भगत की बॉडी लैंग्वेज से ऐसा अहसास हो रहा था, मानो पिछले दिनों इस्तीफे के बाद उन पर जो मानसिक दबाव था, उससे वे बाहर आ चुके हैं, तभी तो एक सार्वजनिक समारोह में बिंदास हो कर उपस्थित हुए। सवाल ये उठता है कि क्या उन्हें आयोजक विभाग ने बुलवाया। जाहिर तौर पर नहीं। चूंकि अब वे न्यास अध्यक्ष पद पर नहीं हैं। सरकारी कार्यक्रम में एक कांग्रेसी नेता के नाते भी उन्हें नहीं बुलवाया जा सकता था, जिस पर कि विशेष से फिलवक्त आरोप लगा हुआ है। यह भी पक्का है कि वे बिना बुलाए मेहमान की तरह नहीं पहुंचे होंगे। इतनी निर्लज्जता की उनसे उम्मीद नहीं की जा सकती। अर्थात उन्हें रघु शर्मा ने ही बुलवाया। और अगर ऐसा है तो इसके राजनीतिक मायने निकलते हैं। सबसे बड़ा तो ये कि रिश्वत प्रकरण में आरोपी होने के बाद भी सरकारी तौर पर उनसे परहेज नहीं किया जा रहा है। यानि की उनके बारे में सरकार का रुख नरम है। रघु शर्मा दूध पीते बच्चे तो हैं नहीं। जरूर उन्होंने कुछ सोच कर उन्हें बुलवाया होगा। सरकार यानि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का रुख जो भी हो, रघु शर्मा अपने स्तर पर ऐसा कदम उठा रहे हैं तो जरूर उसकी कोई वजह होगी। अब जबकि इस घटना पर लोगों की नजर है और कोई विवाद हो सकता है तो संभव है रघु शर्मा उन्हें बुलवाने की बात से इंकार करें, मगर उनके इस बात का कोई भी जवाब नहीं होगा कि बिन बुलाए भगत के आने पर उन्होंने ऐतराज क्यों नहीं किया। क्या उन्हें पता नहीं था कि भगत के उनके साथ मंच पर होने से कुछ विवाद हो सकता है? अगर ये भी मान लिया जाए कि वे बिन बुलाए ही वहां पहुंच गए, तो क्या रघु शर्मा को इतनी भी अक्ल नहीं कि वे उन्हें मंच पर बुलवाने की रिस्क लेंगे।
कयास ये भी लगाया जा सकता है कि केन्द्रीय मंत्री सी पी जोशी के इशारे पर रघु ने उन पर फंदा डाला होगा। कहने की जरूरत नहीं है कि विधानसभा चुनाव को लेकर जोशी एक बार फिर लॉबिंग करने में जुट गए हैं। वे इन दिनों दावेदारों पर हाथ रख रहे हैं, ताकि बाद में चुनाव जीतने पर उनके काम आएं। कुल मिला कर यह साफ है कि यह छोटी सी घटना कोई खास अर्थ रखती है। इसे इस रूप में भी लिया जा सकता है कि उन्हें फिर से प्लेटफार्म उपलब्ध करवाया जा रहा है। इसका आधार ये है कि उन पर जो आरोप है, उसकी जांच नौ दिन चले अढ़ाई कोस की रफ्तार से चल रही है। कहने वाले तो यहां तक कहने लगे हैं कि वे इस केस से बाहर आ जाएंगे। सच जो भी हो, भगत का सरकारी कार्यक्रम में सार्वजनिक मंच पर मुख्य सचेतक के साथ मौजूद होना अन्य दावेदारों को पच नहीं रहा।
-तेजवानी गिरधर
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