बुधवार, 11 दिसंबर 2013

अब रहेगी एडीए चेयरमैन पर नजर

अब जब कि प्रदेश में चुनाव संपन्न हो चुके हैं और भाजपा को प्रचंड बहुमत से सत्ता हासिल हुई है, हर किसी की नजर इस पर रहेगी कि अजमेर विकास प्राधिकरण की अध्यक्ष कौन होगा?
समझा जाता है कि इस पद पर किसी वैश्य का ही नंबर आएगा। इसकी वजह ये है कि अजमेर नगर निगम का मेयर पद फिलहाल अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। प्राधिकरण के अंतर्गत आने वाले अजमेर उत्तर व दक्षिण, किशनगढ़ व पुष्कर में क्रमश: सिंधी, अनुसूचित जाति, जाट व रावत विधायक बने हैं और जिले में किसी भी सीट पर वैश्य को टिकट नहीं दिया गया था, इस कारण वैश्य समुदाय को राजी किया जाएगा। हालांकि कुछ लोग नगर परिषद अजमेर के पूर्व सभापति सुरेन्द्र सिंह शेखावत के इस पद पर काबिज होने की संभावना जाहिर करते हैं क्योंकि अजमेर उत्तर में गैर सिंधियों में वे ही सर्वाधिक दमदार तरीके से दावेदारी कर रहे थे और उनकी मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से नजदीकी भी बताई जाती है, मगर चूंकि जिले में वैश्यों को कोई प्रतिनिधित्व नहीं मिल पाया है, इस कारण उनका नंबर शायद न आए। हां, उन्हें किसी और पद से नवाजा जा सकता है। कुछ लोग न्यास के पूर्व सदर औंकार सिंह लखावत के नाम का भी जिक्र करते हैं, मगर उनका कद अब प्रदेश स्तरीय हो गया है, ऐसे में लगता नहीं कि वे इस और लालायित होंगे।
जहां तक वैश्यों का सवाल है उनमें नगर सुधार न्यास के पूर्व अध्यक्ष धर्मेश जैन दावेदारी कर सकते हैं। ज्ञातव्य है कि पिछले भाजपा कार्यकाल में उन पर लगे झूठे आरोप के कारण उनको कार्यकाल पूरा करने का मौका नहीं मिल पाया था और बाद में उनको क्लीन चिट भी मिल गई, इस कारण उनका दावा बनता है। उनको न्यास के कामकाज करने का अनुभव भी है और उन्होंने अपने छोटे से कार्यकाल में उल्लेखनीय काम भी करवाए थे। अजमेर उत्तर सीट से टिकट के एक और प्रबल दावेदार शहर भाजपा के पूर्व अध्यक्ष शिवशंकर हेड़ा को भी मौका मिल सकता है, मगर उनके कुछ समर्थकों द्वारा वैश्यवाद के नाते कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. श्रीगोपाल बाहेती को गुपचुप मदद करने के आरोपों के चलते बाधा आ सकती है। यूं अजमेर उत्तर के विधायक प्रो. वासुदेव देवनानी की टीम के सेनापति नगर निगम के पूर्व मेयर धर्मेन्द्र गहलोत भी जोर मार सकते हैं। उन्हें स्वायत्तशासी संस्था के कामकाज का अच्छा अनुभव भी है, मगर इसमें देवनानी विरोधी लॉबी अड़चन डाल सकती है। पूर्व जिला प्रमुख पुखराज पहाडिय़ा, जो कि एक लंबे अरसे से हाशिये पर हैं, गंभीर प्रयास कर सकते हैं। वैसे उनकी तैयारी अजमेर लोकसभा क्षेत्र से टिकट हासिल करने की भी है। बहरहाल, कुछ लोगों का मानना है कि मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे फिलहाल इस पद को भरने में जल्दबाजी नहीं करेंगी। वे आगामी लोकसभा चुनाव में दावेदारों का परफोरमेंस देख कर ही नियुक्ति करेंगी।
-तेजवानी गिरधर

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें