भारतीय जनता युवा मोर्चा के कोटा संभाग प्रभारी नीतेश आत्रेय के जरिए उन्होंने कांग्रेस कार्यालय पर वारदात करवाई। ज्ञातव्य है कि आत्रेय मोहनलाल शर्मा के रिश्ते में दामाद लगते हैं।
शर्मा के आरोप को सिरे से नकारते हुए रलावता ने कहा कि आत्रेय शर्मा के दामाद हैं। वे अलग राजनीतिक दल के हैं। ऐसे में मेरे कहने पर कोई काम क्यों करेंगे। यदि शर्मा का रिश्तेदार मेरे कहने पर कोई काम कर रहा है तो इसका एक ही अर्थ है कि शर्मा के रिश्तेदार उनके कहने में नहीं हैं।
जहां तक शर्मा को पार्टी से निकालने पर होने वाले प्रभाव का सवाल है, सीधे तौर पर नगर निगम में पार्टी को इससे कोई नुकसान होने वाला नहीं है, मगर पार्टी में माहौल खराब होने की शुरुआत तो हो ही गई है। देखना केवल ये है कि रलावता की इस सख्ती से संगठन सुधरता है या बगावत और नया रूप लेती है।
-तेजवानी गिरधर

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