शुक्रवार, 10 मई 2013

संदेश यात्रा का विरोध करने वालों ने ही दिया निमंत्रण


शनिवार, 11 मई को अजमेर आ रही कांग्रेस संदेश यात्रा की तिथि और स्थान को लेकर विरोध करने वाले कांग्रेसियों का यकायक हृदय परिवर्तन कैसे हो गया, इसको लेकर सभी अचंभे में हैं। विरोध की पहल करने वालों की ओर से ही यात्रा के आगमन का संदेश देने के लिए वाहन रैली की पहल की गई तो अचंभा होना ही है।
ज्ञातव्य है कि विरोध की मुख्य भूमिका अदा कर रहे मनोनीत पार्षद सैयद गुलाम मुस्तफा ने 11 मई को अजमेर आने वाली कांग्रेस संदेश यात्रा और सुभाष उद्यान में आयोजित की जाने वाली आमसभा का कड़ा विरोध किया था। उन्होंने यहां तक कहा कि ख्वाजा साहब के उर्स की व्यवस्थाओं पर ध्यान देने की बजाए कांग्रेस संदेश यात्रा पर ध्यान दे रही है। उनका कहना था कि संदेश यात्रा 11 मई को अजमेर आएगी और इस मौके पर दरगाह व उसके आस-पास के मेला प्रभावित क्षेत्रों के व्यापारी, कांग्रेसी, अल्पसंख्यक समेत अन्य लोग संदेश यात्रा में सम्मिलित नहीं हो पाएंगे। इसके अलावा सुभाष उद्यान में आमसभा रखी गई है, जो जायरीन के लिए परेशानी का सबब बन जाएगी। उर्स में आने वाले जायरीन सुभाष उद्यान में विश्राम करते हैं और नगरीय सेवा से कायड़ व ट्रांसपोर्ट नगर विश्राम स्थली आने व जाने वाले जायरीन दरगाह जाने के लिए इसी स्थान पर उतरेंगे। इससे जायरीन को परेशानी होगी। उन्होंने संदेश यात्रा की तिथि बदलकर 11 मई से पूर्व या 20 मई के बाद करने की की मांग प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ चंद्रभान से भी की।
इसी प्रकार गुलाम मुस्तफा सहित शहर कांग्रेस के पूर्व उपाध्यक्ष डॉ. सुरेश गर्ग, युवक कांग्रेस महासचिव विश्वास तंवर और युवक कांग्रेस के पूर्व उपाध्यक्ष अजीत सिंह छाबड़ा ने भी प्रदेश अध्यक्ष को पत्र लिख कर शिकायत की कि प्रमुख कांग्रेसी नेताओं को बुलाए बिना जिस प्रकार संदेश यात्रा की तिथियां तय की गई हैं, वह कुलड़ी में गुड़ फोडऩे के समान है। पत्र में मांग की गई है कि उर्स के मद्देनजर संदेश यात्रा की तिथियों में परिवर्तन किया जाए। पत्र में लिखा था कि जन अभाव अभियोग निकराकरण समिति के अध्यक्ष मुमताज मसीह ने सर्किट हाऊस में सन्देश यात्रा को लेकर एक बैठक ली, जिसकी सूचना आम कांग्रेसजन को नहीं दी गई। यहां तक कि डी.सी.सी. सदस्यों को भी इससे वंचित रखा गया। भाजपा द्वारा सुराज यात्रा के लिए सामान्य व्यक्ति को भी पीले चावल तक बांटने की बात है और कांग्रेस में घर में ही बात नहीं की जा रही है। संदेश यात्रा के लिए संगठन प्रभारी सुशील शर्मा तथा सचिव सलीम भाटी सचिव को भी बैठक में सम्मिलित नहीं किया जाना आश्चर्यजनक है। कृपया यह जानकारी देने का श्रम करावें कि क्या हमारे संगठन प्रभारियों की हिस्सेदारी एवं उनके अनुभव एवं कुछ वर्षों से दिये हुए समय के मध्य उन्हें नजरअंदाज किये जाकर उनके बगैर इतनी बड़ी संदेश यात्रा में उनकी भूमिका नगण्य रहेगी?
स्पष्ट है कि इन कांग्रेसी नेताओं का रुख काफी कड़ा था, मगर उनके विरोध को प्रदेश कांग्रेस ने नजरअंदाज कर दिया। ऐसे में इनके लिए असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो गई। उन्हें समझ में आ गया कि संदेश यात्रा तो तय कार्यक्रम के हिसाब से ही आएगी, ऐसे में वे मुख्य धारा से कट जाएंगे। संभव है उन्हें ऊपर फटकार भी पड़ी हो कि इस प्रकार की हरकतों से कांग्रेस को नुकसान ही होगा। और हो गया उनका हृदय परिवर्तन। पलटे भी तो ऐसे कि शहर कांग्रेस कमेटी को नजरअंदाज कर अपने स्तर पर ही संदेश यात्रा में निमंत्रण देने के लिए वाहन रैली निकाली। बेशक रैली देखने लायक थी। यूं तो रैली के आयोजक डॉ. सुरेश गर्ग व गुलाम मुस्तफा ही थे, मगर इसमें शहर कांग्रेस महेन्द्र सिंह रलावता विरोधी पूर्व विधायक डॉ. श्रीगोपाल बाहेती व डॉ. राजकुमार जयपाल के पूरे धड़े ने शिरकत की। स्वाभाविक सी बात है कि वे भी मुख्य धारा से नहीं कटना चाहते थे। यह रैली कांग्रेस संगठन की ओर से आधिकारिक नहीं थी, इसका खुलासा स्वयं डॉ. गर्ग ने यह कह कर दिया कि रैली आम कांग्रेसजन की थी व आम कांग्रेसजन के सहयोग से ही आयोजित की गई।
हालांकि इस रैली का एक संदेश यह भी गया कि बाहेती और जयपाल ने धड़ेबाजी खत्म कर हाथ मिला लिया है और कांग्रेसी एकजुट हैं, मगर सच ये है कि इससे रलावता विरोधी धड़ा और ताकतवर व मुखर हो गया है। रलावता के लिए तो यह चिंता का विषय है ही, उससे भी ज्यादा परेशानी का सबब है अजमेर के प्रभावशाली सांसद व केन्द्रीय संचार राज्य मंत्री सचिन पायलट के लिए, जिनके दमखम के आगे बाहेती व जयपाल खेमे ने हथियार नहीं डाले हैं।
-तेजवानी गिरधर

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