मंगलवार, 25 मार्च 2014

रावत वोटों में सेंध मारी सचिन पायलट ने

अजमेर संसदीय क्षेत्र में हालांकि रावतों को परंपरागत रूप से भाजपा मानसिकता का माना जाता है, मगर इस चुनाव में यह साफ नजर आया कि इसमें कांग्रेस प्रत्याशी सचिन पायलट ने सेंध मार दी है। इस सिलसिले में नामांकन पत्र भरने के दौरान पूर्व जिला परिषद सदस्य श्रवण सिंह रावत एवं पुष्कर से भाजपा विधायक सुरेश रावत के भाई पूर्व जिला परिषद सदस्य कुंदन सिंह रावत की मौजूदगी को रेखांकित किया जा रहा है। श्रवण सिंह रावत वहीं हैं, जो 2008 के विधानसभा चुनाव में भाजपा से बगावत कर पुष्कर क्षेत्र से निर्दलीय खड़े हुए और 27 हजार 612 वोट हासिल किए, जिसकी वजह से भाजपा के भंवर सिंह पलाड़ा हार गए थे। कुंदन सिंह रावत हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में पुष्कर से कांग्रेस टिकट के प्रबल दावेदार थे। रावत मतदाता पिछले चुनाव में भी भाजपा से नाराज थे, क्योंकि उनकी पुष्कर का टिकट देने की मांग को दरकिनार किया गया। इस बार हालांकि भाजपा ने सबक लेते हुए सुरेश सिंह रावत को टिकट दिया और वे जीते भी, मगर बावजूद इसके सचिन के साथ श्रवण सिंह रावत व कुंदन सिंह रावत हैं तो इसका अर्थ यही लगाया जा रहा है कि वे रावत वोट बैंक में सेंध मारने में कामयाब हो गए हैं।
असल में रावत परंपरागत रूप से भाजपा मानसिकता के इस कारण माने जाने लगे क्योंकि उन्होंने छह लोकसभा चुनावों में अपनी ही जाति के पूर्व सांसद प्रो. रासासिंह रावत के लिए वोट किया। रावतों के तनिक कांग्रेस की ओर झुकाव की वजह पिछली बार की तरह इस बार भी अजमेर के पांच बार सांसद रहे व मौजूदा शहर भाजपा अध्यक्ष प्रो. रासासिंह रावत को टिकट न देना माना जा रहा है। पिछली बार तो उन्हें राजसमंद भेज कर तुष्ट करने की भी कोशिश की गई, मगर इस बार उन्हें तवज्जो नहीं मिली। उन्हें न तो विधानसभा चुनाव में टिकट दिया गया और न ही लोकसभा चुनाव में। ऐसे में कितना उत्साह से पार्टी के लिए काम करते हैं, इस पर सबकी नजर रहेगी। आपको बता दें कि परिसीमन के बाद अजमेर संसदीय क्षेत्र में रावतों की संख्या कम हुई है, फिर भी इनकी संख्या सवा लाख तो है ही। कहने की जरूरत नहीं है कि कांग्रेस के वोट बैंक गुर्जर, अनुसूचित जाति व मुसलमानों में कुछ रावत भी जुड़ते हैं तो यह सचिन के लिए काफी संतोषप्रद होगा।
-तेजवानी गिरधर

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